"खुल रहा है हड़ताल का राज"
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आदरणीय प्रदीप कुमार पप्पू जी के नेतृत्व एवं ब्रजनंदन शर्मा के संरक्षण में दिनांक - 19.04.2017 से बिहार में छिटपुट हड़ताल चल रही है। जैसे-जैसे यह असफल आन्दोलन आगे बढ़ रहा है इसका सच भी धीरे-धीरे सामने आ रहा है। हड़ताल के पीछे के सच को गंभीरता पूर्वक लेंगे।
👉 जिला पदाधिकारी, मधेपुरा के आदेशानुसार दिनांक - 18.11.2016 को गठित टीम द्वारा विद्यालय निरीक्षण के क्रम में विद्यालय पूर्णतः बंद पाये जाने के कारण जिला शिक्षा पदाधिकारी, मधेपुरा के पत्रांक - 1918, दिनांक - 13.12.2016 के आलोक में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) मधेपुरा ने कार्यालय आदेश ज्ञापांक - 300, दिनांक - 20.03.2017 के द्वारा जिले के 10 प्रधान शिक्षकों पर निलंबन की कार्रवाई हेतु संबंधित नियोजन इकाई को लिखा है।
हैरत की बात यह है कि जिन 10 शिक्षकों पर निलंबन का गाछ गिरा है उनमें बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री प्रदीप कुमार पप्पू (रा0 प्रा0, वि0 हिलोरवा, प्रखंड - शंकरपुर, जिला - मधेपुरा) भी शामिल है।
20 मार्च 2017 को उनपर निलंबन का गाछ गिरते ही उन्होंने आन्दोलन की तैयारी का बहाना खोजना प्रारंभ किया। (क्योंकि उस समय तक उनका सारा आन्दोलन समाप्त हो गया था।) संयोग कहें 23 मार्च को पटना में पूरण जी के कार्यक्रम में वाटर केनन, रोड़ा बाजी, लाठीचार्ज हुई जिसमें अन्य शिक्षक - शिक्षिकाओं के साथ पूरण कुमार खुद जख्मी हुए। इस घटना ने पप्पू जी को अपने निलंबन का गुस्सा उतारने के लिए अच्छा खासा बहाना दे दिया। और पप्पू जी बिना समय गंवाये आनन फानन में घटना के दुसरे दिन 24 मार्च को 17 अप्रैल से हड़ताल की घोषणा कर दी। बाद में 17 एवं 18 अप्रैल कि छुट्टी याद पड़ी तो हड़ताल को 19 अप्रैल से कर दिया। हड़ताल के समय को लम्बा रखकर हड़ताल के बहाने दवाब बनाकर अपने निलंबन को समाप्त कराने का मात्र एक उद्देश्य था ना कि कुछ और।
👉 पप्पू जी का जब ना निलंबन समाप्त हुआ ना उनके झासें में अन्य कोई प्रमुख संगठन आया तो उन्होंने प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री ब्रजनंदन शर्मा के पास जाकर शरण ली और आंदोलन कि अध्यक्षता श्री शर्मा जी को सौंप दी। ताकि आन्दोलन के बहाने पप्पू जी का बेड़ा पार हो जाय। एवं प्राथमिक शिक्षक संघ से नजदीक रिस्ता भी बन जाये। और भविष्य में संघ का नाम बदलने में माहिर पप्पू जी का विलय प्राथमिक शिक्षक संघ में कर भविष्य में राज्याध्यक्ष बनने का स्वप्न भी पूरा जो जाय।
यहाँ हम पप्पू जी के अस्तित्व कि बात करेंगे। एक राज्याध्यक्ष हमेशा कोई न कोई कार्यक्रम में अलग-अलग जगहों का दौडा पर रहते हैं। जिससे विभागीय पदाधिकारी भी अवगत रहते हैं। इसके बावजूद भी जिला स्तरीय पदाधिकारी राज्याध्यक्ष के विद्यालय का निरीक्षण कर कार्रवाई करें। इससे बड़ी शर्म की बात और क्या हो सकती है? इससे उनके सांगठनिक राजनीतिक अस्तित्व के ग्राफ की जानकारी आसानी से लगाया जा सकता है। इससे कमजोर पड़े पप्पू जी का कमजोर आन्दोलन से "रिजल्ट" का आकलन सहजता से लगाया जा सकता है।
2015 के पूर्व भी पप्पू जी द्वारा हड़तालें कि गई थी। जिसका पता तक अधिकांश शिक्षकों को नहीं हो पायी थी। हड़ताल में जाने कि बात तो दूर। यह हड़ताल 2015 के सफल हड़ताल को देखकर एवं सोशल मीडिया के बल पर कुछ सीमित क्षेत्रों में लोकप्रिय हो गयी। अन्यथा इनके पुराने हड़ताल की तरह इनके इस हड़ताल का भी पता नहीं चलता।
कुछ लोग इस पप्पू बचाव हड़ताल में बिना दायें - बायें देखे। कभी किसी निर्णायक लड़ाई को जिते बगैर सिकन्दर महान बनना चाहते हैं। वैसे साथियों से अनुरोध है कि जोश में होश को संभाल कर रखें भविष्य में काम आयेंगे। ऐसा ना हो कि हड़ताल समाप्ति बाद होश बेहोश में ना बदल जाये।
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आपका शुभ चिंतक
