मधेपुरा। वित्तरहित शिक्षाकर्मी संघर्ष मोर्चा ने सरकार के शिक्षा नीति
के खिलाफ सोमवार को शहर में भिक्षाटन किया। भिक्षाटन कार्यक्रम कॉलेज चौक
से कर्पूरी चौक तक की गई। शिक्षकों ने कहा कि अब भिक्षाटन कर ही जीवन चलना
होगा। सरकार उनकी तरफ ध्यान नहीं दे रही है।
ऐसे में मात्र एक सहारा भिक्षाटन ही रह गया है। मौके पर शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। मोर्चा के संयोजक प्रो. ध्रुवेन्द्र कुमार ने कहा कि सरकार की गलत नीति के कारण शिक्षकों के समक्ष भुखमरी की स्थिति हो गई। सरकार वित्तरहित शिक्षकों को भुखा रहने के लिए छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि
सरकार को वित्तरहित महाविद्यालय को अधिग्रहण करना होगा। वित्तरहित शिक्षा नीति सरकार के लिए शर्म की बात है। लेकिन सरकार कुछ सुनने के बजाय मनमानी पर उतारू है। प्रवक्ता प्रो. मनोज भटनागर ने कहा कि सरकार इस आंदोलन को हल्के में ले रही है। लेकिन इस बार वित्तरहित शिक्षाकर्मी के लिए करो या मरो की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि जिस तरह अन्य वित्तरहित कर्मी को मानदेय व नियोजित कर रही है। उसी तरह हमालेगों को भी नियमित करें। उन्होंने कहा कि सरकार वित्तरहित शिक्षकों के आंदोलन को गंभीरता से नहीं ले रही है। वित्तरहित शिक्षा नीति के विरोध में हमलोगों का रथ पूरे कोसी अंचल में घूम रहा है। राज्य सरकार इस रथ का सम्मान देते हुए हमलोगों की बात मान लें। नहीं तो यह आंदोलन दबने के बजाय और तेजी से भड़केगा। मौके पर प्रो. रविन्द्र यादव, प्रो. प्रमोद कुमार, प्रो. वीरेन्द्र यादव, प्रो. विजय कुमार, मधेपुरा कालेज के कर्मी रामनारायण प्रसाद, मुरली प्रसाद यादव, इंद्रदेव यादव, चंद्रकिशोर यादव, विमल कुमार, प्रो. शिवनारायण मंडल आदि ने भिक्षाटन करते हुए कहा कि वे लोग क्या करे। 36 साल बीत जाने के बाद भी सरकार उनलोगों को असहाय छोड़ दिया है। अब आंदोलन से ही समस्या का निराकरण होगा।
ऐसे में मात्र एक सहारा भिक्षाटन ही रह गया है। मौके पर शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। मोर्चा के संयोजक प्रो. ध्रुवेन्द्र कुमार ने कहा कि सरकार की गलत नीति के कारण शिक्षकों के समक्ष भुखमरी की स्थिति हो गई। सरकार वित्तरहित शिक्षकों को भुखा रहने के लिए छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि
सरकार को वित्तरहित महाविद्यालय को अधिग्रहण करना होगा। वित्तरहित शिक्षा नीति सरकार के लिए शर्म की बात है। लेकिन सरकार कुछ सुनने के बजाय मनमानी पर उतारू है। प्रवक्ता प्रो. मनोज भटनागर ने कहा कि सरकार इस आंदोलन को हल्के में ले रही है। लेकिन इस बार वित्तरहित शिक्षाकर्मी के लिए करो या मरो की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि जिस तरह अन्य वित्तरहित कर्मी को मानदेय व नियोजित कर रही है। उसी तरह हमालेगों को भी नियमित करें। उन्होंने कहा कि सरकार वित्तरहित शिक्षकों के आंदोलन को गंभीरता से नहीं ले रही है। वित्तरहित शिक्षा नीति के विरोध में हमलोगों का रथ पूरे कोसी अंचल में घूम रहा है। राज्य सरकार इस रथ का सम्मान देते हुए हमलोगों की बात मान लें। नहीं तो यह आंदोलन दबने के बजाय और तेजी से भड़केगा। मौके पर प्रो. रविन्द्र यादव, प्रो. प्रमोद कुमार, प्रो. वीरेन्द्र यादव, प्रो. विजय कुमार, मधेपुरा कालेज के कर्मी रामनारायण प्रसाद, मुरली प्रसाद यादव, इंद्रदेव यादव, चंद्रकिशोर यादव, विमल कुमार, प्रो. शिवनारायण मंडल आदि ने भिक्षाटन करते हुए कहा कि वे लोग क्या करे। 36 साल बीत जाने के बाद भी सरकार उनलोगों को असहाय छोड़ दिया है। अब आंदोलन से ही समस्या का निराकरण होगा।