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सरकार के निर्णय से शिक्षकों व कर्मियों में आक्रोश


जहानाबाद। बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ गोप गुट की जिला इकाई ने सरकार द्वारा सातवें वेतन पुनरीक्षण का लाभ दिए जाने की घोषणा पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। महासंघ का कहना है कि नीतीश सरकार ने 15 माह के एरियर का चूना लगाया है।
इतना ही नहीं उसने एक बार फिर शिक्षकों तथा कर्मचारियों को हड़ताल का न्योता दे दिया है। महासंघ के सचिव वासुदेव ¨सह ने कहा कि वर्ष 1986 में शिक्षक-कर्मचारियों के महासंघों की एक समन्वय समिति बनी थी। समिति द्वारा केंद्र तथा राज्य सरकार से एक समान वेतन दिए जाने के नारे के साथ 42 दिनों तक
हड़ताल किया गया था। राज्य सरकार तथा समिति के प्रतिनिधियों के साथ समझौते में सरकार ने यह स्वीकार किया था कि केंद्र के कर्मियों का
जो भी वेतन पुनरीक्षण होगा वह राज्य कर्मियों के लिए भी लागू किया जाएगा। उसके बाद जिस तरह केंद्र सरकार अपने कर्मियों को महंगाई भत्ता एवं अन्य सेवा शर्त का लाभ दिया राज्य सरकार भी लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि सातवें वेतन पूनरीक्षण का लाभ राज्य कर्मियों को केंद्रीय कर्मियों के अनुरूप एक जनवरी 2016 से लागू किया जाना उचित तथा संवैधानिक था। सरकार ने राज्य वेतन आयोग का गठन और 15 माह के एरियर का चूना लगाकर जबरन एक अप्रैल 2017 से लागू किया है। सरकार ने अपनी नाकामियों को छिपाए जाने के उद्देश्य से ऐसा किया है ।
उन्होंने इसे संविधान की मर्यादा तथा श्रम कानून का उल्लंघन करा देते हुए तमाम ठेका, मानदेय, नियोजित कर्मियों के साथ ही आशा तथा आंगनबाड़ी कर्मियों को 10 जून के बाद होने वाले हड़ताल में शामिल होने का आह्वान किया है।

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