बिहार शिक्षक भर्ती से जुड़ी अहम खबर
पटना हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि अनुभव प्रमाण पत्र वैध विश्वविद्यालय या संस्थान द्वारा जारी किया गया है, तो उस पर रजिस्ट्रार का हस्ताक्षर न होना उसे अमान्य नहीं बनाता।
यह फैसला उन अभ्यर्थियों के लिए राहत भरा है, जिनके आवेदन केवल तकनीकी आधार पर खारिज कर दिए जाते थे।
क्या था मामला?
विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के दौरान एक अभ्यर्थी का अनुभव प्रमाण पत्र इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया था कि उस पर रजिस्ट्रार का हस्ताक्षर नहीं था। जबकि प्रमाण पत्र संबंधित विश्वविद्यालय द्वारा विधिवत जारी किया गया था।
इस पर अभ्यर्थी ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि—
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अनुभव प्रमाण पत्र की वास्तविकता और वैधता अधिक महत्वपूर्ण है
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केवल प्रक्रियात्मक औपचारिकता (जैसे रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर) के अभाव में प्रमाण पत्र को खारिज नहीं किया जा सकता
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अगर प्रमाण पत्र मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/संस्थान द्वारा जारी है, तो उसे स्वीकार किया जाना चाहिए
कोर्ट ने यह भी कहा कि भर्ती एजेंसियों को तकनीकी आधार पर योग्य उम्मीदवारों को बाहर नहीं करना चाहिए।
शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए क्यों अहम है यह फैसला?
✅ विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती
✅ असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती
✅ अतिथि शिक्षक / संविदा शिक्षक अनुभव
✅ उच्च शिक्षा विभाग की भर्तियां
इन सभी मामलों में अक्सर अनुभव प्रमाण पत्र को लेकर विवाद होते रहे हैं। यह फैसला ऐसे सभी अभ्यर्थियों के लिए न्यायिक सुरक्षा प्रदान करता है।
अब किन बातों का रखें ध्यान?
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अनुभव प्रमाण पत्र मान्यता प्राप्त संस्थान से जारी होना चाहिए
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प्रमाण पत्र पर कार्य अवधि, पदनाम और संस्थान की मुहर स्पष्ट हो
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प्रमाण पत्र की सत्यता प्रमाणित की जा सकती हो
यदि ये शर्तें पूरी हैं, तो केवल रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर न होने के आधार पर प्रमाण पत्र को खारिज नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष
पटना हाईकोर्ट का यह फैसला शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे योग्य उम्मीदवारों को अनावश्यक रूप से बाहर किए जाने पर रोक लगेगी और भर्ती प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष बनेगी।