राज्य के 96 हजार नियोजित शिक्षकों के
सर्टिफिकेट के फोल्डर गायब हैं। निगरानी जांच की प्रगति की समीक्षा में यह
मामला तब उजागर हुआ जब शिक्षा विभाग ने जिलों से इस मामले को लेकर रिपोर्ट
तलब की। सभी जिलों के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) की मौजूदगी में
12 अक्टूबर को जब जिलों से मिली रिपोर्ट पर आलाधिकारियों ने निगरानी के
संबंधित अफसर की मौजूदगी में चर्चा शुरू की तो 96 हजार फोल्डरों के गायब
होने की जानकारी उजागर हुई।
शिक्षा विभाग ने इस मामले को बेहद गंभीरता
से लिया है। बैठक की प्रोसिडिंग प्राथमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा तैयार
करायी जा रही है। बैठक में प्रधान सचिव आरके महाजन ने सभी डीपीओ को इस
मुद्दे को लेकर खरी-खोटी सुनाई। विभाग शिक्षकों के फोल्डर अब तक जमा नहीं
होने को लेकर संबंधित अधिकारी और शिक्षक नियोजन इकाइयों पर सख्त कार्रवाई
करेगा। इस मामले में पहले भी निगरानी जांच में सहयोग नहीं करने वाले नियोजन
इकाइयों पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जा चुका है। फर्जी डिग्री पर
नियुक्ति के थोक में मामले उजागर होने के बाद पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर
इस मामले की जांच का जिम्मा वर्ष 2014 में निगरानी को सौंपा गया।
निगरानी ने अब तक करीब साढ़े तीन लाख
नियोजित शिक्षकों की वैद्यता की जांच की। इसमें 748 फर्जी शिक्षकों को पकड़ा
है। इन्हें बर्खास्त कर इन पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी तथा राशि भी वसूली
जाएगी। मगर निगरानी के ही आंकड़ों को मानें तो महज 36 लोगों पर ही प्राथमिकी
दर्ज हुई है। समीक्षा के क्रम में एक और बड़ा मामला उजागर हुआ। शिक्षा
विभाग ने फर्जी डिग्री पर बहाल शिक्षकों को क्षमादान मांगने का अवसर दिया
था। इसके लिए बड़ी संख्या में शिक्षक स्वत: आगे आए भी, लेकिन कई के अब तक
कार्यरत होने का खुलासा हुआ है। ऐसे तीन शिक्षक सहरसा में ही कार्यरत हैं।
पूरे मामले की अगली समीक्षा बैठक 10 नवम्बर को बुलाई गई है।