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कुछ सवाल : मैं बिहार का शिक्षक मुख्यमंत्री के सरीसृप की तरह अचानक से बदलते सुर से आहत

मुख्यमंत्री जी
नमस्कार .(औपचारिकता वश )
मैं बिहार का शिक्षक आपके सरीसृप की तरह अचानक से बदलते सुर से आहत कुछ सवाल करने जा रहा हूँ ..." धैर्य पूर्वक सुनेंगे ..!"

आप आश्वस्त हो लें कि हम आपके कानूनी समझ से हैरान हैं बाकी वेतनमान के अगले पैटर्न से वंचित करना आपके वश का रोग नहीं ..."
आप दावा करते हैं कि हम सामाजिक न्याय के साथ विकास करते हैं ... जबकि आपने मौजूदा प्रकरण में संविधान को ही ठेंगा दिखा दिया ...' अब यह बताएं कि आपने हर बार राज्य कर्मियों के भांति वेतन वृद्धि का आश्वाशन नियमावली में अंकित किया है .., तो फिर ये सातवां वेतनमान कमिटी क्यों बना है वेतन वृद्धि पर विचार ही करने के लिए न ?" आप अगर यह मानते हैं कि हम राज्यकर्मी नहीं हैं तो फिर आप यह बताएं हम क्या हैं अस्थायी के सवाल पर कोर्ट के सवाल का जाबाव ही दीजिये न अस्थायी 1 -2 साल के लिए हो सकता है 60 साल के लिए कोई अस्थायी नौकरी की अवधारणा आपने इस भूमंडल पर सुना है तो उसका उदाहरण प्रस्तुत करें ..

शिक्षा के मंदिर को अपने चुनावी लाभ के गणित के लिए इस्तेमाल करना बंद कीजिये बच्चों की छात्रवृति नही है वेतनमान की चुनाव के हिसाब से देंगे ..!"
भारतीय संविधान के सबसे बड़े न्याय के मंदिर सरवोच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेशित किया है कि अस्थायी कर्मचारी अगर स्थायी की भांति कार्य कर रहे हैं तो उन्हें आपको समान वेतन देना होगा इसलिए आपके चेतन अवचेतन में यह डर बैठ गया है कि आज न कल इस आदेश का जिन्न हमारा पीछा करेगा ही ...और आपने उसी भविष्य को देखते हुए हमारे साथ ये माइंड गेम खेल दिया ..!"

श्रीमान आप सरोकार से जुड़े रहते तो कब का माननीय उच्च न्यायालय का कहा मान लेते आप एक तो अवमानना कर रहे हैं दूसरा सताए लोगों को मानसिक तनाव दे रहे हैं ...आपने रंग बदलने में अपना लोहा आखिर मनवा ही लिया ।

आजकल आपने धार्मिक कार्यों में रूचि लेना शुरू कर दिया है तो अपने सभी भगवान् को याद कर लीजिए और निस्तब्ध अँधेरे में खुद से सवाल पूछिये कि आपने लाखों परिवारों के साथ ये धोखा कि प्रेरणा कहाँ से ली क्या आपको ये ईश्वरीय कार्य लगा ..."

और सुन लीजिये वाहे गुरु हों या श्रीराम अल्लाह हों या यीशु मसीह सब हमारे साथ हैं क्योंकि भगवन बच्चों को समान रूप से भोजन देना चाहेंगे और धार्मिक होने के नाते आपका कर्तव्य बनता है कि भेदभाव और शोषण के खिलाफ आप जल्द कदम उठाएं ।।

मुख्यमंत्री महोदय कान खोलकर सुन लीजिये हुक्मरानों को न्यायालय की भाषा नहीं समझ आयी तो हम सत्याग्रह करेंगे और आपके पाखण्ड का पर्दाफ़ाश करेंगे ..!"

हमने बिहार के लाखों करोड़ों बच्चों के भविष्य को बचाने की कसम ली है शिक्षा व्यवस्था को यूँ बर्बाद होते नहीं देख सकते नौनिहालों का भविष्य गढ़ेंगे और कल के युवा करियर के तौर पर शिक्षा के क्षेत्र को चुने इस हद तक सुधार की कवायद होगी ..!"

गोया कि आपके स्तर से यह मान लिया गया है कि शिक्षा के मंदिर वोट वसूलने के कार्यालय हैं लेकिन हमने सदा उन बच्चों में भगवान् देखा है जिनके आँखों की फितरत बताती है कि सर्वधर्म सद्भाव की बातें करने वाले हमारे गुरुजन रजिस्टर में हमारी जाति क्यों लिखते हैं .."

हम आ रहे हैं आपके अर्दलियों के छाती पर मुंग दलने ....जरा होश में आइये क्या खूब रण होगा दीवारें ऊंची करवा लीजिये हमारे शोर को सहने की ताकत आपके कम डेसिबल क्षमता वाले कानो को नहीं है ....
बिहार का एक शिक्षक

साभार:- अभिषेक कुमार भारतीय के वाल से।

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