बिहार में 90 हजार शिक्षकों (90000 Bihar Primary Teacher Recruitment)
की चल रही भर्ती में हाईकोर्ट (Patna High Court) के आदेश के बाद भले ही
नियोजन प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है, लेकिन इसके बाद भी आवेदन
प्रक्रिया जारी है। सरकार ने अभी आवेदन प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश
नहीं जारी किया है।
बता दें, बिहार में शिक्षकों की भर्ती (90000 Bihar Primary Teacher Recruitment) की खातिर चल रही भर्ती में बीएड अभ्यर्थियों ने भी दावा किया है। इस भर्ती में शामिल होने को लेकर हाईकोर्ट (Patna High Court) में याचिका भी दाखिल की है। हाईकोर्ट (Patna High Court) ने इस भर्ती को अभी फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। हाईकोर्ट (Patna High Court) के आदेश पर शिक्षा विभाग ने बुधवार को इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है, लेकिन इसके बाद भी अभी आवेदन प्रक्रिया जारी है।
बिहार शिक्षा
विभाग में शिक्षकों की जारी भर्ती (Bihar Primary Teacher Recruitment) पर
14 जुलाई के बाद में जारी शेड्यूल पर रोक विभाग ने लगा दी है। विभाग की तरफ
से जारी किए गए आदेश में यह भी कहा गया है कि 14 जुलाई तक 18 माह का
डीएलएड कोर्स करने वाले और टीईटी (TET) या सीटीईटी (CTET) परीक्षा उत्तीर्ण
अभ्यर्थी ही आवेदन कर सकते हैं। बता दें, हाईकोर्ट (Patna High Court) ने
बीएड अभ्यर्थियों को न शामिल करने की वजह से भर्ती पर ही रोक लगा दी है।
इस संबंध में शिक्षा विभाग के उपसचिव अरशद फिरोज ने बताया कि हाइकोर्ट से स्पष्ट आदेश मिलने के बाद ही भविष्य में (Bihar Primary Teacher Recruitment) नियोजन प्रक्रिया की अगली कार्रवाई शुरू की जाएगी। उन्होंने अपने पत्र में नीरज कुमार एवं अन्य बनाम राज्य सरकार और हरे राम कुमार एवं अन्य बनाम राज्य सरकार के मामले का जिक्र किया है। बता दें, हाइकोर्ट (Patna High Court) ने अंतिम चयन सूची पर तब तक के लिए रोक लगा दी है, जब तक कि इस मामले में आये मुद्दों पर स्पष्ट आदेश न हो जाए।
बिहार में
शिक्षकों की चल रही भर्ती (Bihar Primary Teacher Recruitment) में प्रदेश
सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है। हाईकोर्ट (Patna High Court) में दायर
याचिका में यह बताया गया कि सरकार दो वर्षीय डीएलएड (DLED) कोर्स करने वाले
अभ्यर्थियों को ही मौका दे रही है। इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए
न्यायमूर्ति डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने हेमंत कुमार व अन्य की
तरफ से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए सिर्फ डीएलएड (DLED)
अभ्यर्थियों का पक्ष लेने पर रोक लगा दी है।
उन्होंने इस मामले में बिहार सरकार से सात सितंबर तक जवाब भी मांगा है। हालांकि, नियोजन प्रक्रिया जारी रहेगी, लेकिन अंतिम मेधा सूची के प्रकाशन पर राज्य सरकार ने यह विभागीय आदेश 17 दिसंबर, 2019 को जारी किया था।
बता दें, हाईकोर्ट (Patna High Court) ने बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के इस आदेश को प्रथमदृष्टया भेदभावपूर्ण मानते हुए उसे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार दिया है। इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता यदुवंश गिरि ने कोर्ट (Patna High Court) को बताया कि प्राथमिक स्कूलों (Bihar Primary Teacher Recruitment) में कक्षा एक से पांचवीं तक के शिक्षकों के नियोजन के लिए संबंधित नियमावली में बीएड करने वाले स्नातक अभ्यार्थियों को अहर्ताधारी बताया गया है। उन्होंने बताया कि बीएड अभ्यार्थियों को छह महीने के सेतु पाठ्यक्रम से प्रशिक्षित होना अनिवार्य भी बताया गया है।
उन्होंने बताया कि इस भर्ती (Bihar Primary Teacher Recruitment) में गैर स्नातकों के बारे में कहा गया है कि उन्हें एनसीटीई (NCTE) से मान्यताप्राप्त संस्थानों से दो वर्षीय डीएलएड कोर्स करना बहुत ही जरूरी होगा। कोर्ट में वकील ने यह भी तर्क दिया कि नियोजन नियमावली यह कहीं नही कहती है कि नियोजन सिर्फ दो वर्षीय डीएलएड वाले अभ्यार्थियों के लिए ही विचारणीय होगा।
बिहार में 90 हजार
शिक्षकों की भर्ती (Bihar Primary Teacher Recruitment) के लिए 17 दिसंबर
2019 को जारी आदेश में साफ कहा गया था कि प्रारंभिक शिक्षक नियोजन में दो
वर्षीय डीएलएड (DLED) अभ्यर्थियों का नियोजन पहले किया जाएगा। अगर इस भर्ती
