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बिहार के स्कूलों में टीचर्स की काफी कमी, टीचर्स की ट्रेनिंग पर 1.6 फीसदी ही खर्च

पटना : बिहार के स्कूलों में टीचर्स की काफी कमी है. टीचर्स की कमी के कारण क्वालिटी एजुकेशन बेहतर नहीं हो पा रहा है. 56 छात्रों पर एक शिक्षक कार्यरत है. शिक्षकों को वेतन देने में 51.6 फीसदी खर्च होता है, लेकिन उनको पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं दी जाती है. बिहार सरकार टीचर्स की ट्रेनिंग पर 1.6 फीसदी ही खर्च करती है. ये सारी बातें क्राइ (चाइल्ड राइट्स एंड यू) और सहयोगी संस्था सेंटर फॉर बजट्स एंड गवर्नेंस अकॉटविलिटी द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान निकल कर आयीं. ज्ञात हो कि केंद्र सरकार और 10 राज्यों की स्कूली शिक्षा पर खर्च किये जा रहे बजट का अध्ययन करने के बाद कई तथ्य इन संस्थाओं द्वारा सामने आया है. इसमें बिहार के अलावा छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य शामिल है.
 
सीबीजीए के निदेशक सुब्रत दास ने बताया कि बिहार में टीचर्स की सैलरी, मिड डे मील की स्थिति दूसरे राज्य की तुलना में थोड़ा बेहतर है. ट्रेनिंग और  संख्या की बात करें, तो यह बहुत खराब है. बिहार में 52 फीसदी शिक्षक ही प्रशिक्षित हैं. छात्रों की संख्या को देखते हुए दो लाख प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता है. वहीं, क्राइ इस्ट की प्रोग्राम हेड महुआ चटर्जी ने बताया कि क्वालिटी एजुकेशन के लिए शिक्षकों की कमी को दूर करना होगा. मौके पर प्रतिमा कुंडू, सीटू तिवारी मौजूद थीं.  
 
जीडीपी का 5.6 फीसदी शिक्षा पर खर्च करता है बिहार : देश के चुनिंदा राज्यों में बिहार है जो अपनी जीडीपी का 5.6 फीसदी शिक्षा पर खर्च करता है. इसमें बिहार ने कई राज्यों को पीछे छोड़ रखा है. उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु ऐसे राज्य है, जहां पर उनके जीडीपी का 2.09 से 5.00 फीसदी तक ही खर्च होता है.
 
नवोदय विद्यालय दे रहा सबसे बेहतर शिक्षा : वर्तमान में सबसे ज्यादा प्रति छात्र खर्च नवोदय विद्यालय में किया जाता है. नवोदय विद्यालय में प्रति छात्र 85 हजार रुपये सालाना खर्च किये जाते है. वहीं, दूसरे स्थान पर केंद्रीय विद्यालय संगठन करता है. केंद्रीय विद्यालय में प्रति छात्र 32,698 रुपये सालाना खर्च किया जाता है. वहीं अगर बिहार की बात करें तो बिहार में प्रति छात्र मात्र 9583 रुपये सालाना खर्च किये जाते हैं.
आरटीइ के अनुसार बिहार के एक भी स्कूल में इंफ्रास्ट्रक्चर पूरा नहीं 
 
स्कूल परिसर में पीने का पानी 94.2 फीसदी
 
स्कूल परिसर में गर्ल्स टायलेट 90 फीसदी 
चारदीवारी से घिरा स्कूल परिसर 53 फीसदी 
स्कूल में रैंप की व्यवस्था 87 फीसदी 

स्कूल के पास किचेन सेड 60.3 फीसदी

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