जमुई। पूर्व विधायक सुमित कुमार सिंह ने प्रेस
विज्ञप्ति जारी कर कहा कि बिहार के कई जिलों में शिक्षकों को कई महीने से
वेतन नहीं मिला है। विशेषकर जमुई जिला के नियोजित शिक्षकों को नवम्बर से
वेतन नहीं मिल रहा है। पूरे सात माह से वेतन नहीं मिलने से उनकी स्थिति
क्या हो गयी?
क्या इस स्थिति में कोई सम्मानित शिक्षक हमारे बच्चों को समुचित शिक्षा देने की मानोदशा में रह सकते हैं? जो अपनी सामाजिक-पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए आर्थिक संकट से दो-चार हों, जिन्हें अपने परिश्रम का पारिश्रमिक ही उपयुक्त समय पर तो दूर सात माह बाद भी नहीं मिल पा रहा हो वह कितने संतोष एवं आनंद के भाव के साथ अपने अध्यापन की जिम्मेदारी निभा पायेंगे। बच्चों में नैतिक संबल और चारित्रिक मजबूती का संचार कैसे करेंगे? जब उन्हें ही अपने परिश्रम का फल नहीं मिल पा रहा है, तो वह कैसे शिक्षा दे पायेंगे कि परिश्रम का फल मीठा होता है? वैसे कैसे बता पायेंगे मेहनत से सबको मुकाम मिलता है, जब उन्हें ही उसका फल नहीं मिल रहा है. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
पूर्व विधायक सुमित कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री से इस संबंध में शीघ्र हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा कि पौराणिक परंपरा और आधुनिक नजरिये के अनुसार किसी भी हाल में शिक्षण की जिम्मेदारी का निर्वाह करने वाले गुरुजनों अथवा, शिक्षकों को बिल्कुल समय पर पूरा एवं यथोपयुक्त वेतन मिल जाना चाहिए। जिससे उनका एवं उनके परिजनों का सम्मान के साथ भरण-पोषण हो सके. तभी तो वह सुकून के साथ अपना दायित्व निभा पायेंगे। अगर शासन व्यवस्था ससमय शिक्षकों को वेतन न दे पाए तो यह शर्मनाक है, कलंक के टीका के समान है। वहीं अपने भविष्य से खिलवाड़ भी है। इसलिए सभी जिम्मेदार पदधारियों से विनम्र निवेदन है कि इस मसले पर किसी तरह की कोई कोताही न बरतें, जमुई जिला समेत सभी नियोजित शिक्षकों को शीघ्र बकाये वेतन का भुगतान सुनिश्चित करवाएं।
– अभिषेक कुमार सिंह, ग्राम समाचार,जमुई की रिपोर्ट।
क्या इस स्थिति में कोई सम्मानित शिक्षक हमारे बच्चों को समुचित शिक्षा देने की मानोदशा में रह सकते हैं? जो अपनी सामाजिक-पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए आर्थिक संकट से दो-चार हों, जिन्हें अपने परिश्रम का पारिश्रमिक ही उपयुक्त समय पर तो दूर सात माह बाद भी नहीं मिल पा रहा हो वह कितने संतोष एवं आनंद के भाव के साथ अपने अध्यापन की जिम्मेदारी निभा पायेंगे। बच्चों में नैतिक संबल और चारित्रिक मजबूती का संचार कैसे करेंगे? जब उन्हें ही अपने परिश्रम का फल नहीं मिल पा रहा है, तो वह कैसे शिक्षा दे पायेंगे कि परिश्रम का फल मीठा होता है? वैसे कैसे बता पायेंगे मेहनत से सबको मुकाम मिलता है, जब उन्हें ही उसका फल नहीं मिल रहा है. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
पूर्व विधायक सुमित कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री से इस संबंध में शीघ्र हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा कि पौराणिक परंपरा और आधुनिक नजरिये के अनुसार किसी भी हाल में शिक्षण की जिम्मेदारी का निर्वाह करने वाले गुरुजनों अथवा, शिक्षकों को बिल्कुल समय पर पूरा एवं यथोपयुक्त वेतन मिल जाना चाहिए। जिससे उनका एवं उनके परिजनों का सम्मान के साथ भरण-पोषण हो सके. तभी तो वह सुकून के साथ अपना दायित्व निभा पायेंगे। अगर शासन व्यवस्था ससमय शिक्षकों को वेतन न दे पाए तो यह शर्मनाक है, कलंक के टीका के समान है। वहीं अपने भविष्य से खिलवाड़ भी है। इसलिए सभी जिम्मेदार पदधारियों से विनम्र निवेदन है कि इस मसले पर किसी तरह की कोई कोताही न बरतें, जमुई जिला समेत सभी नियोजित शिक्षकों को शीघ्र बकाये वेतन का भुगतान सुनिश्चित करवाएं।
– अभिषेक कुमार सिंह, ग्राम समाचार,जमुई की रिपोर्ट।