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नीतीश की निरंकुशता : गणों से सप्रेम अनुरोध है कि इस कविता को हर शिक्षकों तक पहुँचाने की कृपा करें

 नीतीश की निरंकुशता :
नीतीश तेरी निरंकुशता से,
आहत हुआ शिक्षक परिवार है

नृशंशता की तूने हद कर दी,
क्या बुद्धि तेरी बेकार है ?
हम पर पानी के फव्वारे छोड़ा,
कराया लाठियों से प्रहार है,
ईंट-पत्थरों से क्या डराते हो,
हम गोली खाने को तैयार हैं,
तू भूला या कोई बहकाता है,
हमारी एकता तेरी सरकार है,
सुप्रीम कोर्ट से तुमने सुना,
आखिर क्यों इतना फटकार है
समान काम का समान वेतन,
हमारा तो नैतिक अधिकार है,
अब आर-पार की होगी लड़ाई,
हम शिक्षकों ने भरी हुंकार हैं ,
तेरे पास भी एक मौका है,
अगर बनना तमको अवतार हैं
तो मांगे हमारी पूरी कर दो,
जिसका हमसबको इन्तजार है
तेरी जय जयकार के खातिर,
तब हमसब शिक्षक तैयार हैं,
नीतीश तेरी निरंकुशता से ,
आहत शिक्षक परिवार हैं ।
✍ महेश कुमार चौधरी
उ0 वि0,मेघौना
9801445586
आप सभी क्रांतिकारी शिक्षक
- गणों से सप्रेम अनुरोध है कि इस कविता को हर शिक्षकों तक पहुँचाने की कृपा करें ।

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