कटिहार। प्रखंड क्षेत्र में शिक्षकों की कमी के कारण उच्च शिक्षा का
समुचित लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। प्रखंड के इंदिरावती उच्च
विद्यालय को प्लस टू का दर्जा वर्षों पूर्व मिल चुका है। लेकिन शिक्षकों के
अभाव में पठन पाठन प्रभावित हो रहा है।
बच्चों का नामांकन और परीक्षा तो आयोजित हो रही है, लेकिन छात्र बिना शिक्षक के ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। प्लस टू में उत्क्रमित होने के बाद भी विद्यालय भवन निर्माण का कार्य काफी धीमी गति से होने के कारण छात्र-छात्राओं को परेशानी हो रही है। जबकि विषयवार शिक्षकों की कमी के कारण बच्चे निजी संस्थान के भरोसे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार वर्ग नवमं में 315 एवं वर्ग दशम में 272 छात्र नामांकित हैं। प्लस टू में भी 168 छात्र छात्राओं का नामांकन कराया गया है। लेकिन नियमित वर्ग संचालन शिक्षकों की कमी के कारण नहीं हो पा रहा है।
क्या कहते हैं प्रभारी प्रधानाध्यापक
विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक नईम अख्तर रब्बानी ने बताया कि विद्यालय में सात शिक्षक कार्यरत हैं। फिलहाल विद्यालय में प्लस टू तक वर्ग संचालन के लिए 28 शिक्षकों की आवश्यकता है। यहां इतिहास व रसायन शास्त्र के दो शिक्षक कार्यरत हैं। जबकि नवम एवं दशम वर्ग में भी गणित व विज्ञान सहित भाषा के शिक्षकों का अभाव है। ऐसे में शिक्षकों द्वारा सीमित संसाधन में बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है।
बच्चों का नामांकन और परीक्षा तो आयोजित हो रही है, लेकिन छात्र बिना शिक्षक के ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। प्लस टू में उत्क्रमित होने के बाद भी विद्यालय भवन निर्माण का कार्य काफी धीमी गति से होने के कारण छात्र-छात्राओं को परेशानी हो रही है। जबकि विषयवार शिक्षकों की कमी के कारण बच्चे निजी संस्थान के भरोसे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार वर्ग नवमं में 315 एवं वर्ग दशम में 272 छात्र नामांकित हैं। प्लस टू में भी 168 छात्र छात्राओं का नामांकन कराया गया है। लेकिन नियमित वर्ग संचालन शिक्षकों की कमी के कारण नहीं हो पा रहा है।
क्या कहते हैं प्रभारी प्रधानाध्यापक
विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक नईम अख्तर रब्बानी ने बताया कि विद्यालय में सात शिक्षक कार्यरत हैं। फिलहाल विद्यालय में प्लस टू तक वर्ग संचालन के लिए 28 शिक्षकों की आवश्यकता है। यहां इतिहास व रसायन शास्त्र के दो शिक्षक कार्यरत हैं। जबकि नवम एवं दशम वर्ग में भी गणित व विज्ञान सहित भाषा के शिक्षकों का अभाव है। ऐसे में शिक्षकों द्वारा सीमित संसाधन में बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है।