पटना, जेएनएन। नियोजित शिक्षकों के वेतन को लेकर बिहार
के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने बड़ा ऐलान किया है। शिक्षा मंत्री ने
नियोजित शिक्षकों के नियमित वेतन मामले पर कहा है कि अब हर महिने शिक्षकों
के अकाउंट में वेतन जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित सभी बाधाओं को
दूर कर दिया गया है।
बता दें कि बिहार सरकार ने नये साल के मौके पर भी नियोजित शिक्षकों का वेतन नहीं दिया है। जिसे लेकर नियोजित शिक्षक संघ ने विरोध जताया था। नियोजित शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने बताया कि शिक्षा विभाग के लापरवाही से वेतन नहीं मिल पाया है। विभाग ने समय पर महालेखाकार कार्यालय में आवश्यक कागजात जमा नहीं किया है। इसी कारण ट्रेजरी से पैसा नहीं मिल सका है।
क्या है पूरा मामला?
31 अक्टूबर 2017 को पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए नियोजित शिक्षकों के पक्ष में आदेश दिया था और कहा था कि नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाए। लेकिन कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार सरकार सप्रीम कोर्ट चली गई। जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी।
बिहार में हैं 3.7 लाख नियोजित शिक्षक
बिहार में करीब 3.7 लाख नियोजित शिक्षक काम कर रहे हैं। शिक्षकों के वेतन का 70 फीसदी पैसा केंद्र सरकार और 30 फीसदी पैसा राज्य सरकार देती है। वर्तमान में नियोजित शिक्षकों (ट्रेंड) को 20-25 हजार रुपए वेतन मिलता है। अगर समान कार्य के बदले समान वेतन की मांग मान ली जाती है तो शिक्षकों का वेतन 35-44 हजार रुपए हो जाएगा।
सरकार का हलफनामा
सरकार के हलफनामे में कहा गया कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट में पूर्व में सौंपी गई रिपोर्ट में सरकार ने यह कहा है कि वह प्रदेश के नियोजित शिक्षकों को महज 20 फीसद की वेतन वृद्धि दे सकती है। बिहार सरकार की दलील को केंद्र सरकार ने सही ठहराया है। गौरतलब है कि नियोजित शिक्षकों के वेतन का 70 फीसद राशि केंद्र सरकार को ही देना है।
बता दें कि बिहार सरकार ने नये साल के मौके पर भी नियोजित शिक्षकों का वेतन नहीं दिया है। जिसे लेकर नियोजित शिक्षक संघ ने विरोध जताया था। नियोजित शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने बताया कि शिक्षा विभाग के लापरवाही से वेतन नहीं मिल पाया है। विभाग ने समय पर महालेखाकार कार्यालय में आवश्यक कागजात जमा नहीं किया है। इसी कारण ट्रेजरी से पैसा नहीं मिल सका है।
क्या है पूरा मामला?
31 अक्टूबर 2017 को पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए नियोजित शिक्षकों के पक्ष में आदेश दिया था और कहा था कि नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाए। लेकिन कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार सरकार सप्रीम कोर्ट चली गई। जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी।
बिहार में हैं 3.7 लाख नियोजित शिक्षक
बिहार में करीब 3.7 लाख नियोजित शिक्षक काम कर रहे हैं। शिक्षकों के वेतन का 70 फीसदी पैसा केंद्र सरकार और 30 फीसदी पैसा राज्य सरकार देती है। वर्तमान में नियोजित शिक्षकों (ट्रेंड) को 20-25 हजार रुपए वेतन मिलता है। अगर समान कार्य के बदले समान वेतन की मांग मान ली जाती है तो शिक्षकों का वेतन 35-44 हजार रुपए हो जाएगा।
सरकार का हलफनामा
सरकार के हलफनामे में कहा गया कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट में पूर्व में सौंपी गई रिपोर्ट में सरकार ने यह कहा है कि वह प्रदेश के नियोजित शिक्षकों को महज 20 फीसद की वेतन वृद्धि दे सकती है। बिहार सरकार की दलील को केंद्र सरकार ने सही ठहराया है। गौरतलब है कि नियोजित शिक्षकों के वेतन का 70 फीसद राशि केंद्र सरकार को ही देना है।