के लिए डीएलएड अभ्यर्थी नहीं मिलते हैं, तो बीएड करने वाले अभ्यर्थियों को
मौका दिया जाएगा।
सरकार ने यह भी आदेश दिया था कि कक्षा एक से पांच तक के लिए डीएलएड व बीएड (B.ED) दोनों प्रकार के प्रशिक्षित शिक्षकों की वरीयता सूची अलग-अलग तैयार की जाएगी। इसी प्रकार मेधा सूची से जुड़ा आदेश जारी किया गया था, लेकिन उसे तैयार करने पर अब हाइकोर्ट (Patna High Court) ने रोक लगा दी है।
फिलहाल शिक्षा विभाग ने हाइकोर्ट (Patna High Court) के दोनों आदेशों के अनुपालन में 17 दिसंबर, 2019 से संबंधित नियोजन करते हुए पूरी प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है। इस मामले में पहले ही नीरज कुमार बनाम राज्य सरकार के केस में पटना हाइकोर्ट (Patna High Court) ने नियोजन पत्र देने पर रोक लगाई है। इस मामले पर अब सुनवाई 4 सितम्बर को होनी है।
बता दें, बिहार में शिक्षकों की भर्ती (90000 Bihar Primary Teacher Recruitment) की खातिर चल रही भर्ती में बीएड अभ्यर्थियों ने भी दावा किया है। इस भर्ती में शामिल होने को लेकर हाईकोर्ट (Patna High Court) में याचिका भी दाखिल की है। हाईकोर्ट (Patna High Court) ने इस भर्ती को अभी फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। हाईकोर्ट (Patna High Court) के आदेश पर शिक्षा विभाग ने बुधवार को इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है, लेकिन इसके बाद भी अभी आवेदन प्रक्रिया जारी है।
पटना हाईकोर्ट ने लगाई भर्ती पर रोक
इस संबंध में शिक्षा विभाग के उपसचिव अरशद फिरोज ने बताया कि हाइकोर्ट से स्पष्ट आदेश मिलने के बाद ही भविष्य में (Bihar Primary Teacher Recruitment) नियोजन प्रक्रिया की अगली कार्रवाई शुरू की जाएगी। उन्होंने अपने पत्र में नीरज कुमार एवं अन्य बनाम राज्य सरकार और हरे राम कुमार एवं अन्य बनाम राज्य सरकार के मामले का जिक्र किया है। बता दें, हाइकोर्ट (Patna High Court) ने अंतिम चयन सूची पर तब तक के लिए रोक लगा दी है, जब तक कि इस मामले में आये मुद्दों पर स्पष्ट आदेश न हो जाए।
याचिकाकर्ताओं ने कहा, हमारे साथ हो रहा भेदभाव
उन्होंने इस मामले में बिहार सरकार से सात सितंबर तक जवाब भी मांगा है। हालांकि, नियोजन प्रक्रिया जारी रहेगी, लेकिन अंतिम मेधा सूची के प्रकाशन पर राज्य सरकार ने यह विभागीय आदेश 17 दिसंबर, 2019 को जारी किया था।
बता दें, हाईकोर्ट (Patna High Court) ने बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के इस आदेश को प्रथमदृष्टया भेदभावपूर्ण मानते हुए उसे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार दिया है। इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता यदुवंश गिरि ने कोर्ट (Patna High Court) को बताया कि प्राथमिक स्कूलों (Bihar Primary Teacher Recruitment) में कक्षा एक से पांचवीं तक के शिक्षकों के नियोजन के लिए संबंधित नियमावली में बीएड करने वाले स्नातक अभ्यार्थियों को अहर्ताधारी बताया गया है। उन्होंने बताया कि बीएड अभ्यार्थियों को छह महीने के सेतु पाठ्यक्रम से प्रशिक्षित होना अनिवार्य भी बताया गया है।
उन्होंने बताया कि इस भर्ती (Bihar Primary Teacher Recruitment) में गैर स्नातकों के बारे में कहा गया है कि उन्हें एनसीटीई (NCTE) से मान्यताप्राप्त संस्थानों से दो वर्षीय डीएलएड कोर्स करना बहुत ही जरूरी होगा। कोर्ट में वकील ने यह भी तर्क दिया कि नियोजन नियमावली यह कहीं नही कहती है कि नियोजन सिर्फ दो वर्षीय डीएलएड वाले अभ्यार्थियों के लिए ही विचारणीय होगा।
सरकार ने डीएलएड उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के नियोजन का दिया निर्देश
सरकार ने यह भी आदेश दिया था कि कक्षा एक से पांच तक के लिए डीएलएड व बीएड (B.ED) दोनों प्रकार के प्रशिक्षित शिक्षकों की वरीयता सूची अलग-अलग तैयार की जाएगी। इसी प्रकार मेधा सूची से जुड़ा आदेश जारी किया गया था, लेकिन उसे तैयार करने पर अब हाइकोर्ट (Patna High Court) ने रोक लगा दी है।
फिलहाल शिक्षा विभाग ने हाइकोर्ट (Patna High Court) के दोनों आदेशों के अनुपालन में 17 दिसंबर, 2019 से संबंधित नियोजन करते हुए पूरी प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है। इस मामले में पहले ही नीरज कुमार बनाम राज्य सरकार के केस में पटना हाइकोर्ट (Patna High Court) ने नियोजन पत्र देने पर रोक लगाई है। इस मामले पर अब सुनवाई 4 सितम्बर को होनी है।