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BSSC परचा लीक मामला : नौ दिनों में 16 गिरफ्तार, कई और परीक्षा केंद्रों के संचालक आयेंगे घेरे में

पटना : बीएसएससी प्रश्नपत्र लीक मामले में एसआइटी  की जांच की गति अब धीरे-धीरे तेज हो रही है और सिर्फ नौ दिनों में 16 की गिरफ्तारी की गयी है. इन सभी से पूछताछ में एसआइटी  को यह जानकारी मिली है कि इस गोरखधंधे में कई सफेदपोश व अन्य परीक्षा  केंद्रों के संचालक भी शामिल थे.

एसआइटी अब इनके खिलाफ साक्ष्य जुटाने में  जुटी है. इसके साथ ही गिरफ्तार एवीएन स्कूल के संचालक रामाशीष सिंह समेत छह  को 36 घंटे के रिमांड पर लिया गया है. इन सभी से पूछताछ के बाद एसआइटी को कई अन्य जानकारी मिली है, जिसे गुप्त  रखा जा रहा है और एसआइटी उन लोगों  से मिली जानकारी के  अनुसार पर लगातार छापेमारी  कर रही है. एसआइटी को जानकारी मिली है कि  एवीएन स्कूल के शिक्षक अटल,  रैंडम क्लासेज के रामेश्वर ने कई जगहों पर  प्रश्नपत्रों को वाट्सएप पर  भेजा था और कई कंट्रोल रूम बना कर  उम्मीदवारों तक प्रश्नों के उत्तर  पहुंचाये गये थे. एसआइटी   का ध्यान अब उस ओर है, जहां से प्रश्नपत्र काफी पहले ही लीक हुआ था.   एवीएन स्कूल के परीक्षा केंद्र से एक घंटा पूर्व प्रश्नपत्र लीक हुआ था,   इसकी एसआइटी ने पुष्टि कर ली. इसके अलावा सोशल मीडिया पर आंसर भी वायरल हुआ था, जो पांच  फरवरी की परीक्षा के प्रश्नों के थे. 
परीक्षा के एक सप्ताह पूर्व आंसर  वायरल होने से यह स्पष्ट है कि प्रश्न भी वायरल हुए थे. लेकिन, एक सप्ताह  पहले कहां से यह प्रश्नपत्र लीक हुआ था, एसआइटी वहां तक पहुंचने का प्रयास कर  रही है. इसके लिए एसआइटी प्रमुख मनु महाराज ने अपने नेतृत्व में कई और टीमों का  गठन किया है और ये टीमें कोलकाता व यूपी में काम कर रही हैं. एसआइटी अब  प्रिंटिंग प्रेस से लेकर परीक्षा केंद्र तक प्रश्न पहुंचने के उन तमाम  रास्तों की जानकारी ले चुकी है और प्रश्नपत्र को आयोग तक पहुंचाने के लिए  तैनात किये गये लोगों से संपर्क साधने में लगी है.  
नौ दिन 16 गिरफ्तारी 
बीएसएससी का प्रश्नपत्र लीक कराने की सेटिंग की जानकारी पटना पुलिस को 28 जनवरी को ही हो गयी थी, जब शाहपुर थाने के शिवाला मोड़ इलाके से मुन्ना सिंह समेत पांच सेटरों को पुलिस ने पकड़ा था. 29 को बीएसएससी की परीक्षा हुई और प्रश्नपत्र के साथ ही आंसर भी वायरल हुए. एक बार फिर से पटना पुलिस को सफलता मिली और अगमकुआं के कांटी फैक्टरी रोड में चार फरवरी को पवन समेत तीन सेटरों को पकड़ा और सेटिंग करने के लिए उपयोग में लाये जाने वाले उपकरण भी बरामद किये गये. इसके बाद पांच फरवरी को दूसरे फेज की परीक्षा हुई, तो फिर प्रश्नपत्र व उत्तर वायरल हो गये. छह फरवरी को मुख्यमंत्री के निर्देश पर आइजी ने पटना के एसएसपी मनु महाराज के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया. 
