अगर मान लिया जाए की 2017 में ही हाई कोर्ट हमारे पक्ष में फैसला सुना देती है समान काम समान वेतन के मुद्दे पर दायर याचिका पर तो भी.....
(1)सरकार हाई कोर्ट के ही डबल बेंच में चली जाएगी और 2017कम से कम समाप्त हो ही जाएगा।
2)अगर जल्दी फैसला होगा तो भी एक साल बाद 2018 के अंत तक डबल बेंच का फैसला हमारे पक्ष में आएगा तो भी
3)सरकार सुप्रीम कोर्ट में चली जाएगी और जल्दी होगा तो भी 2020 का विधानसभा चुनाव आ जाएगा।
4)अगर मान लिया जाए की 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले ही सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आ जाता है हमारे पक्ष में और सरकार चुनाव से पहले लागू कर देती है तो भी यह केवल पूर्ण वेतनमान के समान केवल वेतन होगा ,सरकारी कर्मी का दर्जा नहीं।
5)यदि हम मुक़दमा नहीं किए होते तो सिर्फ एक हड़ताल में ही वर्त्तमान वेतनमान पर ही सही सरकारी कर्मी का दर्जा निश्चित रूप से प्राप्त कर लेते और यह 9300-34800(ग्रेड पे4200)के इतना ही फायदेमंद होता।
,,,,,याचिका दायर होने से अगले कुछ सालों तक सरकार को सुरक्षा कवच मिल गया है फिर भी जोरदार हड़ताल किया जाए तो सरकार को न्यायालय में मामला लम्बित होने के बावजूद ऐक्शन लेना ही पडेगा
(1)सरकार हाई कोर्ट के ही डबल बेंच में चली जाएगी और 2017कम से कम समाप्त हो ही जाएगा।
2)अगर जल्दी फैसला होगा तो भी एक साल बाद 2018 के अंत तक डबल बेंच का फैसला हमारे पक्ष में आएगा तो भी
3)सरकार सुप्रीम कोर्ट में चली जाएगी और जल्दी होगा तो भी 2020 का विधानसभा चुनाव आ जाएगा।
4)अगर मान लिया जाए की 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले ही सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आ जाता है हमारे पक्ष में और सरकार चुनाव से पहले लागू कर देती है तो भी यह केवल पूर्ण वेतनमान के समान केवल वेतन होगा ,सरकारी कर्मी का दर्जा नहीं।
5)यदि हम मुक़दमा नहीं किए होते तो सिर्फ एक हड़ताल में ही वर्त्तमान वेतनमान पर ही सही सरकारी कर्मी का दर्जा निश्चित रूप से प्राप्त कर लेते और यह 9300-34800(ग्रेड पे4200)के इतना ही फायदेमंद होता।
,,,,,याचिका दायर होने से अगले कुछ सालों तक सरकार को सुरक्षा कवच मिल गया है फिर भी जोरदार हड़ताल किया जाए तो सरकार को न्यायालय में मामला लम्बित होने के बावजूद ऐक्शन लेना ही पडेगा