शिक्षकों को प्रति उत्तरपुस्तिका मिलेगा छह रुपये अतिरिक्त

मैट्रिक की उत्तरपुस्तिका के लिए 22 रुपये, इंटर की उत्तरपुस्तिका के लिए 24 रुपये मिलेंगे 
पटना : मैट्रिक और इंटरमीडिएट कंपार्टमेंटल परीक्षा 2016 के डिजिटल मूल्यांकन में सारे शिक्षक शामिल हो व मूल्यांकन के प्रति शिक्षकों आकर्षित हो, इसके लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने पारिश्रमिक की राशि बढ़ा दी है. पूर्व निर्धारित पारिश्रमिक दरों में छह रूपये की बढ़ोतरी की गयी है. मैट्रिक के प्रति उत्तरपुस्तिका जांच में अब तक 16 रुपये दिये जाते  थे, लेकिन अब प्रति उत्तरपुस्तिका 22 रुपये मिलेंगे. वहीं, इंटरमीडिएट में भी प्रति उत्तरपुस्तिका की दर में बदलाव किया गया है. 50 अंक तक के इंटरमीडिएट के प्रति उत्तरपुस्तिका में 15 रुपये से बढ़ा कर 21  रुपये कर दिये गये हैं. वहीं, 60 अंक से अधिक इंटरमीडिएट के प्रति उत्तरपुस्तिका में 18 रुपये की जगह अब 24 रुपये शिक्षकों को दिये जायेंगे. मूल्यांकन में प्रदेश भर से 2700 शिक्षकों को लगाया गया है.
 
इसमें मैट्रिक में 2016 और इंटरमीडिएट के लिए 691 शिक्षकों को मूल्यांकन के लिए लगाया गया है. मूल्यांकन में लगभग दो से तीन सौ शिक्षक शामिल नहीं हुए हैं. प्रदेश भर में 25 जिलों में 26 मूल्यांकन केंद्र बनाये गये हैं. हर जिले में एक मूल्यांकन केंद्र है और पटना जिले में दो मूल्यांकन केंद्र पर उत्तरपुस्तिका की जांच हो रही है.  
 
रजिस्ट्रेशन फाॅर्म में त्रुटि सुधार अब 30 तक : इंटरमीडिएट रजिस्ट्रेशन फाॅर्म में त्रुटि सुधार के लिए 30 नवंबर तक का समय दिया गया है. जिन छात्रों के रजिस्ट्रेशन फाॅर्म में किसी तरह की गड़बड़ी हो गयी हो, एेसे छात्र अब 30 नवंबर तक अपनी त्रुटि में सुधार कर पायेंगे. 
 
जोड़ी जा सकती है बच्चों के कूल्हे की हड्डी
 
कूल्हे की हड्डी टूटने पर व्यक्ति का सामान्य रूप से चलना मुश्किल हो जाता है. लेकिन, पेल्वी एसिटाबुलर सर्जरी हड्डी जोड़ने का सबसे बेहतर तरीका है. ये बातें एनएमसीएच हड्डी विभाग व आस्था लोक अस्पताल के डॉ महेश प्रसाद ने रविवार को बिहार ऑर्थोपेडिक्स एसोसिएशन की ओर से बच्चों के कूल्हे की टूटी हड्डी के बचाव व कारण विषय पर आयोजित एक सेमिनार में कहीं. 
 
कार्यक्रम का उद्घाटन एसोसिएशन के सचिव डॉ राजीव आनंद, पीएमसीएच के डॉ वीके सिन्हा व दिल्ली से आये डॉ मनोज पदमन ने किया. सेमिनार में बिहार के अलावे दिल्ली व कोलकाता से हड्डी रोग के डॉक्टर जुटे थे. वहीं, डॉ महेश ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में घायल होनेवालों  में तीन से चार प्रतिशत ऐसे लोग होते हैं, जिनकी कूल्हे की हड्डी टूट जाती है. 
 
आमतौर पर इसके टूटने के बाद व्यक्ति विकलांग सा हो जाता था. लेकिन,  सर्जरी से उसका जीवन सामान्य हो सकता है. बच्चों में तेजी से बढ़ रही यह बीमारी : कोलकाता से आये डॉ राजीव चटर्जी ने कहा कि बच्चों में कूल्हे टूटने से हो रही परेशानी बढ़ी हैं. एक साल से 12 साल के बच्चों में इस तरह के मामले देखने को अधिक मिल रहे हैं. 
 
लेकिन, अब प्रोगेजेनल फिमरेबल तकनीक से हड्डी को काट कर उसे सीधा किया जा सकता है. वहीं, दिल्ली से आये डॉ मनोज पदमन ने बताया कि सर्जरी करते समय मरीज के कमर के निचले हिस्से में चीरा लगा कर अंदर के लिगामेंट को जोड़ने के साथ हड्डी में विशेष प्रकार के मेटल को लगाया जाता है. इससे मरीजों को परेशानी दूर हो जाती है. 
 
पटना के डॉ राजीव कुमार सिंह ने कहा कि भारत में अभी घुटने या कूल्हे के जोड़ बदलवाने का प्रचलन पश्चिमी देशों के मुकाबले बहुत कम है. एक मोटे अनुमान के मुताबिक अमेरिका में जहां सालाना 450000 जोड़ बदले जा रहे हैं. 
 

वहीं, भारत में इनकी तादाद महज 20000 है. लेकिन, अब हिप का प्रत्यारोपण आसानी से किया जा सकता है. इसके लिए विदेश जाने की आवश्यकता नहीं है. अब पटना में ही यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक किये जा रहे हैं. जो विदेशों के मुकाबले काफी सस्ते भी है.
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