सुपौल। प्रखंड क्षेत्र के सिसौनी पंचायत में एक ऐसे मदरसा का खुलासा हुआ है
जो कागज पर ही पूरी तरह संचालित है। परन्तु धरातल पर उक्त मदरसे के स्थान
पर एक व्यक्ति का निजी आवास है। मामले का खुलासा तब हुआ जब शिकायत मिलने के
बाद जिला कार्यक्रम पदाधिकारी शिवदयाल प्रसाद ने सिसौनी पंचायत स्थित
मदरसातुल बनात सिसौनी का निरीक्षण शनिवार को किया।
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी जब जांच करने सिसौनी पहुंचे तो पाया कि मदरसे के नाम पर जो भूमि चिन्हित की गई है, उस जमीन पर सिसौनी पंचायत निवासी व पूर्व मुखिया मो. सरफराज आलम का निजी घर अवस्थित है। जबकि मदरसे के नाम पर दिए गए दूसरे भूमि जो कि मदरसे की है इस भूमि से तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर अवस्थित है। जब उसका अवलोकन किया तो उक्त जमीन खाली थी। हालांकि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी शिवजी मंडल ने इस मदरसे की जांच कर पत्रांक 398 दिनांक 26-09-2016 के माध्यम से जांच प्रतिवेदन जिला शिक्षा पदाधिकारी को समर्पित किया था। जिसमें मदरसे को सही ठहराया था। अपने जांच प्रतिवेदन में बीईओ ने उक्त मदरसे के भवन में छह कमरे एक शौचालय सहित पेयजल व 10 बेंच 10 डेस्क 06 ब्लैक बोर्ड व अन्य जरूरी सामग्रियां होने का जिक्र किया था। साथ ही मदरसे में कुल 207 बच्चे नामांकित होने की बात कही थी और भौतिक सत्यापन में 115 बच्चे उपस्थित रहने का जिक्र अपने जांच प्रतिवेदन में बीईओ ने किया था। बीईओ ने मदरसे में अध्यक्ष सचिव, प्रधान, मौलवी सहायक शिक्षक व तीन सदस्य का जिक्र किया। परन्तु जब धरातल पर मदरसा ही नहीं है तो कैसे बीईओ ने अपने जांच प्रतिवेदन में इन सभी बातों का जिक्र किया। यह भी एक जांच का विषय है। फिलहाल इस सम्बंध में पूछने पर डीपीओ शिवदयाल प्रसाद ने बताया कि मदरसा का स्थल जांच करने के क्रम में पाया कि बीईओ द्वारा दिया गया जांच प्रतिवेदन पूर्ण रूप से गलत है। असत्य जांच प्रतिवेदन व फर्जी मदरसा संचालकों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई हेतु वरीय पदाधिकारियों को लिखा जा रह है।
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी जब जांच करने सिसौनी पहुंचे तो पाया कि मदरसे के नाम पर जो भूमि चिन्हित की गई है, उस जमीन पर सिसौनी पंचायत निवासी व पूर्व मुखिया मो. सरफराज आलम का निजी घर अवस्थित है। जबकि मदरसे के नाम पर दिए गए दूसरे भूमि जो कि मदरसे की है इस भूमि से तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर अवस्थित है। जब उसका अवलोकन किया तो उक्त जमीन खाली थी। हालांकि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी शिवजी मंडल ने इस मदरसे की जांच कर पत्रांक 398 दिनांक 26-09-2016 के माध्यम से जांच प्रतिवेदन जिला शिक्षा पदाधिकारी को समर्पित किया था। जिसमें मदरसे को सही ठहराया था। अपने जांच प्रतिवेदन में बीईओ ने उक्त मदरसे के भवन में छह कमरे एक शौचालय सहित पेयजल व 10 बेंच 10 डेस्क 06 ब्लैक बोर्ड व अन्य जरूरी सामग्रियां होने का जिक्र किया था। साथ ही मदरसे में कुल 207 बच्चे नामांकित होने की बात कही थी और भौतिक सत्यापन में 115 बच्चे उपस्थित रहने का जिक्र अपने जांच प्रतिवेदन में बीईओ ने किया था। बीईओ ने मदरसे में अध्यक्ष सचिव, प्रधान, मौलवी सहायक शिक्षक व तीन सदस्य का जिक्र किया। परन्तु जब धरातल पर मदरसा ही नहीं है तो कैसे बीईओ ने अपने जांच प्रतिवेदन में इन सभी बातों का जिक्र किया। यह भी एक जांच का विषय है। फिलहाल इस सम्बंध में पूछने पर डीपीओ शिवदयाल प्रसाद ने बताया कि मदरसा का स्थल जांच करने के क्रम में पाया कि बीईओ द्वारा दिया गया जांच प्रतिवेदन पूर्ण रूप से गलत है। असत्य जांच प्रतिवेदन व फर्जी मदरसा संचालकों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई हेतु वरीय पदाधिकारियों को लिखा जा रह है।