बांका। राज्यव्यापी आंदोलन के तहत जिला प्राथमिक शिक्षक संघ से जुड़े
सैकड़ों शिक्षकों ने शनिवार को समाहरणालय के सामने हल्ला बोलते हुए धरना
दिया। धरना के बाद एक प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी ने मिल कर उन्हें 11
सूत्री मांग पत्र सौंपा।
धरना की अगुवाई राज्य उपाध्यक्ष सह जिला प्रधान सचिव घनश्याम यादव ने करते हुए कहा कि संगठन सत्ता में आई महागठबंधन की सरकार को एक साल से अधिक का समय बीत गया। तब सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री ने शिक्षा को प्राथमिकता सूची में शामिल करने का वादा किया था। लेकिन सरकार ने इस दौरान शिक्षा को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया है। नेता बिहार को शिक्षा की प्रयोगशाला बना रहे हैं। दिसंबर बीत रहे होने के बाद भी राज्य में बड़ी संख्या में बच्चों को पुस्तक नहीं दी जा सकी है। सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ इससे बड़ा मजाक और क्या कर सकती है। शिक्षक नेताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में सरकार अविलंब शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन दे। साथ ही शिक्षकों को दोपहर भोजन जैसी गैर शैक्षणिक कार्यों से अलग कर शिक्षक बने रहे देने की मांग की। धरना प्रदर्शन को जिलाध्यक्ष अवध किशोर ¨सह, सचिव संजय कुमार, मुरलीधर ¨सह, सुरेंद्र नारायण ¨सह, अश्विनी कुमार दास, अमरेंद्र कुमार, पुरेंद्र सहाय, शशि कुमार सुमन, परमानंद ¨सह, महेंद्र प्रसाद यादव, अशोक कुमार चौधरी, राजीव रंजन, मुकेश यादव, आदित्य आदि ने प्रमुख रूप से संबोधित किया।
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शिक्षक संघ की प्रमुख मांगें
1-समान काम के बदले समान वेतन देने
2- अविलंब सेवा शर्त का प्रकाशन
3- मध्य विद्यालय में प्रधानाध्यापक की तैनाती
4-प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक पद का सृजन
5-शिक्षक आश्रितों को अप्रशिक्षित रहने पर भी नौकरी
6- विषयवार शिक्षकों की तैनाती
7-ससमय एसीपी का लाभ देने
8- 34 हजार शिक्षकों को जिला स्थानांतरण देने
9- दिसंबर में स्थानांतरण की सुविधा दी जाय
10-उत्क्रमित मध्य विद्यालय का वेतन कोषागार से देने
11-सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें अविलंब लागू किया जाए
धरना की अगुवाई राज्य उपाध्यक्ष सह जिला प्रधान सचिव घनश्याम यादव ने करते हुए कहा कि संगठन सत्ता में आई महागठबंधन की सरकार को एक साल से अधिक का समय बीत गया। तब सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री ने शिक्षा को प्राथमिकता सूची में शामिल करने का वादा किया था। लेकिन सरकार ने इस दौरान शिक्षा को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया है। नेता बिहार को शिक्षा की प्रयोगशाला बना रहे हैं। दिसंबर बीत रहे होने के बाद भी राज्य में बड़ी संख्या में बच्चों को पुस्तक नहीं दी जा सकी है। सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ इससे बड़ा मजाक और क्या कर सकती है। शिक्षक नेताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में सरकार अविलंब शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन दे। साथ ही शिक्षकों को दोपहर भोजन जैसी गैर शैक्षणिक कार्यों से अलग कर शिक्षक बने रहे देने की मांग की। धरना प्रदर्शन को जिलाध्यक्ष अवध किशोर ¨सह, सचिव संजय कुमार, मुरलीधर ¨सह, सुरेंद्र नारायण ¨सह, अश्विनी कुमार दास, अमरेंद्र कुमार, पुरेंद्र सहाय, शशि कुमार सुमन, परमानंद ¨सह, महेंद्र प्रसाद यादव, अशोक कुमार चौधरी, राजीव रंजन, मुकेश यादव, आदित्य आदि ने प्रमुख रूप से संबोधित किया।
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शिक्षक संघ की प्रमुख मांगें
1-समान काम के बदले समान वेतन देने
2- अविलंब सेवा शर्त का प्रकाशन
3- मध्य विद्यालय में प्रधानाध्यापक की तैनाती
4-प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक पद का सृजन
5-शिक्षक आश्रितों को अप्रशिक्षित रहने पर भी नौकरी
6- विषयवार शिक्षकों की तैनाती
7-ससमय एसीपी का लाभ देने
8- 34 हजार शिक्षकों को जिला स्थानांतरण देने
9- दिसंबर में स्थानांतरण की सुविधा दी जाय
10-उत्क्रमित मध्य विद्यालय का वेतन कोषागार से देने
11-सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें अविलंब लागू किया जाए