पटना: बिहार का स्कूली शिक्षा बजट राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 5.6% है जो जीडीपी के 2.7% हिस्से के राष्ट्रीय औसत से अधिक है। एक प्रमुख एनजीओ के अध्ययन में यह कहा गया है।
राष्ट्रीय औसत पिछले चार साल (2012-13 से लेकर 2015-16) तक स्थिर रहा है, इस अवधि के लिए चाइल्ड राइट एंड यू (सीआरवाई) ने अध्ययन किया।
सीआरवाई की कार्यक्रम प्रमुख महुआ चटर्जी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि बिहार ने अपने कुल बजट का 17.7% हिस्सा स्कूली शिक्षा पर खर्च किया लेकिन इसे अपने कुल खर्च को बढ़ाने की जरूरत है। ऐसा करते हुए कुछ बड़े राज्यों की तुलना में अपने छोटे बजट को ध्यान में रखना होगा।
यह अध्ययन सेंटर फॉर बजट, गवर्नेंस एंड अकाउंटबिलिटी (सीजीबीए) के साथ किया गया है। इसके तहत 10 राज्यों के स्कूली बजट की पड़ताल की गई जिनमें बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िशा, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
अध्ययन में शामिल 10 राज्यों में बिहार अपने कुल बजट का 17.7% हिस्सा स्कूली बजट पर खर्च करता है और इस मामले में यह सिर्फ महाराष्ट्र से पीछे है जो 18% खर्च करता है। चटर्जी ने कहा कि चूंकि कुछ बड़े राज्यों की तुलना में बिहार के बजट का आकार छोटा है इसलिए स्कूली शिक्षा पर 17.7% आवंटन पर्याप्त राशि नहीं है। इसलिए शिक्षकों की कमी, बुनियादी ढांचा बेहतर बनाने, प्रशिक्षण, निरीक्षण और स्कूलों की निगरानी के लिए कुल खर्च बढ़ाने की जरूरत है।
प्रति छात्र खर्च के मामले में बिहार महज 9,583 रुपया खर्च करता है। इस मामले में यह गोवा, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों से पीछे है। इसने कहा है कि बिहार में 63% प्राथमिक विद्यालय अनिवार्य छात्र शिक्षक अनुपात 1:30 के पूरा नहीं करता है। 1: 30 का अर्थ है। प्रति 30 छात्र पर एक शिक्षक। सीजीबीए के निदेशक सुब्रत दास ने बताया कि बिहार स्कूल शिक्षा बजट का 51.6% हिस्सा शिक्षकों के वेतन पर खर्च करता है।
राष्ट्रीय औसत पिछले चार साल (2012-13 से लेकर 2015-16) तक स्थिर रहा है, इस अवधि के लिए चाइल्ड राइट एंड यू (सीआरवाई) ने अध्ययन किया।
सीआरवाई की कार्यक्रम प्रमुख महुआ चटर्जी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि बिहार ने अपने कुल बजट का 17.7% हिस्सा स्कूली शिक्षा पर खर्च किया लेकिन इसे अपने कुल खर्च को बढ़ाने की जरूरत है। ऐसा करते हुए कुछ बड़े राज्यों की तुलना में अपने छोटे बजट को ध्यान में रखना होगा।
यह अध्ययन सेंटर फॉर बजट, गवर्नेंस एंड अकाउंटबिलिटी (सीजीबीए) के साथ किया गया है। इसके तहत 10 राज्यों के स्कूली बजट की पड़ताल की गई जिनमें बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िशा, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
अध्ययन में शामिल 10 राज्यों में बिहार अपने कुल बजट का 17.7% हिस्सा स्कूली बजट पर खर्च करता है और इस मामले में यह सिर्फ महाराष्ट्र से पीछे है जो 18% खर्च करता है। चटर्जी ने कहा कि चूंकि कुछ बड़े राज्यों की तुलना में बिहार के बजट का आकार छोटा है इसलिए स्कूली शिक्षा पर 17.7% आवंटन पर्याप्त राशि नहीं है। इसलिए शिक्षकों की कमी, बुनियादी ढांचा बेहतर बनाने, प्रशिक्षण, निरीक्षण और स्कूलों की निगरानी के लिए कुल खर्च बढ़ाने की जरूरत है।
प्रति छात्र खर्च के मामले में बिहार महज 9,583 रुपया खर्च करता है। इस मामले में यह गोवा, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों से पीछे है। इसने कहा है कि बिहार में 63% प्राथमिक विद्यालय अनिवार्य छात्र शिक्षक अनुपात 1:30 के पूरा नहीं करता है। 1: 30 का अर्थ है। प्रति 30 छात्र पर एक शिक्षक। सीजीबीए के निदेशक सुब्रत दास ने बताया कि बिहार स्कूल शिक्षा बजट का 51.6% हिस्सा शिक्षकों के वेतन पर खर्च करता है।