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मार्कण्डेय पाठक - हमारे मुद्दे निम्नवत हैं : 'अब याचना नहीं रण होगा, संघर्ष बड़ा भीषण होगा'

मार्कण्डेय पाठक - हमारे मुद्दे निम्नवत हैं:-
1) समान काम समान वेतन, सहायक शिक्षक एवं राज्यकर्मी का दर्ज़ा, नियमित शिक्षकों की भांति सेवा शर्त
2) सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों को 1जुलाई, 2015 से ग्रेड पे एवं एकमुश्त प्रशिक्षण की व्यवस्था

3) RTE का पालन करते हुए शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति तथा हर 30 बच्चे पर एक शिक्षक के अनुपात का पालन करते हुए रिक्त सभी पदों पर TET-STET उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की अविलंब बहाली।
4) गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गारंटी के लिए समान स्कूल प्रणाली को लागू करना।
5) शिक्षकों को ऐच्छिक स्थानांतरण, पेंशन, ग्रैच्युटी, LIC, अनुकंपा, पूर्ववत वेतनमान, ससमय वेतन भुगतान, 1-5 बी.एड.योग्यताधारी शिक्षकों का संवर्धन, स्नातक एवं स्नातकोत्तर ग्रेड के शिक्षकों की वरीयता आदि हमारे मुख्य मुद्दे हैं।
Firstpost- सरकार कह रही है कि आपलोग अपनी स्वेच्छा से नियोजित शिक्षक बने हैं। आपका वेतन व शर्तें पहले से तय थीं तथा आप पंचायती राज व्यवस्था के कर्मचारी हैं।
मार्कण्डेय पाठक- देखिए, यही तो बंधुआगिरी है। समान काम समान वेतन के लिए दायर सिविल अपील संख्या- 213/2013 में 26 अक्टूबर, 2016 को दिए गए अपने न्यायदेश में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि अपने प्रभाव के द्वारा ऐसी स्थिति उत्पन्न करना जिसमें समान कार्य कर रहे व्यक्तियों को असमान व कमतर वेतन कार्य करने के लिए बाध्य हों, यह स्थिति बंधुआगिरी है। और हम इसी बंधुआगिरी के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि समान काम के लिए समान वेतन देना होगा चाहे नियोक्ता अलग-अलग ही क्यों न हों। अतः यह बहाना भी नहीं चलेगा कि हम राज्य के कर्मचारी नहीं पंचायत के कर्मचारी हैं।
हमें बहुत दुःख है कि न्याय के साथ विकास का दावा करने वाली सरकार सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की अवहेलना कर रही है।
Firstpost - सरकार यह भी कह रही है कि समान काम के लिए समान वेतन देने के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है।
मार्कण्डेय पाठक - देखिए, यह सब बहाना है। अगर सरकार के पास पैसा नहीं है तो विधायकों व मंत्रियों का वेतन और पेंशन क्यों बढ़ रहा है। वोट के लिए खिचड़ी, पोशाक व छात्रवृत्ति के नाम पर सरकार क्यों पैसा लुटा रही है। अगर सचमुच पैसा नहीं है तो जनता की सेवा करने के नाम पर चुनाव जीतने वाले विधायकों तथा मंत्रियों का वेतन, पेंशन व अन्य भत्ते बंद कर दिया जाना चाहिए। नहीं तो यह बहाना नहीं चलेगा।
Firstpost- क्या लगता है, ये सब करने से सरकार मान जाएगी?
मार्कण्डेय पाठक - दिनकर जी के शब्दों में:-
"सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखो आगे क्या होता है?"
जब-जब आंदोलन हुआ है सरकार को झुकना पड़ा है। इस बार की लड़ाई किश्तों में जीत हासिल करने के लिए नहीं बल्कि निर्णायक लड़ाई है। हमने सरकार की न्यायालय में, सड़क पर व सदन में एवं विद्यालय में चारों तरफ से घेराबंदी कर ली है। इस बार सरकार को हमारी माँगों को हर हाल में पूरा करना होगा।
Firstpost - आगे की क्या रणनीति है?
मार्कण्डेय पाठक - "वक़्त आने पर बता देंगे तुझे ऐ आसमां, हम अभी से क्या बताएँगे क्या हमारे दिल में है।" कल 27 तारीख़ के आंदोलन के बाद भी यदि सरकार हमारी माँगें नहीं मानती है तो हम अनशन, कार्य-बहिष्कार व पूर्ण-तालाबंदी के लिए स्वतंत्र होंगे।इसके लिए जरुरत पड़ी तो सभी शिक्षक संगठनों को एक किया जाएगा।
Firstpost - कल के आंदोलन के लिए शिक्षकों को क्या सन्देश देना चाहते हैं?
मार्कण्डेय पाठक - हमने सरकार को चेता दिया है कि 'अब याचना नहीं रण होगा, संघर्ष बड़ा भीषण होगा' अपने तमाम शिक्षक साथियों से हम अपील करते हैं कि
"यह प्रदीप को दीख रहा है, झिलमिल दूर नहीं है।
थक कर बैठ गए क्या भाई, मंज़िल दूर नहीं है ।"
इसलिए आइये कल के आंदोलन को ऐतिहासिक बनाते हुए अपने सपनों को मंज़िल तक पहुँचाएँ।
"संगठित हों, संघर्ष करें, शोषण के ख़िलाफ़ लड़ें।"
"शिक्षक एकता ज़िंदाबाद,
अपनी लड़ाई अपने हाथ,
समय आने पर सबका साथ।"

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