जिले में शिक्षक नियोजन में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती गई है। जिले में
बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाण पत्रों पर नौकरी कर रहे हैं। फिर भी उनका वेतन
भुगतान हो रहा है। स्थापना शाखा के डीपीओ दोहरी मापदंड अपना रहे हैं। जांच
के नाम पर कुछ शिक्षकों का वेतन भुगतान बंद कर दिया गया है।
जबकि जांच के दौरान शिक्षकों से निगरानी विभाग कई बार फोल्डर की मांग कर चुकी है। फोल्डर में सभी तरह के शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र की छाया प्रति देनी है। लेकिन 3 साल में भी 4 हजार से ज्यादा शिक्षकों का फोल्डर अधूरा है।
इससे संभावना जताई जा रही है कि नियोजन प्रक्रिया के तहत बहाल शिक्षकों में से बड़ी संख्या में प्रमाणपत्र फर्जी हो सकता है। फिर भी इस मामले को विभाग स्तर से दबा दिया गया है और वेतन का भुगतान किया जा रहा है। जिले के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में साढ़े 11 हजार शिक्षक पदस्थापित हैं।
इसमें 9092 शिक्षकों का सर्व शिक्षा अभियान से और 2139 शिक्षकों का जीओबी मद से वेतन भुगतान होता है। सर्व शिक्षा अभियान में ही शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार से बहाल शिक्षक शामिल हैं। उनकी संख्या लगभग 1500 है। डीपीओ स्थापना ने सोमवार की शाम वेतन मद की जो राशि जारी की है। उसमें प्राधिकार से बहाल शिक्षकों को छोड़कर शामिल है। जबकि बिना दोषसिद्धि हुए वेतन भुगतान बंद करना उचित नहीं है।
शिक्षक और शिक्षक संगठनों की गुहार के बाद भी इन शिक्षकों का वेतन भुगतान होने की संभावना नहीं दिख रही है। जबकि अन्य शिक्षकों का वेतन भुगतान कर विभाग दोहरी मापदंड अपना रहा है। इससे वेतन मिलने वाले शिक्षकों के घर खुशी है तो वेतन नहीं मिलने वाले शिक्षकों के घर मायूसी है। जिले के सभी शिक्षकों का किसी न किसी स्तर पर जांच हो रही है। लेकिन अन्य जांच को नजर अंदाज कर कुछ ही शिक्षकों का वेतन भुगतान नहीं किया गया। इस तरह वेतन नहीं मिलने वाले शिक्षकों के बीच असंतोष है। रविवार को सूबे से स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी शिक्षकों के अनुरोध पर पर्व को देखते हुए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव से वेतन भुगतान करने के लिए बात की थी।
जबकि जांच के दौरान शिक्षकों से निगरानी विभाग कई बार फोल्डर की मांग कर चुकी है। फोल्डर में सभी तरह के शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र की छाया प्रति देनी है। लेकिन 3 साल में भी 4 हजार से ज्यादा शिक्षकों का फोल्डर अधूरा है।
इससे संभावना जताई जा रही है कि नियोजन प्रक्रिया के तहत बहाल शिक्षकों में से बड़ी संख्या में प्रमाणपत्र फर्जी हो सकता है। फिर भी इस मामले को विभाग स्तर से दबा दिया गया है और वेतन का भुगतान किया जा रहा है। जिले के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में साढ़े 11 हजार शिक्षक पदस्थापित हैं।
इसमें 9092 शिक्षकों का सर्व शिक्षा अभियान से और 2139 शिक्षकों का जीओबी मद से वेतन भुगतान होता है। सर्व शिक्षा अभियान में ही शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार से बहाल शिक्षक शामिल हैं। उनकी संख्या लगभग 1500 है। डीपीओ स्थापना ने सोमवार की शाम वेतन मद की जो राशि जारी की है। उसमें प्राधिकार से बहाल शिक्षकों को छोड़कर शामिल है। जबकि बिना दोषसिद्धि हुए वेतन भुगतान बंद करना उचित नहीं है।
शिक्षक और शिक्षक संगठनों की गुहार के बाद भी इन शिक्षकों का वेतन भुगतान होने की संभावना नहीं दिख रही है। जबकि अन्य शिक्षकों का वेतन भुगतान कर विभाग दोहरी मापदंड अपना रहा है। इससे वेतन मिलने वाले शिक्षकों के घर खुशी है तो वेतन नहीं मिलने वाले शिक्षकों के घर मायूसी है। जिले के सभी शिक्षकों का किसी न किसी स्तर पर जांच हो रही है। लेकिन अन्य जांच को नजर अंदाज कर कुछ ही शिक्षकों का वेतन भुगतान नहीं किया गया। इस तरह वेतन नहीं मिलने वाले शिक्षकों के बीच असंतोष है। रविवार को सूबे से स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी शिक्षकों के अनुरोध पर पर्व को देखते हुए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव से वेतन भुगतान करने के लिए बात की थी।