नई दिल्ली: सुप्रीम
कोर्ट ने बार-बार अध्यादेश जारी करने को संविधान से धोखा करार दिया है.
कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई सरकार अध्यादेश को संसद या विधानसभा में रखने
की बजाय दोबारा जारी कर देती है तो अदालत उसकी समीक्षा कर सकती है.
मामला बिहार में संस्कृत स्कूलों को
अध्यादेश के जरिए सरकारी दर्जा देने का है. 1989 में बिहार सरकार ने
अध्यादेश जारी कर राज्य के 429 संस्कृत स्कूलों को सरकारी बना दिया था.
अध्यादेश की मियाद खत्म होने पर 1991 और 1992 में इसे दोबारा लागू किया
गया. इसके बाद सरकार ने इसे दोबारा जारी नहीं किया. न ही यह विधानसभा से
पास हो कानून की शक्ल ले पाया.
अध्यादेश खत्म होने के बाद सरकार ने
संस्कृत स्कूलों और उसके शिक्षकों को सरकारी मानने से इन्कार कर दिया.
मामला हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट आया.
सुप्रीम कोर्ट में 22 सालों से लंबित इस
मामले पर आज 7 जजों की बेंच का फैसला आया. कोर्ट ने शिक्षकों को राहत देने
से मना कर दिया. कोर्ट ने कहा कि जिस दौरान अध्यादेश अमल में था, उसी दौरान
शिक्षक सरकारी वेतनमान के हकदार थे. उसके बाद उनका दर्जा दोबारा निजी
स्कूल के शिक्षक का हो गया.