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भास्कर ब्रेकिंग न्यूज : मैट्रिक परीक्षा में 17 लाख 63 हजार परीक्षार्थियों के साथ धोखाधड़ी उजागर

पटना.मैट्रिक परीक्षा के कॉपियों की जांच में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। ऐसी गड़बड़ी, जिसके कारण राज्य के 17 लाख 63 हजार 423 विद्यार्थियों के साथ 15 नंबर का घोटाला हो गया। कॉपी जांचने वाले शिक्षकों को तीन विषयों के 15 सवालों के गलत जवाब दे दिए गए। शिक्षकों ने उसी आधार पर नंबर दे दिए। यानी, सही जवाब लिखने वालों के नंबर कट गए और गलत जवाब लिखने वालों को नंबर मिल गए।
यह पहली गलती रही, जिसका पता भी तब चला, जब कॉपियों की जांच पूरी हो गई। अब बोर्ड इस भूल का सुधार करने के नाम पर दूसरी गलती करने जा रहा है, जो मेधा के साथ अपराध की तरह है। सच यह है कि 17.63 लाख कॉपियों की जांच दोबारा संभव नहीं है। बोर्ड अध्यक्ष जून के दूसरे हफ्ते तक हर हाल में रिजल्ट देने की बात कर रहे हैं। इसलिए तय किया गया है कि सभी छात्रों को 15 नंबर दे ही दिए जाएं। गणित के दो, विज्ञान के सात व सामाजिक विज्ञान के छह वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर मार्किंग स्कीम में गलत थे। अब गणित में दो, विज्ञान में सात और सामाजिक विज्ञान में छह नंबर तय हैं। ये नंबर फेल हो रहे परीक्षार्थियों को पास भी करा सकते हैं।
पहली बड़ी गलती को छुपाने के लिए बिहार बोर्ड अब अपराध करने जा रहा है
गड़बड़ी : आंसर-की में गलत उत्तर
कॉपी जांचने वाले शिक्षकों को प्रश्नों के उत्तर दिए जाते हैं। उसी आधार पर नंबर दिया जाता है। यानी वस्तुनिष्ठ प्रश्न संख्या 10 का उत्तर अगर मार्किंग स्कीम यानी अांसर-की में बी बताया गया है, तो नंबर उसी छात्र को मिलेंगे जिसने बी उत्तर दिया है। गड़बड़ी यह हुई कि तीन विषयों के पंद्रह प्रश्नों के उत्तर मार्किंग स्कीम में गलत दर्ज हो गए। यानी प्रश्न संख्या 10 का उत्तर बी होना चाहिए तो उसकी जगह सी लिख दिया गया। यानी, सी उत्तर देने वालों को नंबर मिल या और बी देने वालों को नंबर ही नहीं मिला।
हड़बड़ी : प्रूफ जांचने का समय नहीं
मैट्रिक की परीक्षा के दिन संबंधित विषयों के प्रश्न मार्किंग स्कीम तैयार करने वाले शिक्षकों के पास भेज दिए गए। मार्किंग स्कीम मिलते ही उसे प्रिंटर के पास भेजा गया। प्रिंटर के यहां से दो दिन बाद प्रूफ वेरिफाई कराने के लिए बोर्ड को भेजा गया। दो दिनों में वेरिफाई कर देना था। प्रूफ मिलने के बाद इसे छपने के लिए भेजा गया। बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि मार्किंग स्कीम तैयार करने व प्रूफ वेरिफाई करने को कम समय देने के कारण ही गड़बड़ी हुई। मूल्यांकन के दौरान इन गड़बड़ियों को किसी शिक्षक ने नहीं पकड़ा।
फिर सामने आया परीक्षा विभाग का ढीला रवैया
बिहार बोर्ड गड़बड़ी के जिम्मेदारों की पहचान नहीं कर सका है। बोर्ड प्रशासन ने दो प्रशाखा पदाधिकारी व एक उप सचिव स्तर के पदाधिकारी पर कार्रवाई कर चौकस होने का संदेश भर दिया है। हालांकि, इस पूरे मामले में परीक्षा विभाग का ढीला रवैया सामने आ रहा है। वर्ष 2016 की इंटर परीक्षा के टॉपर लिस्ट में गड़बड़ी परीक्षा विभाग के स्तर पर हुई थी। तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक को जेल जाना पड़ा। परीक्षा विभाग के स्तर पर मार्किंग स्कीम की जांच न कराए जाने की बात भी होने लगी है।
...हां गलती तो हो गई, अब सभी 15 गलत उत्तरों के नंबर दे दिए जाएंगे
सीधी बात : आनंद किशोर, अध्यक्ष, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति
मार्किंग स्कीम पर क्या फैसला हुआ?
जिस प्रश्न के गलत उत्तर तैयार किए गए हैं, उसके लिए संबंधित विषय में विद्यार्थियों को अंक दिए जाने का निर्णय लिया गया है।

ऐसे में रिजल्ट में देरी हो सकती है?
नहीं, रिजल्ट में देरी नहीं होगी। कंप्यूटर से एक बार में सभी छात्रों को संबंधित विषयों में निर्धारित अंक दे दिए जाएंगे। यह जटिल प्रक्रिया नहीं है। जून दूसरे सप्ताह तक रिजल्ट आ जाएगा।

इस तरह तो गलत जवाब देने वाले को भी 15 नंबर मिल जाएंगे?
किसी गड़बड़ी का खामियाजा छात्रों को न भुगतना पड़े। गड़बड़ी हुई है तो सभी छात्रों को इसका लाभ मिलेगा। हां, आप मान सकते हैं कि गलत जवाब देने वाले को भी 15 अंक मिल जाएंगे।

ये तो 15 नंबर का घोटाला हो गया?
घोटाला नहीं कह सकते। देश में कई बोर्ड बेहतर रिजल्ट के लिए ग्रेस मार्क्स देते हैं। हम गड़बड़ी के बदले ये अंक दे रहे हैं। यह एक एडवांटेज है।
यह मेधा से खिलवाड़
बिहार बोर्ड अपनी गलती के 15 नंबर परीक्षार्थियों को देने जा रहा है। इन 15 सवालों जवाब दिए हों या नहीं, सबको मार्किंग स्कीम के गलत उत्तर के आधार पर अंक मिल जाएंगे। अब सभी छात्रों को 15-15 नंबर दे देने का मतलब सीधे-सीधे मेधा से खिलवाड़ कहा जा रहा है।

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