सुपौल।हिन्दुस्तान प्रितिनिधि शिक्षा विभाग की लालफीताशाही का
जवाब नहीं। अब तक वरीय पदाधिकारियों के निर्देशों की अनदेखी करने वाला
शिक्षा विभाग अब हाईकोर्ट के आदेश को भी तरजीह नहीं दे रहा है। मामला
अप्रशिक्षित नियोजित शिक्षकों से जुड़ा हुआ है।
जिले में ऐसे दो दर्जन शिक्षक हैं जिन्हें पहले तो महीनों से वेतन नहीं मिल रहा था। अब हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में आदेश तो दे दिया है बावजूद इसके ऐसे शिक्षकों के वेतन भुगतान में आनाकानी की जा रही है।
बताया जा रहा है कि जिले के अप्रशिक्षि नियोजित शिक्षकों में से कई राज्य के अंदर और राज्य से बाहर के सरकारी और निजी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में प्रशिक्षण ले रहे थे। इस बीच विभाग के आदेश पर ऐसे शिक्षकों का वेतन रोक दिया गया। इसके बाद शिक्षक हाईकोर्ट चले गये। इधर हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद फैसला शिक्षकों के पक्ष में आया। कोर्ट ने राज्य के 65 हजार टीईटी और अनट्रेंड शिक्षकों को 2020 तक प्रशिक्षित कराने का निर्देश देते हुए विभाग को हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे प्रशिक्षण लेने वाले सभी शिक्षकों को सवैतनिक अवकाश दिया जाएगा। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अनट्रेंड शिक्षकों को खुशी तो हुई। लेकिन वेतन के लिए शिक्षा विभाग से गुहार लगाने के बाद उनकी खुशी निराशा में बदल गयी। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल ऐसे शिक्षकों को वेतन देने की उनकी कोई योजना नहीं है। इसके बाद शिक्षकों में घोर निराशा है।
11 महीने से नहीं मिल रहा है वेतन: जिले में ऐसे दो दर्जन अनट्रेंड शिक्षक हैं जो सूबे के अंदर और उससे बाहर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन ऐसे शिक्षकों को पिछले 11 महीने से वेतन नहीं मिल रहा है। ऐसे शिक्षकों ने शुक्रवार को डीपीओ (स्थापना) से मिलकर हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में वेतन भुगतान की गुहार भी लगायी।
शिक्षकों का कहना है कि लंबे समय से वेतन नहीं मिलने से उनके परिवार के सामने भूखमरी की स्थिति हो गयी है। ऐसे अधिकांश शिक्षकों का परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है।
जिले में ऐसे दो दर्जन शिक्षक हैं जिन्हें पहले तो महीनों से वेतन नहीं मिल रहा था। अब हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में आदेश तो दे दिया है बावजूद इसके ऐसे शिक्षकों के वेतन भुगतान में आनाकानी की जा रही है।
बताया जा रहा है कि जिले के अप्रशिक्षि नियोजित शिक्षकों में से कई राज्य के अंदर और राज्य से बाहर के सरकारी और निजी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में प्रशिक्षण ले रहे थे। इस बीच विभाग के आदेश पर ऐसे शिक्षकों का वेतन रोक दिया गया। इसके बाद शिक्षक हाईकोर्ट चले गये। इधर हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद फैसला शिक्षकों के पक्ष में आया। कोर्ट ने राज्य के 65 हजार टीईटी और अनट्रेंड शिक्षकों को 2020 तक प्रशिक्षित कराने का निर्देश देते हुए विभाग को हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे प्रशिक्षण लेने वाले सभी शिक्षकों को सवैतनिक अवकाश दिया जाएगा। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अनट्रेंड शिक्षकों को खुशी तो हुई। लेकिन वेतन के लिए शिक्षा विभाग से गुहार लगाने के बाद उनकी खुशी निराशा में बदल गयी। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल ऐसे शिक्षकों को वेतन देने की उनकी कोई योजना नहीं है। इसके बाद शिक्षकों में घोर निराशा है।
11 महीने से नहीं मिल रहा है वेतन: जिले में ऐसे दो दर्जन अनट्रेंड शिक्षक हैं जो सूबे के अंदर और उससे बाहर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन ऐसे शिक्षकों को पिछले 11 महीने से वेतन नहीं मिल रहा है। ऐसे शिक्षकों ने शुक्रवार को डीपीओ (स्थापना) से मिलकर हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में वेतन भुगतान की गुहार भी लगायी।
शिक्षकों का कहना है कि लंबे समय से वेतन नहीं मिलने से उनके परिवार के सामने भूखमरी की स्थिति हो गयी है। ऐसे अधिकांश शिक्षकों का परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है।