सिटी रिपाेर्टर|मुजफ्फरपुर पूर्व विधान पार्षद डाॅ. नरेंद्र
प्रसाद सिंह ने कहा कि जिस नियम के अाधार पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति
ने इंटर काॅलेजाें व उच्च मा. विद्यालय की संबद्धता रद्द की है, वह 2007
में निरस्त हाे चुका है। समिति काे थक हार कर संबंधन समाप्ति का निर्णय
वापस लेना पड़ेगा।
यदि एेसा नहीं हाेता ताे सड़क पर संघर्ष के साथ ही काेर्ट तक जाएंगे। डाॅ. सिंह रविवार काे कलमबाग चाैक स्थित अपने अावास पर विभिन्न इंटर काॅलेजाें के शिक्षकाें की सभा काे संबाेधित कर रहे थे। उन्हाेंने कहा कि समिति का निर्णय अन्यायपूर्ण अाैर छात्र-शिक्षकाें के हिताें के विरुद्ध है। इस निर्णय से न ताे शिक्षकाें का काेई लेना-देना है अाैर न ही छात्राें का। फिर दाेनाें काे कठघरे में लाना शिक्षा काे खत्म करने की साजिश है। इसका अाम लाेगाें के बीच पर्दाफाश किया जाएगा। सभा काे इंटर न्यायिक संघ के अध्यक्ष सुधांशु सिंह, डिग्री संघ के संयाेजक डाॅ. धर्मेंद्र कुमार चाैधरी, पूर्व सिंडिकेट सदस्य डाॅ. माेती प्रसाद सिंह, माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष उमाकिंकर ठाकुर, मनाेरंजन कुमार, इंटर महाविद्यालय के प्राे. एके दास, प्राे. राजेंद्र पांडे, प्राे. याेगेंद्र कुमार, प्राे. अशाेक कुमार, प्राे. विद्यानंद सिंह, प्राे. नंदकिशाेर सिंह अादि ने संबाेधित किया।
कहा- यदि निर्णय वापस नहीं हाेता है ताे सड़क से काेर्ट तक लड़ेंगे
उठे सवाल : ताे क्या 2018 अाैर 2019 के लाखाें उत्तीर्ण इंटर छात्र की डिग्री अवैध मानेगी सरकार |समिति मानती है कि 570 इंटर काॅलेजाें की संबद्धता 2017 में ही खत्म हाे गई थी। समिति ने छात्र हित में 2016-18 सत्र काे मान्यता दी है। सभा में शिक्षक नेताअाें ने सरकार से सवाल किया कि यदि एेसा है ताे क्या 2017-2019 के छात्राें की डिग्री अवैध मानी जाएगी। पूर्व विधान पार्षद ने एक तरफ समिति इन्हीं काॅलेजाें के 2018-20 सत्र के छात्राें का परीक्षा फाॅर्म भरवा रही है दूसरी तरफ संबद्धता भी रद कर रही है। यह कैसे संभव है? समिति काे इसका जवाब देना चाहिए।
यदि एेसा नहीं हाेता ताे सड़क पर संघर्ष के साथ ही काेर्ट तक जाएंगे। डाॅ. सिंह रविवार काे कलमबाग चाैक स्थित अपने अावास पर विभिन्न इंटर काॅलेजाें के शिक्षकाें की सभा काे संबाेधित कर रहे थे। उन्हाेंने कहा कि समिति का निर्णय अन्यायपूर्ण अाैर छात्र-शिक्षकाें के हिताें के विरुद्ध है। इस निर्णय से न ताे शिक्षकाें का काेई लेना-देना है अाैर न ही छात्राें का। फिर दाेनाें काे कठघरे में लाना शिक्षा काे खत्म करने की साजिश है। इसका अाम लाेगाें के बीच पर्दाफाश किया जाएगा। सभा काे इंटर न्यायिक संघ के अध्यक्ष सुधांशु सिंह, डिग्री संघ के संयाेजक डाॅ. धर्मेंद्र कुमार चाैधरी, पूर्व सिंडिकेट सदस्य डाॅ. माेती प्रसाद सिंह, माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष उमाकिंकर ठाकुर, मनाेरंजन कुमार, इंटर महाविद्यालय के प्राे. एके दास, प्राे. राजेंद्र पांडे, प्राे. याेगेंद्र कुमार, प्राे. अशाेक कुमार, प्राे. विद्यानंद सिंह, प्राे. नंदकिशाेर सिंह अादि ने संबाेधित किया।
कहा- यदि निर्णय वापस नहीं हाेता है ताे सड़क से काेर्ट तक लड़ेंगे
उठे सवाल : ताे क्या 2018 अाैर 2019 के लाखाें उत्तीर्ण इंटर छात्र की डिग्री अवैध मानेगी सरकार |समिति मानती है कि 570 इंटर काॅलेजाें की संबद्धता 2017 में ही खत्म हाे गई थी। समिति ने छात्र हित में 2016-18 सत्र काे मान्यता दी है। सभा में शिक्षक नेताअाें ने सरकार से सवाल किया कि यदि एेसा है ताे क्या 2017-2019 के छात्राें की डिग्री अवैध मानी जाएगी। पूर्व विधान पार्षद ने एक तरफ समिति इन्हीं काॅलेजाें के 2018-20 सत्र के छात्राें का परीक्षा फाॅर्म भरवा रही है दूसरी तरफ संबद्धता भी रद कर रही है। यह कैसे संभव है? समिति काे इसका जवाब देना चाहिए।