मोतिहारी। विद्यालय से शिक्षकों के गायब रहने के आरोप लगाए जाते रहे हैं।
इस बात को लेकर हंगामे की भी नौबत आती रही है। बच्चे व अभिभावक यह कहते रहे
हैं कि शिक्षक अपनी मनमर्जी के अनुसार विद्यालय आते और जाते हैं। विभागीय
पदाधिकारियों की औचक जांच में भी ऐसी स्थिति सामने आती रही है। स्वाभाविक
है कि इस वजह से शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। ऐसे में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने एक नया कदम उठाया है। विद्यालय में शिक्षकों की नियमितता सुनिश्चित करने के लिए राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी शैलेंद्र कुमार ने सूचना पट पर शिक्षकों की तस्वीर चस्पा करने का निर्देश जारी किया है। निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि सभी प्रारंभिक विद्यालयों के सूचना पट पर वहां पदस्थापित शिक्षकों की रंगीन तस्वीर लगाना अनिवार्य है। तस्वीर के साथ उस शिक्षक का नाम भी लिखा जाएगा। इस प्रक्रिया को पूरा करते हुए शिक्षकों का वरीयता क्रम भी दर्शाना होगा। राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ने यह कहा है कि इस निर्देश का पालन संबंधी प्रतिवेदन पांच मार्च तक राज्य कार्यालय को उपलब्ध करा दिया जाए। इसका उद्देश्य है कि विद्यालय में पदस्थापित शिक्षकों का बच्चों के साथ-साथ अभिभावक भी पहचाने। इससे उनके आने-जाने पर सबकी नजर रहेगी। इसका शिक्षकों की नियमितता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जहां तक तस्वीर चस्पा करने की बात है तो इस कार्रवाई के बाद ही कहा जा सकेगा कि इसका नियमितता पर कितना असर पड़ा और कार्य संस्कृति में बदलाव हुआ या नहीं। आज की स्थिति यह है कि यदि शिक्षक विद्यालय में नहीं हैं तो खुद के बचाव के लिए उनके पास तमाम कारण होते हैं, जिसके आधार पर वे अपना पक्ष सामने रख सकते हैं। कभी बैठक तो कभी बैंक संबंधी कार्य, ऐसे अनेकों कारण हैं जिनका हवाला दिया जाता है। शिक्षकों का मानना है कि उनके सामने कई तरह की समस्याएं हैं, जिनके निदान के लिए बीआरसी से लेकर जिला कार्यालय तक चक्कर लगाना ही पड़ता है। बावजूद इसके हमारे काम के साथ टाल-मटोल की नीति अपनाई जाती है। गैर शैक्षणिक कार्यो में भी लगाया जाता है। इसका शैक्षणिक व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, यह भी सत्य है कि इसकी आड़ में कुछ शिक्षक अपनी मनमानी कर ही लेते हैं।
सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। ऐसे में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने एक नया कदम उठाया है। विद्यालय में शिक्षकों की नियमितता सुनिश्चित करने के लिए राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी शैलेंद्र कुमार ने सूचना पट पर शिक्षकों की तस्वीर चस्पा करने का निर्देश जारी किया है। निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि सभी प्रारंभिक विद्यालयों के सूचना पट पर वहां पदस्थापित शिक्षकों की रंगीन तस्वीर लगाना अनिवार्य है। तस्वीर के साथ उस शिक्षक का नाम भी लिखा जाएगा। इस प्रक्रिया को पूरा करते हुए शिक्षकों का वरीयता क्रम भी दर्शाना होगा। राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ने यह कहा है कि इस निर्देश का पालन संबंधी प्रतिवेदन पांच मार्च तक राज्य कार्यालय को उपलब्ध करा दिया जाए। इसका उद्देश्य है कि विद्यालय में पदस्थापित शिक्षकों का बच्चों के साथ-साथ अभिभावक भी पहचाने। इससे उनके आने-जाने पर सबकी नजर रहेगी। इसका शिक्षकों की नियमितता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जहां तक तस्वीर चस्पा करने की बात है तो इस कार्रवाई के बाद ही कहा जा सकेगा कि इसका नियमितता पर कितना असर पड़ा और कार्य संस्कृति में बदलाव हुआ या नहीं। आज की स्थिति यह है कि यदि शिक्षक विद्यालय में नहीं हैं तो खुद के बचाव के लिए उनके पास तमाम कारण होते हैं, जिसके आधार पर वे अपना पक्ष सामने रख सकते हैं। कभी बैठक तो कभी बैंक संबंधी कार्य, ऐसे अनेकों कारण हैं जिनका हवाला दिया जाता है। शिक्षकों का मानना है कि उनके सामने कई तरह की समस्याएं हैं, जिनके निदान के लिए बीआरसी से लेकर जिला कार्यालय तक चक्कर लगाना ही पड़ता है। बावजूद इसके हमारे काम के साथ टाल-मटोल की नीति अपनाई जाती है। गैर शैक्षणिक कार्यो में भी लगाया जाता है। इसका शैक्षणिक व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, यह भी सत्य है कि इसकी आड़ में कुछ शिक्षक अपनी मनमानी कर ही लेते हैं।