एक आम नियोजित शिक्षक
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आदरणीय प्रदीप कुमार पप्पू जी के नेतृत्व एवं ब्रजनंदन शर्मा के संरक्षण में दिनांक - 19.04.2017 से बिहार में छिटपुट हड़ताल चल रही है। जैसे-जैसे यह असफल आन्दोलन आगे बढ़ रहा है इसका सच भी धीरे-धीरे सामने आ रहा है। हड़ताल के पीछे के सच को गंभीरता पूर्वक लेंगे।
👉 जिला पदाधिकारी, मधेपुरा के आदेशानुसार दिनांक - 18.11.2016 को गठित टीम द्वारा विद्यालय निरीक्षण के क्रम में विद्यालय पूर्णतः बंद पाये जाने के कारण जिला शिक्षा पदाधिकारी, मधेपुरा के पत्रांक - 1918, दिनांक - 13.12.2016 के आलोक में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) मधेपुरा ने कार्यालय आदेश ज्ञापांक - 300, दिनांक - 20.03.2017 के द्वारा जिले के 10 प्रधान शिक्षकों पर निलंबन की कार्रवाई हेतु संबंधित नियोजन इकाई को लिखा है।
हैरत की बात यह है कि जिन 10 शिक्षकों पर निलंबन का गाछ गिरा है उनमें बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री प्रदीप कुमार पप्पू (रा0 प्रा0, वि0 हिलोरवा, प्रखंड - शंकरपुर, जिला - मधेपुरा) भी शामिल है।
20 मार्च 2017 को उनपर निलंबन का गाछ गिरते ही उन्होंने आन्दोलन की तैयारी का बहाना खोजना प्रारंभ किया। (क्योंकि उस समय तक उनका सारा आन्दोलन समाप्त हो गया था।) संयोग कहें 23 मार्च को पटना में पूरण जी के कार्यक्रम में वाटर केनन, रोड़ा बाजी, लाठीचार्ज हुई जिसमें अन्य शिक्षक - शिक्षिकाओं के साथ पूरण कुमार खुद जख्मी हुए। इस घटना ने पप्पू जी को अपने निलंबन का गुस्सा उतारने के लिए अच्छा खासा बहाना दे दिया। और पप्पू जी बिना समय गंवाये आनन फानन में घटना के दुसरे दिन 24 मार्च को 17 अप्रैल से हड़ताल की घोषणा कर दी। बाद में 17 एवं 18 अप्रैल कि छुट्टी याद पड़ी तो हड़ताल को 19 अप्रैल से कर दिया। हड़ताल के समय को लम्बा रखकर हड़ताल के बहाने दवाब बनाकर अपने निलंबन को समाप्त कराने का मात्र एक उद्देश्य था ना कि कुछ और।
👉 पप्पू जी का जब ना निलंबन समाप्त हुआ ना उनके झासें में अन्य कोई प्रमुख संगठन आया तो उन्होंने प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री ब्रजनंदन शर्मा के पास जाकर शरण ली और आंदोलन कि अध्यक्षता श्री शर्मा जी को सौंप दी। ताकि आन्दोलन के बहाने पप्पू जी का बेड़ा पार हो जाय। एवं प्राथमिक शिक्षक संघ से नजदीक रिस्ता भी बन जाये। और भविष्य में संघ का नाम बदलने में माहिर पप्पू जी का विलय प्राथमिक शिक्षक संघ में कर भविष्य में राज्याध्यक्ष बनने का स्वप्न भी पूरा जो जाय।
यहाँ हम पप्पू जी के अस्तित्व कि बात करेंगे। एक राज्याध्यक्ष हमेशा कोई न कोई कार्यक्रम में अलग-अलग जगहों का दौडा पर रहते हैं। जिससे विभागीय पदाधिकारी भी अवगत रहते हैं। इसके बावजूद भी जिला स्तरीय पदाधिकारी राज्याध्यक्ष के विद्यालय का निरीक्षण कर कार्रवाई करें। इससे बड़ी शर्म की बात और क्या हो सकती है? इससे उनके सांगठनिक राजनीतिक अस्तित्व के ग्राफ की जानकारी आसानी से लगाया जा सकता है। इससे कमजोर पड़े पप्पू जी का कमजोर आन्दोलन से "रिजल्ट" का आकलन सहजता से लगाया जा सकता है।
2015 के पूर्व भी पप्पू जी द्वारा हड़तालें कि गई थी। जिसका पता तक अधिकांश शिक्षकों को नहीं हो पायी थी। हड़ताल में जाने कि बात तो दूर। यह हड़ताल 2015 के सफल हड़ताल को देखकर एवं सोशल मीडिया के बल पर कुछ सीमित क्षेत्रों में लोकप्रिय हो गयी। अन्यथा इनके पुराने हड़ताल की तरह इनके इस हड़ताल का भी पता नहीं चलता।
कुछ लोग इस पप्पू बचाव हड़ताल में बिना दायें - बायें देखे। कभी किसी निर्णायक लड़ाई को जिते बगैर सिकन्दर महान बनना चाहते हैं। वैसे साथियों से अनुरोध है कि जोश में होश को संभाल कर रखें भविष्य में काम आयेंगे। ऐसा ना हो कि हड़ताल समाप्ति बाद होश बेहोश में ना बदल जाये।
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आपका शुभ चिंतक
एक आम नियोजित शिक्षक