एसआइटी ने जांच शुरू की और 24 घंटे के अंदर इसकी पुष्टि कर दी कि प्रश्नपत्र लीक हुआ. फिर सचिव के घर छापेमारी की गयी अौर वहां से उनका मोबाइल व अन्य दस्तावेज बरामद किये गये. सचिव के मोबाइल में कई छात्र-छात्राओं के रॉल नंबर व नाम मिले और फिर प्रथमदृष्टया संलिप्तता पाते हुए सचिव व उनके डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश कुमार को आठ फरवरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. सिर्फ नौ दिनों में 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया. सेटर गिरोह के पवन को जब पुलिस ने रिमांड पर लेकर पूछताछ की, तो फिर एवीएन स्कूल के संचालक रामाशीष सिंह समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया गया. इसके साथ ही यह खुलासा हुआ कि एवीएन स्कूल से ही परीक्षा के एक घंटा पूर्व प्रश्न पत्र लीक हुआ था. इसके बाद स्कूल के परीक्षा अधीक्षक गौरीशंकर व जमीन दलाल आनंद शर्मा को गिरफ्तार किया गया.  
गौरीशंकर ने पैसा लेकर स्कूल के मैनेजर रामसुमेर सिंह को परीक्षा अधीक्षक बना दिया था और खुद हट गया था, जबकि आनंद शर्मा सचिव परमेश्वर राम के लिए काम करता था और उसके मोबाइल से ही कई मैसेज उन्हें भेजा गया था. इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद प्रश्नपत्र लीक से जुड़े तार जल संसाधन विभाग के डाटा इंट्री ऑपरेटर शीलभद्र गुप्ता व बिहार विकास मिशन के डाटा इंट्री ऑपरेटर ओम प्रकाश गुप्ता तक जुड़ गये और एवीएन स्कूल के शिक्षक अटल, शीलभद्र व ओमप्रकाश गुप्ता समेत छह लोगों को पकड़ लिया गया. 
टाइम लाइन
छह फरवरी- एसआइटी का गठन, प्रश्नपत्र लीक होने की हुई पुष्टि
सात फरवरी- बीएसएससी सचिव के घर पर छापेमारी
आठ फरवरी - सचिव व डाटा इंट्री ऑपरेटर गिरफ्तार, परीक्षा रद्द  
दस फरवरी - प्रश्न पत्र लीक मामले में एवीएन स्कूल के संचालक समेत छह गिरफ्तार 
11 फरवरी - सचिव का दलाल व एवीएन स्कूल का परीक्षा केंद्र अधीक्षक गिरफ्तार 
13 फरवरी - दो डाटा इंट्री ऑपरेटर, एवीएन स्कूल का शिक्षक समेत छह गिरफ्तार
पटना : बीएसएससी के सचिव परमेश्वर राम ने अपनी पैरवी और पहुंच के बल पर अपने खिलाफ लंबित मामलों की फाइल सचिवालय में भी दबवा ली थी. उनके रसूख और जलवे का ही असर था कि 2014 में जब उन्हें बीएसएससी  का सचिव नियुक्त किया गया, तो विभाग को उनके खिलाफ चल रहे आरोपों की फाइल नहीं भनक भी नहीं लग पायी. जबकि इस दौरान उनके खिलाफ पश्चिमी चंपारण और आरा में तैनाती के समय के आरोप लंबित थे. बिहार लोक सेवा आयोग के 33वीं बैच के अधिकारी परमेश्वर राम को अगस्त, 2014 में बीएसएससी का सचिव बनाया गया था. उस समय जीतनराम मांझी राज्य के मुख्यमंत्री थे. प्रावधानों के अनुसार बीएसएससी में  किसी की भी नियुक्ति खासकर सचिव के पद पर बिठाने के पहले संबंधित अधिकारी की निगरानी प्रमाणपत्र की जरूरत होती है. 
लेकिन, परमेश्वर राम के मामले में ऐसा नहीं किया गया. परमेश्वर राम बगहा के एक केस में 17 साल से फरार चल रहे थे.  आरा में तैनाती के दौरान उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया था. इसके बाद भी उन्हें आयोग के सचिव की खास जिम्मेवारी मिल गयी. उप समाहर्ता स्तर के अधिकारियों का नोडल विभाग सामान्य प्रशासन विभाग  ही होता है. सामान्य प्रशासन विभाग में उनकी सेवा पुस्तिका रही होगी. 
लेकिन, आयोग में अपनी तैनाती के समय परमेश्वर राम इन सब चीजों से अपने को बाहर निकलवा ले गये. परचा लीक कांड में बेउर जेल में बंद परमेश्वर राम वर्तमान में एडीएम रैंक के अधिकारी हैं और उनकी सेवा 28 फरवरी, 2019 तक है.   उनकी नियुक्ति 19 सिंतबर, 1988 में उप उमाहर्ता के  बेसिक ग्रेड में हुई थी. 13 अक्तूबर, 2001 को उनकी सेवा कन्फर्म की गयी.

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