पहले आवंटन नहीं होने के कारण जिले के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में
पदस्थापित 11 हजार 300 शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहा था, जब आवंटन मिल गया
है तो अब विभागीय अफसरों की लापरवाही की वजह से वेतन नहीं मिल रहा है।
शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए राज्य मुख्यालय से 22 फरवरी को ही राशि मिल
गई थी। बावजूद शिक्षकों को वेतन नहीं दिया गया।
इससे शिक्षकों के बीच नाराजगी है। इसको लेकर शिक्षक संगठनों के नेता आंदोलन करने की तैयारी में हैं। जिले के 9200 शिक्षकों को सर्वशिक्षा अभियान मद से वेतन मिलता है। जबकि 2100 शिक्षकों को जीओबी मद से वेतन दिया जाता है। शिक्षा विभाग की हालत यह है कि कभी भी वेतन मद में एडवांस आवंटन नहीं रहता है। इस वजह से वेतन के लिए दो से चार माह तक का इंतजार करना पड़ता है। विभाग भी दो से तीन माह का वेतन एक बार देता है।
शहर के एक स्कूल में छात्राएं। (फाइल फोटो)
22 फरवरी को आवंटित किए गए हैं 44 करोड़ 48 लाख रुपए
आवंटन के अभाव में तीन माह गुजर गया। शिक्षकों का वेतन दिसंबर 2018 से नहीं मिला है। लंबे इंतजार के बाद सर्वशिक्षा अभियान राज्य मुख्यालय पटना ने 22 फरवरी को दो माह के लिए सवेतन की राशि 44 करोड़ 48 लाख का आवंटन किया। सर्वशिक्षा के तत्कालीन डीपीओ समरबहादुर सिंह ने इस राशि को स्थापना शाखा के खाते में 26 फरवरी को भेज दिया। कारण कि स्थापना शाखा से ही शिक्षकों का वेतन भुगतान होता है। उस समय सर्वशिक्षा के डीपीओ ही स्थापना शाखा के प्रभार में थे। वे चाहते तो शिक्षकों के खाते में भी राशि भेज सकते थे। लेकिन, उनका ट्रांसफर वैशाली के डीईओ के पद पर हो गया था। इसलिए, वे बिना वेतन भुगतान किए ही वैशाली चले गए।
कार्यों का बंटवारा तो हुआ, पर अधिकारी ने नहीं लिया है प्रभार
सीवान में छपरा के डीपीओ दिलीप कुमार सिंह ने योगदान किया है। डीपीओ के कार्यों का बंटवारा भी हो गया है। लेकिन, बंटवारे के बाद भी स्थापना डीपीओ मो. असगर अली ने शनिवार की शाम तक प्रभार नहीं लिया। वे शुक्रवार से ही पटना में हैं। रविवार को प्रभार लेने की किसी भी तरह की संभावना नहीं है। यानी कि सोमवार को ही वे प्रभार ले सकते हैं। प्रभार नहीं लेने के कारण शिक्षकों के वेतन भुगतान पर भी संकट उत्पन्न हो गया है। जबकि स्थापना शाखा में एसएसए मद के दो माह के वेतन भुगतान के लिए सूची तैयार कर ली गई है। लेकिन, बिना डीपीओ के उसका भुगतान संभव नहीं है। इस वजह से शिक्षकों के वेतन भुगतान में लेट हो रही है। इधर, जीओबी मद का भी आवंटन हो गया है। लेकिन, डीपीओ के अभाव में उसका भी वेतन नहीं मिल रहा है। वहीं अगर दो माह के वेतन भुगतान अगर हो भी जाता है तो फरवरी का वेतन बकाया रहेगा। कारण कि इसके लिए अभी आवंटन नहीं मिला है। जबकि दिसंबर व जनवरी माह के वेतन जब तक मिलेगा, जबतक मार्च माह का एक पखवारा भी खत्म हो गया होगा। इस तरह वेतन मिलने के साथ ही शिक्षक और दो माह के वेतन भुगतान मिलने का इंतजार करने लगेंगे। इस तरह राज्य मुख्यालय से राशि मिलने के 17 दिनों बाद भी शिक्षकों को वेतन नहीं मिल सका।
वेतन नहीं मिलने पर शिक्षकों ने जताई नाराजगी
वेतन नहीं मिलने पर शिक्षक नेता मंगल कुमार साह, जयप्रकाश सिंह, राजीव कुमार सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई है। शिक्षकों का वेतन भुगतान कराने की मांग की है। शिक्षकों ने कहा है कि सरकार नियोजित शिक्षकों को वेतन देने में भेदभाव बरत रही है। कभी भी शिक्षकों को समय से वेतन नहीं मिलता है। इससे शिक्षकों को कर्ज लेकर घर का काम निबटाना पड़ता है। शिक्षकों से भूखे पेट गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात कही जाती है। जबकि सरकार व अफसर कभी भी इस बात का ध्यान नहीं देते है कि शिक्षकों को समय पर वेतन दिया जाएं। ताकि वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकें।
