मोतिहारी : टीइटी परीक्षा मेें फेल अभ्यर्थियों का फर्जी प्रमाण पत्र पर
नियोजन का मामला पकड़े जाने के बाद विभागीय स्तर पर कार्रवाई न होना
कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है. ऐसे एक-दो नहीं बल्कि करीब 150 मामले
सिर्फ पूर्वी चंपारण में हैं.
आश्चर्य तो यह है कि बोर्ड के सचिव व अध्यक्ष का फर्जी हस्ताक्षर से अंक पत्र बना डायट में आवेदन देनेवाले करीब आधे दर्जन शिक्षकों के पकड़े जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई.
आश्चर्य तो यह है कि बोर्ड के सचिव व अध्यक्ष का फर्जी हस्ताक्षर से अंक पत्र बना डायट में आवेदन देनेवाले करीब आधे दर्जन शिक्षकों के पकड़े जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई.
दूसरी ओर टाॅपर्स घोटाले में संबंधित बोर्ड अधिकारी जेल में हैं
और उन्हीं लोगों का फर्जी हस्ताक्षर कर नामांकन कराने वाले शिक्षक नौकरी कर
रहे हैं. टीइटी मामले में विभाग ने शिक्षकों का सिर्फ वेतन बंद किया है.
इस मामले में संबंधित कार्यालय के कुछ कर्मियों की भूमिका संदेह के घेरे
में हैं. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार तीन वर्ष पूर्व हुई टीइटी
परीक्षा में सफलता प्रमाण पत्र के आधार पर करीब 200 शिक्षक जिले के विभिन्न
प्रखंडों के स्कूलों में योगदान कर नौकरी करने लगे.
विभागीय स्तर पर प्रमाण पत्र सत्यापन के लिए बिहार बोर्ड में प्रमाण
पत्र भेजा गया. जहां से करीब 150 शिक्षकों के प्रमाण पत्र के संदर्भ में
पत्र व सीडी भेजा प्रमाण पत्र बोर्ड से प्रमाण पत्र निर्गत न होने की बात
कही गयी. निर्देश में ऐसे चिह्नित शिक्षक व नियोजन ईकाईयों पर कार्रवाई का
निर्देश दिया गया. जहां नियोजन ईकाईयों से कार्रवाई करते हुए स्पष्टीकरण की
मांग की गयी. मजे की बात यह है कि न कहीं से स्पष्टीकरण आया है और न ही
कहीं कार्रवाई हुई है.