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बिहार के इस स्कूल के बच्चों को चार वर्षों से नहीं मिला है मध्याहन भोजन

प.चंपारण [जेएनएन]। पश्चिम चंपारण में एक विद्यालय ऐसा भी है जहां चार वर्षों से मध्याहन भोजन नहीं बना है। यहीं नहीं, इस विद्यालय के छात्र भवन के अभाव में खुले में पढ़ने को मजबूर हैं। यहां कुल 80 छात्रों का नामांकन हुआ है लेकिन पढा़ने वाले शिक्षकों की संख्या मात्र दो है।

पश्चिमी चंपारण के खरपोखरा के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय भैंसही में पढऩेवाले बच्चों ने आज तक मध्याह्न भोजन का स्वाद नहीं चखा। स्थापना के चार साल बाद भी यह पोखर के तट पर चल रहा है। यह स्कूल बगहा एक प्रखंड की सिगाड़ी पिपरिया पंचायत के छोटकी भैंसही गांव में है।
स्कूल में तकरीबन 80 छात्र नामांकित हैं। गत वर्ष सभी भवनहीन विद्यालयों को समीप के स्कूलों में टैग किया गया था, लेकिन इसपर किसी की नजर नहीं गई। ग्रामीणों का कहना है कि महादलितों के बच्चों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है।
दो शिक्षकों की बहाली
16 अप्रैल 2013 को इस विद्यालय की स्थापना की गई थी। महादलित बच्चों को शिक्षित करने एवं सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के उद्देश्य से इसे खोला गया था। लेकिन, शिक्षा विभाग के अधिकारियों की सुस्ती से अब तक महादलित बच्चों को मिड डे मील नसीब नहीं हो सका है। इसको लेकर ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
पोखर के तट पर होती पढ़ाई
गए चार सालों से पोखर के किनारे स्कूल चल रहा है। उसी समय बतौर शिक्षक बलिस्टर राम ने योगदान दिया। 16 दिसम्बर 2016 को एक अन्य शिक्षक दीनानाथ प्रसाद भी आए। ग्रामीण बुनेली पासवान, सुबास डोम, भिखारी पासवान, बुना देवी, गीता देवी, चंदा देवी, सुनीता देवी सहित कई ग्रामीण यहां की व्यवस्था से क्षुब्ध हैं। पंचायत प्रतिनिधि रामाधार राम भी व्यवस्था से आहत हैं।

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