बक्सर। शिक्षक पात्रता परीक्षा के माध्यम से दूसरे अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों पर नौकरी करने वालों की भरमार है। जिले के नावानगर, डुमरांव, सिमरी व ब्रह्मपुर प्रखंड में टीईटी परीक्षा
2011 के आधार पर बहाल शिक्षकों की जांच के आदेश जिला शिक्षा पदाधिकारी
ओंकार प्रसाद ¨सह ने दिए हैं। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी बृज बिहारी ¨सह को
उन्होंने इसकी जिम्मेदारी सौंपी है।
कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना सह सहायक नोडल पदाधिकारी निगरानी जांच को दिए आदेश में डीईओ ने आरटीआइ कार्यकर्ता द्वारा दिए गए आवेदन के आलोक में जांच का फरमान सुनाया है। उन्होंने उक्त प्रखंडों के नियोजित प्रखंड व पंचायत शिक्षकों के टीईटी के अंकपत्र व प्रवेशपत्रों की जांच बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से एक पक्ष के अंदर करते हुए जांच प्रतिवेदन सुपुर्द करने के लिए कहा है, ताकि वह जिलाधिकारी रमण कुमार को उससे अवगत करा सकें। आरटीआइ कार्यकर्ता विमल कुमार ने फर्जी टीईटी के आधार पर नियोजित शिक्षकों की जांच की मांग की थी। इससे संबंधित आवेदन में उन्होंने कहा है कि इन चारों प्रखंडों में फर्जी टीईटी के आधार पर बड़े पैमाने पर शिक्षक नियोजित होकर नियमित रूप से वेतन ले रहे हैं, जो सरकारी राशि का गबन है। उन्होंने लिखा है कि इन प्रखंडों के नियोजित शिक्षकों के एडमिट कार्ड पर चस्पाई गई फोटो और शिक्षक नियोजन के मूल आवेदन पत्र में आवेदन पत्र पर चस्पा की गई फोटो का मिलान कराने पर वस्तु स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना की संलिप्तता भी जताई है। श्री विमल ने लिखा है कि फर्जी टीईटी पर नियोजित शिक्षकों के नियोजन के समय परीक्षा समिति द्वारा विभागीय कार्यालय को सुपुर्द सीडी प्रमाणपत्रों को बिना मिलान कराए ही लिपिकों व पदाधिकारियों की मिलीभगत से मेधा सूची का अनुमोदन करते हुए प्रखंड व पंचायत नियोजन इकाइयों द्वारा उनका नियोजन करा दिया गया, जो जांच का विषय है। आरटीआइ कार्यकर्ता द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिलाधिकारी को दिए गए उक्त आवेदन के आलोक में जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को जांच के लिए कहा है, जिसके बाद डीईओ ने इसकी जांच कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना को सौंपी है।
कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना सह सहायक नोडल पदाधिकारी निगरानी जांच को दिए आदेश में डीईओ ने आरटीआइ कार्यकर्ता द्वारा दिए गए आवेदन के आलोक में जांच का फरमान सुनाया है। उन्होंने उक्त प्रखंडों के नियोजित प्रखंड व पंचायत शिक्षकों के टीईटी के अंकपत्र व प्रवेशपत्रों की जांच बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से एक पक्ष के अंदर करते हुए जांच प्रतिवेदन सुपुर्द करने के लिए कहा है, ताकि वह जिलाधिकारी रमण कुमार को उससे अवगत करा सकें। आरटीआइ कार्यकर्ता विमल कुमार ने फर्जी टीईटी के आधार पर नियोजित शिक्षकों की जांच की मांग की थी। इससे संबंधित आवेदन में उन्होंने कहा है कि इन चारों प्रखंडों में फर्जी टीईटी के आधार पर बड़े पैमाने पर शिक्षक नियोजित होकर नियमित रूप से वेतन ले रहे हैं, जो सरकारी राशि का गबन है। उन्होंने लिखा है कि इन प्रखंडों के नियोजित शिक्षकों के एडमिट कार्ड पर चस्पाई गई फोटो और शिक्षक नियोजन के मूल आवेदन पत्र में आवेदन पत्र पर चस्पा की गई फोटो का मिलान कराने पर वस्तु स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना की संलिप्तता भी जताई है। श्री विमल ने लिखा है कि फर्जी टीईटी पर नियोजित शिक्षकों के नियोजन के समय परीक्षा समिति द्वारा विभागीय कार्यालय को सुपुर्द सीडी प्रमाणपत्रों को बिना मिलान कराए ही लिपिकों व पदाधिकारियों की मिलीभगत से मेधा सूची का अनुमोदन करते हुए प्रखंड व पंचायत नियोजन इकाइयों द्वारा उनका नियोजन करा दिया गया, जो जांच का विषय है। आरटीआइ कार्यकर्ता द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिलाधिकारी को दिए गए उक्त आवेदन के आलोक में जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को जांच के लिए कहा है, जिसके बाद डीईओ ने इसकी जांच कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना को सौंपी है।