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नियोजित शिक्षकों की याचिका पर हाईकोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब

वैशाली। समान काम के बदले समान वेतनमान देने संबंधी नियोजित शिक्षकों के संदर्भ में पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को बिहार सरकार के अब तक लागू नहीं किए जाने से आक्रोशित बिहार राज्य परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ व अन्य शिक्षक संघों की ओर से राज्य सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना किए जाने संबंधी दायर मुकदमें की पटना उच्च न्यायालय ने सुनवाई शुरू कर दी है।
इस संबंध में संघ के जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार पासवान, संयोजक मुनौवर अली, महासचिव झुन्नीलाल पंकज, जिला प्रभारी संजीव त्रिपाठी एवं कोषाध्यक्ष इंद्रदेव महतो की ओर से रविवार को दी गई जानकारी में कहा गया है कि प्रदेश के नियोजित शिक्षकों को भी पूर्ण राज्य कर्मी का दर्जा दे समान काम के बदले समान वेतनमान देने व अन्य मांगों को ले परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के साथ ही अन्य शिक्षक संघों की ओर से पटना उच्च न्यायालय में एक वाद दाखिल की गई थी। दाखिल किए गए वाद में शिक्षक संघों ने नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतनमान देने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के दिए आदेश की राज्य सरकार पर अवहेलना किए जाने का आरोप लगाया गया था। जिसकी गत 28 जनवरी को सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता एवं सुधीर कुमार ¨सह की दो सदस्यीय खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के अंदर जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है। हलफनामा दायर होने के पश्चात फरवरी के तीसरे सप्ताह में इस मामले की पुन: सुनवाई होने वाली है। संघ के जिलाध्यक्ष दिनेश पासवान बताया कि संघ के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर ब्रजवासी की अगुआई में उच्च न्यायालय में दायर इस याचिका में संघ के जिला सचिव मनोज कुमार के अलावा गोपालगंज से नीलमणि प्रताप शाही, मोतिहारी से अशोक कुमार चौधरी, नालंदा से रौशन कुमार, औरंगाबाद से विजय कुमार ¨सह, नवादा से विनय प्रभाकर, बक्सर व सारण से समरेंद्र बहादुर ¨सह, समस्तीपुर से अभिषेक कुमार, दरभंगा से इंतखान रजा, शेखपुरा से रंजीत कुमार शर्मा व सीतामढ़ी से पवन कुमार आदि 13 शिक्षक भी याचिकाकर्ता बने हैं। फरवरी के अगले सप्ताह में होने वाली तीसरी सुनवाई के दौरान संघ की ओर से भोपाल हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज व वरीय अधिवक्ता विष्णुदेव नारायण एवं मनोज कुमार मनोज बहस करेंगे। पटना हाईकोर्ट में इस याचिका की सुनवाई शुरू होने के साथ ही समान काम के बदले समान वेतनमान की बहुप्रतीक्षित मांग होने के कारण प्रदेश के सभी नियोजित कर्मियों की निगाहें इस सुनवाई पर टिकी हुई हैं।

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