पटना: बिहार
सरकार भले ही राज्य में 'सुशासन' के तहत सड़कों और शिक्षा व्यवस्था में
सुधार का दावा कर रही हो, लेकिन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की
रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान सड़क और शिक्षा को लेकर कई
कमियां गिनाई गई हैं.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 57 प्रतिशत ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें मध्याह्न भोजन नहीं मिल रहा है और अगर मिल भी रहा है तो भोजन घटिया है. इसी तरह 78 प्रतिशत सड़कों के रखरखाव नहीं किया जा रहा है. विधानसभा में सोमवार को सदन पटल पर वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सीएजी की ताजा रिपोर्ट रखी. रिपोर्ट में सरकार के वित्तीय प्रबंधन को विफल बताया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 1000 से कम आबादी के 183 गांव ऐसे बचे हैं, जिन्हें अभी भी सड़क से जोड़ा नहीं गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई सड़कों का निर्माण कार्य अधूरा है, जबकि 78 प्रतिशत सड़कों के रखरखाव नहीं किया जा रहा है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत ऐसे गांवों का भी चयन किया गया है, जिनका चयन पूर्व में ही प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत हो चुका है.
शिक्षा के क्षेत्र में रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्य में 85 प्रतिशत उच्च माध्यमिक विद्यालयों में भवन की कमी है, जबकि शिक्षकों के पद रिक्त है. पुलिस आधुनिकीकरण को लेकर भी रिपार्ट में कई तरह के सवाल खड़े किए गए हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्य में 53 प्रतिशत थानों को या तो अपना भवन नहीं है या उनके भवनों की हालत जर्जर है.
बिहार के आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत पर भी रिपोर्ट प्रश्न खड़ा करते हुए कहता है, "आंगनबाड़ी केंद्रों में मूलभूत आवश्यकताओं शौचालय, पेयजल, रसोई, बर्तन की कमी के कारण लाभार्थियों को प्रदान की जाने वाली गुणवतापूर्ण सुविधा के साथ समझौता किया जा रहा है." रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 72 प्रतिशत आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपना भवन नहीं है.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 57 प्रतिशत ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें मध्याह्न भोजन नहीं मिल रहा है और अगर मिल भी रहा है तो भोजन घटिया है. इसी तरह 78 प्रतिशत सड़कों के रखरखाव नहीं किया जा रहा है. विधानसभा में सोमवार को सदन पटल पर वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सीएजी की ताजा रिपोर्ट रखी. रिपोर्ट में सरकार के वित्तीय प्रबंधन को विफल बताया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 1000 से कम आबादी के 183 गांव ऐसे बचे हैं, जिन्हें अभी भी सड़क से जोड़ा नहीं गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई सड़कों का निर्माण कार्य अधूरा है, जबकि 78 प्रतिशत सड़कों के रखरखाव नहीं किया जा रहा है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत ऐसे गांवों का भी चयन किया गया है, जिनका चयन पूर्व में ही प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत हो चुका है.
शिक्षा के क्षेत्र में रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्य में 85 प्रतिशत उच्च माध्यमिक विद्यालयों में भवन की कमी है, जबकि शिक्षकों के पद रिक्त है. पुलिस आधुनिकीकरण को लेकर भी रिपार्ट में कई तरह के सवाल खड़े किए गए हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्य में 53 प्रतिशत थानों को या तो अपना भवन नहीं है या उनके भवनों की हालत जर्जर है.
बिहार के आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत पर भी रिपोर्ट प्रश्न खड़ा करते हुए कहता है, "आंगनबाड़ी केंद्रों में मूलभूत आवश्यकताओं शौचालय, पेयजल, रसोई, बर्तन की कमी के कारण लाभार्थियों को प्रदान की जाने वाली गुणवतापूर्ण सुविधा के साथ समझौता किया जा रहा है." रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 72 प्रतिशत आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपना भवन नहीं है.