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बिहार में फर्जी शिक्षक घोटाला उजागर: 72 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति जांच के घेरे में, वेतन वसूली तय

पटना।

बिहार की शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा फर्जी शिक्षक घोटाला सामने आया है। राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में कार्यरत 72,000 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया और उनके शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच शुरू कर दी है। इस कार्रवाई से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।


🔍 क्या है पूरा मामला?

बिहार में 2006 से 2015 के बीच नियुक्त शिक्षकों के दस्तावेजों की सत्यता पर सवाल उठे हैं। जांच के दौरान यह सामने आया है कि बड़ी संख्या में शिक्षकों के:

  • हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की मार्कशीट

  • स्नातक व प्रशिक्षण प्रमाणपत्र (बीएड / डीएलएड / बीटीसी)

  • जाति एवं आरक्षण से जुड़े दस्तावेज

या तो संदिग्ध हैं या फिर विभागीय रिकॉर्ड में उपलब्ध ही नहीं हैं


📊 आंकड़ों में घोटाला

जांच रिपोर्ट के अनुसार:

  • 53,000+ शिक्षकों की शैक्षणिक मार्कशीट संदेह के घेरे में

  • 18,000+ शिक्षकों के प्रशिक्षण और अन्य प्रमाणपत्रों की अलग से जांच

  • कुल मिलाकर 72,287 शिक्षकों की नियुक्ति फाइलें खंगाली जा रही हैं

यह जांच राज्य स्तर पर अब तक की सबसे बड़ी शिक्षक सत्यापन कार्रवाई मानी जा रही है।


🚨 फर्जी पाए जाने पर क्या होगी कार्रवाई?

शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि अगर किसी भी शिक्षक का प्रमाणपत्र फर्जी या अमान्य पाया जाता है, तो:

❌ शिक्षक की नौकरी तुरंत समाप्त की जाएगी
💰 अब तक मिला पूरा वेतन ब्याज सहित वसूला जाएगा
⚖️ संबंधित व्यक्ति पर आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा
📄 भविष्य की किसी भी सरकारी नौकरी के लिए अयोग्यता तय हो सकती है


🏫 शिक्षा विभाग की सख्ती

शिक्षा विभाग ने इस मामले में जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है। जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि:

  • सभी नियुक्ति फाइलें तुरंत उपलब्ध कराई जाएं

  • किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी

  • रिकॉर्ड छुपाने या नष्ट करने वालों पर भी कार्रवाई होगी


📌 शिक्षा व्यवस्था पर असर

इस बड़े घोटाले ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:

  • वर्षों तक फर्जी प्रमाणपत्रों से नौकरी कैसे चलती रही?

  • रिकॉर्ड प्रबंधन में इतनी बड़ी लापरवाही क्यों हुई?

  • छात्रों की शिक्षा गुणवत्ता पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह जांच शिक्षक बहाली प्रणाली में बड़ा सुधार ला सकती है।


🔮 आगे क्या?

➡️ सभी जिलों से विस्तृत रिपोर्ट तलब
➡️ संदिग्ध शिक्षकों को नोटिस
➡️ चरणबद्ध तरीके से नौकरी समाप्त करने की प्रक्रिया
➡️ भविष्य की भर्तियों में कड़ा दस्तावेज सत्यापन


🧾 निष्कर्ष

बिहार में सामने आया यह फर्जी शिक्षक मामला सिर्फ एक घोटाला नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। यदि जांच निष्पक्ष और सख्ती से पूरी होती है, तो इससे न सिर्फ दोषियों पर कार्रवाई होगी बल्कि योग्य अभ्यर्थियों के लिए रास्ता भी साफ होगा।

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