इससे शिक्षकों के बीच नाराजगी है। इसको लेकर शिक्षक संगठनों के नेता आंदोलन करने की तैयारी में हैं। जिले के 9200 शिक्षकों को सर्वशिक्षा अभियान मद से वेतन मिलता है। जबकि 2100 शिक्षकों को जीओबी मद से वेतन दिया जाता है। शिक्षा विभाग की हालत यह है कि कभी भी वेतन मद में एडवांस आवंटन नहीं रहता है। इस वजह से वेतन के लिए दो से चार माह तक का इंतजार करना पड़ता है। विभाग भी दो से तीन माह का वेतन एक बार देता है।
शहर के एक स्कूल में छात्राएं। (फाइल फोटो)
22 फरवरी को आवंटित किए गए हैं 44 करोड़ 48 लाख रुपए
आवंटन के अभाव में तीन माह गुजर गया। शिक्षकों का वेतन दिसंबर 2018 से नहीं मिला है। लंबे इंतजार के बाद सर्वशिक्षा अभियान राज्य मुख्यालय पटना ने 22 फरवरी को दो माह के लिए सवेतन की राशि 44 करोड़ 48 लाख का आवंटन किया। सर्वशिक्षा के तत्कालीन डीपीओ समरबहादुर सिंह ने इस राशि को स्थापना शाखा के खाते में 26 फरवरी को भेज दिया। कारण कि स्थापना शाखा से ही शिक्षकों का वेतन भुगतान होता है। उस समय सर्वशिक्षा के डीपीओ ही स्थापना शाखा के प्रभार में थे। वे चाहते तो शिक्षकों के खाते में भी राशि भेज सकते थे। लेकिन, उनका ट्रांसफर वैशाली के डीईओ के पद पर हो गया था। इसलिए, वे बिना वेतन भुगतान किए ही वैशाली चले गए।
कार्यों का बंटवारा तो हुआ, पर अधिकारी ने नहीं लिया है प्रभार
सीवान में छपरा के डीपीओ दिलीप कुमार सिंह ने योगदान किया है। डीपीओ के कार्यों का बंटवारा भी हो गया है। लेकिन, बंटवारे के बाद भी स्थापना डीपीओ मो. असगर अली ने शनिवार की शाम तक प्रभार नहीं लिया। वे शुक्रवार से ही पटना में हैं। रविवार को प्रभार लेने की किसी भी तरह की संभावना नहीं है। यानी कि सोमवार को ही वे प्रभार ले सकते हैं। प्रभार नहीं लेने के कारण शिक्षकों के वेतन भुगतान पर भी संकट उत्पन्न हो गया है। जबकि स्थापना शाखा में एसएसए मद के दो माह के वेतन भुगतान के लिए सूची तैयार कर ली गई है। लेकिन, बिना डीपीओ के उसका भुगतान संभव नहीं है। इस वजह से शिक्षकों के वेतन भुगतान में लेट हो रही है। इधर, जीओबी मद का भी आवंटन हो गया है। लेकिन, डीपीओ के अभाव में उसका भी वेतन नहीं मिल रहा है। वहीं अगर दो माह के वेतन भुगतान अगर हो भी जाता है तो फरवरी का वेतन बकाया रहेगा। कारण कि इसके लिए अभी आवंटन नहीं मिला है। जबकि दिसंबर व जनवरी माह के वेतन जब तक मिलेगा, जबतक मार्च माह का एक पखवारा भी खत्म हो गया होगा। इस तरह वेतन मिलने के साथ ही शिक्षक और दो माह के वेतन भुगतान मिलने का इंतजार करने लगेंगे। इस तरह राज्य मुख्यालय से राशि मिलने के 17 दिनों बाद भी शिक्षकों को वेतन नहीं मिल सका।
वेतन नहीं मिलने पर शिक्षकों ने जताई नाराजगी
वेतन नहीं मिलने पर शिक्षक नेता मंगल कुमार साह, जयप्रकाश सिंह, राजीव कुमार सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई है। शिक्षकों का वेतन भुगतान कराने की मांग की है। शिक्षकों ने कहा है कि सरकार नियोजित शिक्षकों को वेतन देने में भेदभाव बरत रही है। कभी भी शिक्षकों को समय से वेतन नहीं मिलता है। इससे शिक्षकों को कर्ज लेकर घर का काम निबटाना पड़ता है। शिक्षकों से भूखे पेट गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात कही जाती है। जबकि सरकार व अफसर कभी भी इस बात का ध्यान नहीं देते है कि शिक्षकों को समय पर वेतन दिया जाएं। ताकि वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकें।