पटना.
राज्य के स्कूली शिक्षकों का मूल्यांकन कार्य बहिष्कार आंदोलन शनिवार को
समाप्त हो गया। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में बिहार
माध्यमिक शिक्षक संघ से शनिवार को वार्ता के बाद आंदोलन समाप्त हुआ है। इस
वार्ता में शिक्षकों की मांगों को मानने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से
सकारात्मक रूख लिया गया, इसके बाद शिक्षक संघ ने हड़ताल समाप्त कर दी।
शिक्षक संघ की मुख्य रूप से चार मांगें थी। जिस पर सहमति के बाद हड़ताल
समाप्त हुई है। अब इंटर और मैट्रिक के मूल्यांकन कार्य में रविवार से तेजी
की संभावना है।
30 जून तक
तैयार होगा नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त
वार्ता के दौरान शिक्षा विभाग ने नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त बनाने के लिए 30 जून तक का वक्त लिया है। इस मामले में 15 मई के आसपास शिक्षक संघ को अपना पक्ष प्रस्तुत करना होगा। इसके साथ इंटर और मैट्रिक के कॉपियों के मूल्यांकन मामले में जिन शिक्षकों पर कार्रवाई हुई है, अब उसे समाप्त कर दिया जाएगा। साथ उनके योगदान कर लेने के बाद कोई कार्रवाई नहीं होगी। वहीं परीक्षकों के पूर्व से बकाया राशि के भुगतान के बारे में शिक्षा विभाग में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को निर्देश दिया है।
वार्ता के दौरान शिक्षा विभाग ने नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त बनाने के लिए 30 जून तक का वक्त लिया है। इस मामले में 15 मई के आसपास शिक्षक संघ को अपना पक्ष प्रस्तुत करना होगा। इसके साथ इंटर और मैट्रिक के कॉपियों के मूल्यांकन मामले में जिन शिक्षकों पर कार्रवाई हुई है, अब उसे समाप्त कर दिया जाएगा। साथ उनके योगदान कर लेने के बाद कोई कार्रवाई नहीं होगी। वहीं परीक्षकों के पूर्व से बकाया राशि के भुगतान के बारे में शिक्षा विभाग में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को निर्देश दिया है।
इन मांगों पर भी हुई चर्चा
समान काम को लेकर समान वेतन, वित्तरहित कॉलेजों को अनुदान देने आदि मांगों पर भी चर्चा हुई। इन मांगों पर शिक्षा विभाग ने आश्वासन दिया है। इसमें वित्तरहित कॉलेजों को अनुदान देने की मांग पहले ही पूरी हो चुकी हैं। वहीं समान काम को लेकर समान वेतन देने की मांग पर शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया कि इस मामले को लेकर कई याचिकाएं कोर्ट में हैं। कोर्ट का जो निर्देश होगा, उसका अनुपालन सरकार करेगी।
समान काम को लेकर समान वेतन, वित्तरहित कॉलेजों को अनुदान देने आदि मांगों पर भी चर्चा हुई। इन मांगों पर शिक्षा विभाग ने आश्वासन दिया है। इसमें वित्तरहित कॉलेजों को अनुदान देने की मांग पहले ही पूरी हो चुकी हैं। वहीं समान काम को लेकर समान वेतन देने की मांग पर शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया कि इस मामले को लेकर कई याचिकाएं कोर्ट में हैं। कोर्ट का जो निर्देश होगा, उसका अनुपालन सरकार करेगी।