पटना : राज्य के 391 बुनियादी विद्यालय फिर से महात्मा गांधी के सपनों के आधार पर पुनर्जीवित होंगे. इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग को निर्देश दे दिया है.
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मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग भी बुनियादी विद्यालयों को पुनर्जीवित करने की दिशा में कार्रवाई शुरू करने जा रहा है. बुनियादी विद्यालयों को पुनर्जीवित करने के लिए पांच साल पहले तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट भी आयी थी और राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार भी आयोजित किया गया था, लेकिन उस पर अमल नहीं हो सका. हर स्कूल के उद्धार के लिए 50-50 लाख की राशि की तय की गयी, लेकिन वह जारी भी नहीं हो सका. वर्तमान में बुनियादी विद्यालयों में सामान्य सरकारी स्कूलों के तर्ज पर ही प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की शिक्षा बच्चों को दी जाती है. क्लास एक से आठ तक चलने वाले इन बुनियादी स्कूलों में गांधी के विचारों, कृषि समेत व्यावसायिक व रोजगारपरक शिक्षा भी बच्चों को दी जायेगी. बुनियादी स्कूलों के बिल्डिंग को तैयार करने के साथ-साथ इसे प्लस टू स्कूलों का दर्जा भी दिया जायेगा.
बुनियादी विद्यालयों को पुनर्जीवित करने के लिए अंजनी कुमार सिंह, व्यास जी और अमरजीत सिन्हा की तीन सदस्यीय कमेटी बनी थी. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी दी थी. रिपोर्ट के अनुसार 391 स्कूलों के उत्थान के लिए 200 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये थे. हर स्कूल के विकास के लिए 50-50 लाख रुपये निर्धारित किये गये, लेकिन राशि नहीं मिल सकी. राज्य सरकार ने बुनियादी विद्यालयों के विकास के लिए राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन भी किया और शिक्षाविदों से इसके लिए सुझाव भी लिया था. अब राज्य सरकार चंपारण शताब्दी वर्ष के अवसर पर गांधी जी के सपनों के उन स्कूलों को फिर से पुनर्जीवित करने की तैयारी कर रही है.
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मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग भी बुनियादी विद्यालयों को पुनर्जीवित करने की दिशा में कार्रवाई शुरू करने जा रहा है. बुनियादी विद्यालयों को पुनर्जीवित करने के लिए पांच साल पहले तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट भी आयी थी और राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार भी आयोजित किया गया था, लेकिन उस पर अमल नहीं हो सका. हर स्कूल के उद्धार के लिए 50-50 लाख की राशि की तय की गयी, लेकिन वह जारी भी नहीं हो सका. वर्तमान में बुनियादी विद्यालयों में सामान्य सरकारी स्कूलों के तर्ज पर ही प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की शिक्षा बच्चों को दी जाती है. क्लास एक से आठ तक चलने वाले इन बुनियादी स्कूलों में गांधी के विचारों, कृषि समेत व्यावसायिक व रोजगारपरक शिक्षा भी बच्चों को दी जायेगी. बुनियादी स्कूलों के बिल्डिंग को तैयार करने के साथ-साथ इसे प्लस टू स्कूलों का दर्जा भी दिया जायेगा.
बुनियादी विद्यालयों को पुनर्जीवित करने के लिए अंजनी कुमार सिंह, व्यास जी और अमरजीत सिन्हा की तीन सदस्यीय कमेटी बनी थी. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी दी थी. रिपोर्ट के अनुसार 391 स्कूलों के उत्थान के लिए 200 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये थे. हर स्कूल के विकास के लिए 50-50 लाख रुपये निर्धारित किये गये, लेकिन राशि नहीं मिल सकी. राज्य सरकार ने बुनियादी विद्यालयों के विकास के लिए राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन भी किया और शिक्षाविदों से इसके लिए सुझाव भी लिया था. अब राज्य सरकार चंपारण शताब्दी वर्ष के अवसर पर गांधी जी के सपनों के उन स्कूलों को फिर से पुनर्जीवित करने की तैयारी कर रही है.
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