पटना: बिहार प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार
मोदी ने सीएम नीतीश पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि नियम-प्रक्रिया को
धत्ता बता कर तबादला का आदेश् देने वाले मंत्री अब्दुल जलील मस्तान को
बर्खास्त करने की मुख्यमंत्री नीतीश् कुमार हिम्मत दिखाएं।
मोदी ने कहा कि पूर्णिया के डीएम को अनधिकृत तौर पर पत्र लिखकर अमौर और बैसी प्रखंड के 20 पदाधिकारियों व कर्मचारियों के स्थानांतरण का दबाव बनाने की मंत्री मस्तान की कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि महागठबंधन सरकार में तबादला और पदस्थापन उद्योग का रूप ले चुका है।
उन्होंने कहा कि इसके पहले पटना हाईकोर्ट को भी शिक्षा विभाग के अन्तर्गत 461 प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी व तिरहुत प्रमंडल में 125 लिपिकों के स्थानांतरण को निरस्त कर टिप्पणी करनी पड़ी कि माध्यमिक शिक्षा निदेषक को पद पर रहने का अधिकार नहीं है।
राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री अब्दुल जलील मस्तान ने 23 नवम्बर को अपने सरकारी लेटर पैड पर पूर्णिया के डीएम को अमौर व बैसी प्रखंड के 20 पदाधिकारियों व कर्मचारियों की सूची स्थानांतरण के लिए भेजी जिसमें न तो उनके खिलाफ कोई शिकायत थी और न ही कोई कारण बताया गया था। इसके पहले भी उन पर मंत्री पद का धौंस दिखा कर तबादले और पोस्टिंग कराने तथा बैठक में आने वाले पदाधिकारियों को जमीन पर बैठा कर अपमानित करने का आरोप लगता रहा है।
मोदी ने बिहार सरकार से सवाल पूछा है कि क्या कार्यपालिका कार्य नियमावली में एक मंत्री को जिला स्तर पर पदाधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले का आदेश् देने का अधिकार है? क्या यह जिलाधिकारी के कार्यक्षेत्र में अनधिकार हस्तक्षेप नहीं है? क्या निर्धारित कार्यावधि पूरा हुए बिना या बिना किसी कारण के किसी कर्मी का स्थानांतरण किया जा सकता है?
इसके पहले भी एक अन्य मंत्री अब्दुल गफूर ने जेल मैनुअल की धज्जियां उड़ा कर सीवान जेल में राजद के बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से न केवल मुलाकात किया बल्कि वहां दावत व दरबार भी सजाए, मगर मुख्यमंत्री उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएं। क्या नीतीश् कुमार भी लालू यादव के नक्शे कदम पर सारी नियम-प्रक्रियाओं को परे धकेल कर सरकार चलायेंगे या अपने मंत्री को बर्खास्त कर कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाएंगे?
मोदी ने कहा कि पूर्णिया के डीएम को अनधिकृत तौर पर पत्र लिखकर अमौर और बैसी प्रखंड के 20 पदाधिकारियों व कर्मचारियों के स्थानांतरण का दबाव बनाने की मंत्री मस्तान की कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि महागठबंधन सरकार में तबादला और पदस्थापन उद्योग का रूप ले चुका है।
उन्होंने कहा कि इसके पहले पटना हाईकोर्ट को भी शिक्षा विभाग के अन्तर्गत 461 प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी व तिरहुत प्रमंडल में 125 लिपिकों के स्थानांतरण को निरस्त कर टिप्पणी करनी पड़ी कि माध्यमिक शिक्षा निदेषक को पद पर रहने का अधिकार नहीं है।
राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री अब्दुल जलील मस्तान ने 23 नवम्बर को अपने सरकारी लेटर पैड पर पूर्णिया के डीएम को अमौर व बैसी प्रखंड के 20 पदाधिकारियों व कर्मचारियों की सूची स्थानांतरण के लिए भेजी जिसमें न तो उनके खिलाफ कोई शिकायत थी और न ही कोई कारण बताया गया था। इसके पहले भी उन पर मंत्री पद का धौंस दिखा कर तबादले और पोस्टिंग कराने तथा बैठक में आने वाले पदाधिकारियों को जमीन पर बैठा कर अपमानित करने का आरोप लगता रहा है।
मोदी ने बिहार सरकार से सवाल पूछा है कि क्या कार्यपालिका कार्य नियमावली में एक मंत्री को जिला स्तर पर पदाधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले का आदेश् देने का अधिकार है? क्या यह जिलाधिकारी के कार्यक्षेत्र में अनधिकार हस्तक्षेप नहीं है? क्या निर्धारित कार्यावधि पूरा हुए बिना या बिना किसी कारण के किसी कर्मी का स्थानांतरण किया जा सकता है?
इसके पहले भी एक अन्य मंत्री अब्दुल गफूर ने जेल मैनुअल की धज्जियां उड़ा कर सीवान जेल में राजद के बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से न केवल मुलाकात किया बल्कि वहां दावत व दरबार भी सजाए, मगर मुख्यमंत्री उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएं। क्या नीतीश् कुमार भी लालू यादव के नक्शे कदम पर सारी नियम-प्रक्रियाओं को परे धकेल कर सरकार चलायेंगे या अपने मंत्री को बर्खास्त कर कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाएंगे?