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भवनहीन 1773 प्राथमिक स्कूलों को बंद करेगी सरकार

पटना. राज्य के 1773 प्राथमिक स्कूल बंद होंगे। यहां मिड-डे मील बंद हो गया है। यह वे स्कूल हैं जो गांव के वैसे टोले में खुले थे जहां स्कूल नहीं थे। इन्हें अस्थायी परिसर में खोला गया था। मकसद, स्कूलों से बच्चों को जोड़ना था। एक-दो शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति भी हुई थी।
जमीन मिलने पर यहां भवन निर्माण की योजना थी। बंद होने वाले स्कूल वही हैं जिनके अपने भवन नहीं हैं।
केंद्रीय सहायता राशि में कटौती इन स्कूलों के बंद होने के प्रमुख वजह है। आशंका यह है कि अस्थायी परिसर में चल रहे स्कूल बंद होने से बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर न बढ़ जाए। चिंतित सरकार ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को ऐसे स्कूलों को शीघ्र पास के प्राथमिक स्कूल में समायोजित करने का निर्देश दिया है। प्राथमिक शिक्षा निदेशक एम. रामचंद्रुडु की ओर से आदेश भी जारी हो गया है। निदेशक ने कहा कि निर्णय विभाग की ओर से लिया गया है।
ऐसे खुले थे स्कूल
मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2009 और इसके आधार पर अधिसूचित बिहार राज्य मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 के तहत प्रावधान है कि वैसे सभी बसावट, जहां 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की संख्या कम से कम 40 हो, के 1 किमी. के भीतर स्कूल की स्थापना की जाएगी।

पूरी नहीं हुईं आधारभूत संरचना की शर्तें
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत स्कूलों की भौतिक संरचना के मापदंड निर्धारित हैं जैसे, अपना भवन। भवन के लिए न्यूनतम 0.4 हेक्टेयर भूमि, भवन में पर्याप्त रोशनी, वाहन पार्किग, मुख्यमार्ग की चौड़ाई 12 मीटर और भवन की छत आरसीसी की होनी जरूरी है। आग पर काबू पाने का इंतजाम होना चाहिए। भूमि के अभाव में भवन ही नहीं तो मापदंड कैसे पूरे होंगे? सो, स्कूल बंद किए जा रहे।

42,630 प्राथमिक स्कूलों में 7089 स्कूल भवनहीन
शिक्षा मंत्री डा. अशोक चौधरी ने भी कहा है कि 7089 स्कूल भवनहीन हैं। जहां 1 किमी की परिधि में एक से अधिक प्राथमिक स्कूल हैं, वहां भवनहीन व भूमिहीन स्कूलों को शिक्षक व छात्र इकाई के साथ समायोजित करने का निर्णय लिया गया है। 1773 प्राथमिक स्कूलों को सामंजित करने की प्रक्रिया शुरू हुई है। प्रदेश में अभी 42,630 प्राथमिक विद्यालय हैं।
इन स्कूलों के फायदे: 100%नामांकन

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