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जांच में 14 शिक्षकों का प्रमाणपत्र फर्जी

मुंगेर। ज्यों-ज्यों निगरानी विभाग शिक्षक नियोजन प्रक्रिया की तह तक पहुंच रहा है। वैसे-वैसे इनकी बहाली में बरती गई अनियमितता और पैसे का खेल उजागर हो गया है।
विदित हो कि शिक्षक नियोजन में बड़े पैमाने पर की नियोजन इकाई के द्वारा बरती गई अनियमितता के मामले पर संज्ञान लेते हुए पटना उच्च न्यायालय ने प्रदेश के उच्चतर माध्यमिक से लेकर प्राथमिक विद्यालयों में नियोजित लगभग साढ़े तीन लाख शिक्षकों के नियोजन प्रक्रिया और उनके शैक्षणिक एवं प्रशैक्षनिक प्रमाण पत्रों की सत्यता की जांच निगरानी विभाग से करवाने का आदेश राज्य सरकार को दिया था। इसके बाद से निगरानी विभाग ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं स्थापना डीपीओ के माध्यम से शिक्षकों के नियोजन से संबंधित फोल्डर नियोजन इकाई से प्राप्त किए थे। इसे प्राप्त करने में भी निगरानी को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। यहां तक विभागीय प्रधान सचिव को फोल्डर जमा नहीं करने वाली नियोजन इकाईयों पर प्राथमिकी दर्ज कराए जाने का निर्देश तक जारी करना पड़ा। इसके बाद प्रमाण पत्रों के सत्यापन की प्रक्रिया आरंभ हुई। इसके बाद एक-एक मेधा सूची, फर्जी शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे मुंगेरी लाल का सच उजागर होने लगा। इसी मामले में अब एक बार फिर से निगरानी विभाग ने चौदह ऐसे शिक्षकों के फर्जी होने से संबंधित पत्र भेजा है। इसमें मुफसिल क्षेत्र के 13 तथा टेटिया बम्बर के एक शिक्षक का नाम शामिल है। जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं उनमें कुतलुपुर पंचायत के मुकुंद बिहारी, शंकरपुर की अर्चना गुप्ता, मु. यासिन, रंजना कुमारी तथा शाहिना परवीन, नौवागढ़ी उत्तरी से निभा कुमारी, नौवागाढ़ी दक्षिणी से अशोक कुमार, सगुफ्ता परवीन, मु. एजाज, मय पंचायत से प्रेम शरण, शमा परवीन, प्रीति कुमारी तथा श्रीमतपुर पंचायत से संतोष कुमार तथा टेटिया बम्बर से राजनीति प्रसाद सुधांशु शामिल हैं। निगरानी विभाग ने इन सभी शिक्षकों के विरूद्ध भादवि की कई धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज किए जाने की सिफारिश की है।

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