खगड़िया। प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में शारीरिक शिक्षकों के
शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का अब तक सत्यापन नहीं हो सका है। जिससे लोगों को
विभाग की नियत पर संदेह होने लगा है। ऐसा माना जा रहा है कि इन नियोजित
शिक्षकों के डीपीएड के प्रमाणपत्रों की जांच में कई राज खुलेंगे।
बताते चलें कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा लगभग सात माह पूर्व ही विभिन्न विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक पद पर नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र को सत्यापन के लिए निगरानी टीम को भेजा गया था, लेकिन इतने दिन बीतने के बावजूद प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं हो सका है।
डीपीएड प्रमाणपत्र में गड़बड़ी की आशंका
सूत्रों की मानें तो वर्ष 2006 एवं 2008 में विभिन्न विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक पद पर हुए नियोजन में काफी अनियमितता बरती गई थी। जिसकी शिकायत तत्कालीन बीईओ एवं विभाग के वरीय पदाधिकारी से भी की गई थी। लेकिन अपने रसूख के बल पर नियोजित शिक्षकों द्वारा मामले को तत्काल प्रभाव से दबा दिया गया। जिससे वास्तविक में शारीरिक शिक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी नियोजन में भाग भी नहीं ले सके। वैसे अभ्यर्थी प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाते ही रह गए। सरकार द्वारा घोषणा के बावजूद फर्जी शिक्षक प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में शारीरिक अनुदेशक के पद पर बहाल हैं। सूत्रों की मानें तो विभाग के कर्मी भी वैसे शिक्षक को जान रहे हैं जो शारीरिक शिक्षक बनकर सरकार का पैसा प्राप्त कर रहे हैं। विभाग में जब कभी सर्टिफिकेट जांच की चर्चा की जाती है तो ऊंची पहुंच वाले लोग इस मामले को दबा देते हैं। वहीं, सूत्रों की मानें तो प्रखंड में एक ही संस्थान से कई नियोजित शिक्षक डीपीएड उपाधि प्राप्त कर नौकरी कर रहे हैं।
17 वर्ष की आयु में हो गए प्रशिक्षित
स्थिति का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुछेक ऐसे शिक्षकों के प्रमाणपत्र पर एक ही सत्र में कुलपति के अलग-अलग हस्ताक्षर अंकित हैं। वहीं, जितने भी अभ्यर्थी ऐसे प्रमाणपत्र पर शिक्षक बने हैं उन्होंने 17 वर्ष की ही आयु में प्रशिक्षित होकर डीपीएड की उपाधि भी प्राप्त कर ली है। ऐसे शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच न होना प्रखंड क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
-कोट-
वर्ष 2006 व 2008 में नियोजित शारीरिक शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाणपत्र के भौतिक सत्यापन के लिए निगरानी को कई माह पूर्व ही कागजात सौंप दिए गए हैं। अबतक वहां से कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है।
- रामकुमार ¨सह, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, चौथम
बताते चलें कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा लगभग सात माह पूर्व ही विभिन्न विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक पद पर नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र को सत्यापन के लिए निगरानी टीम को भेजा गया था, लेकिन इतने दिन बीतने के बावजूद प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं हो सका है।
डीपीएड प्रमाणपत्र में गड़बड़ी की आशंका
सूत्रों की मानें तो वर्ष 2006 एवं 2008 में विभिन्न विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक पद पर हुए नियोजन में काफी अनियमितता बरती गई थी। जिसकी शिकायत तत्कालीन बीईओ एवं विभाग के वरीय पदाधिकारी से भी की गई थी। लेकिन अपने रसूख के बल पर नियोजित शिक्षकों द्वारा मामले को तत्काल प्रभाव से दबा दिया गया। जिससे वास्तविक में शारीरिक शिक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी नियोजन में भाग भी नहीं ले सके। वैसे अभ्यर्थी प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाते ही रह गए। सरकार द्वारा घोषणा के बावजूद फर्जी शिक्षक प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में शारीरिक अनुदेशक के पद पर बहाल हैं। सूत्रों की मानें तो विभाग के कर्मी भी वैसे शिक्षक को जान रहे हैं जो शारीरिक शिक्षक बनकर सरकार का पैसा प्राप्त कर रहे हैं। विभाग में जब कभी सर्टिफिकेट जांच की चर्चा की जाती है तो ऊंची पहुंच वाले लोग इस मामले को दबा देते हैं। वहीं, सूत्रों की मानें तो प्रखंड में एक ही संस्थान से कई नियोजित शिक्षक डीपीएड उपाधि प्राप्त कर नौकरी कर रहे हैं।
17 वर्ष की आयु में हो गए प्रशिक्षित
स्थिति का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुछेक ऐसे शिक्षकों के प्रमाणपत्र पर एक ही सत्र में कुलपति के अलग-अलग हस्ताक्षर अंकित हैं। वहीं, जितने भी अभ्यर्थी ऐसे प्रमाणपत्र पर शिक्षक बने हैं उन्होंने 17 वर्ष की ही आयु में प्रशिक्षित होकर डीपीएड की उपाधि भी प्राप्त कर ली है। ऐसे शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच न होना प्रखंड क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
-कोट-
वर्ष 2006 व 2008 में नियोजित शारीरिक शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाणपत्र के भौतिक सत्यापन के लिए निगरानी को कई माह पूर्व ही कागजात सौंप दिए गए हैं। अबतक वहां से कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है।
- रामकुमार ¨सह, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, चौथम