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बिहार में 94 हजार प्राथमिक शिक्षकों का भविष्य अधड़ में, बहाली प्रक्रिया स्थगित

बिहार में 94 हजार प्राथमिक शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया फिलहाल स्थगित कर दी गई है। जिसकी प्रक्रिया पर पटना हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद 94हजार प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया को लेकर शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। बता दें कि बुधवार को पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए राज्य के सभी नियोजन इकाईयों को मेधा सूची निर्माण पर रोक लगाने का आदेश दे दिया है।



दरअसल शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया के नियमों में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने शिक्षक बहाली प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी थी। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब भी मांगा था। जिसकी अगली सुनवाई 4 सितंबर को की जाएगी शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार एनआईओएस द्वारा 18 माह का सेवाकालीन D.El.Ed कोर्स करने वाले एवं TET सीटीईटी उत्तीर्ण सभी भारतीयों से अभ्यर्थियों से 14 जुलाई तक आवेदन लिए जाएंगे। लेकिन उसके आगे की प्रक्रिया फिलहाल स्थगित रहेगी। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा करीब 94000 शिक्षकों के नियोजन मामले में 17 दिसंबर 2019 को यह आदेश दिया गया था, कि पहली से पांचवी कक्षा तक के शिक्षकों की नियुक्ति में 2 साल तक का डीएलएड कोर्स करने वालों को ही प्राथमिकता मिलेगी। जबकि S.T.E.T. के अभ्यर्थियों के जगह नहीं मिलने पर शिक्षा स्नातक B.Ed की योग्यता वाले अभ्यर्थियों का चुनाव किया जाएगा।

जबकि दोनों की मेघा सूची अलग-अलग बनेगी। बता दे कि यह आदेश मेघा सूची के निर्माण से संबंधित था। जिस पर शिक्षा विभाग ने 3 जुलाई को रोक लगा दिया है। जबकि पटना हाईकोर्ट ने प्रारंभिक शिक्षक बहाली प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए सरकार को 4 दिसंबर तक जवाबी हलफनामा दायर करके स्थिति को स्पष्ट करने का आदेश दिया है। जिसके लिए न्यायमूर्ति डॉक्टर अनिल कुमार उपाध्याय की एकल पीठ ने नीरज कुमार सहित 71 सीटीईटी परीक्षा पास उम्मीदवारों की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई की है। जबकि आवेदकों की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और रितिका रानी ने कोर्ट को यह बताया है कि शिक्षा विभाग द्वारा प्रायमरी टीचर की बहाली के लिए पिछले वर्ष 5 जुलाई को एक अधिसूचना जारी की गई थी। उनका इस अधिसूचना के आलोक में विभाग द्वारा 8 जून को प्रारंभिक शिक्षक बहाली के लिए विज्ञापन प्रसारित किया गया था। जहा विज्ञापन के अनुसार एनआईओएस द्वारा संचालित सेवाकालीन 18 माह के d.led एवं टीईटी तथा सीटीईटी पास उम्मीदवारों को 15 जून से 14 जुलाई तक आवेदन करना था।
जिसके विज्ञापन में मेघा सूची की तैयारी सहित उसका अनुमोदन सूची का प्रकाशन आपत्ति और आपत्ति का निराकरण सभी के लिए समय सीमा तय किए गए थे। जबकि इसी के दौरान विभाग ने 15 जून को एक समिति पत्र जारी कर के सीटीईटी पास उम्मीदवारों का आवेदन नहीं लेने का निर्देश जारी कर दिया। जबकि आवेदकों के वकीलों का यह भी कहना है कि एक बार विज्ञापन प्रकाशित किए जाने के बाद विज्ञापन के शर्तों में फेरबदल नहीं किया जा सकता है। लेकिन विभाग ने ऐसा करके छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। साथ ही उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया है कि 2012 में टीईटी परीक्षा पास छात्रों की मान्यता अवधि को बढ़ाकर 14 मई 2021 तक का दिया गया है। जबकि 2019 में पास सीटीईटी परीक्षा के उम्मीदवारों का आवेदन नहीं लेना अपने आप में गैरकानूनी है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि पूरे राज्य में लगभग 94000 शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया चलाई गई है। जिसके बाद कोर्ट ने आवेदकों की ओर से दी गई दलील को मंजूरी देते हुए बहाली प्रक्रिया पर रोक लगा देती है। जिसके अगली सुनवाई 4 सितंबर को तय की गई है।

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