टूटी कुर्सी, कहीं विचारधाराओं में बदलाव का संकेत तो नही?
मुजपफ्फरपुर। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का दंभ भरने वाले, हम भारतवंशियों को आखिर ऐसा क्या हो गया है? क्यों हम अपने ही आचरणों से अपना ही जगहसाई होने के बावजूद गौरवान्वित महसूस करते हैं? महज, एक जीत की जुगत में दूसरो पड़ कुत्सित व अधारहीन लांछन लगाते हैं।
मुजपफ्फरपुर। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का दंभ भरने वाले, हम भारतवंशियों को आखिर ऐसा क्या हो गया है? क्यों हम अपने ही आचरणों से अपना ही जगहसाई होने के बावजूद गौरवान्वित महसूस करते हैं? महज, एक जीत की जुगत में दूसरो पड़ कुत्सित व अधारहीन लांछन लगाते हैं।