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मुख्यमंत्री ने कहा है की शिक्षकों को वेतन की नहीं पढ़ाई की चिंता होनी चाहिए

मुख्यमंत्री ने कहा है की शिक्षकों को वेतन की नहीं पढ़ाई की चिंता होनी चाहिए। अच्छी बात है, पर कोई नयी बात नहीं। हमें भी पता है की शिक्षक का काम पढ़ाना है और उसे वही करना चाहिए।
सरकार का क्या काम है शायद नितीश जी ये भूल गए हैं। भूल गए हैं वो की एक शिक्षक के साथ आश्रित पूरा परिवार होता है जिसकी हर जरूरत पूर्ति उसे अपने उसी वेतन से करनी है जो सरकार हमें तीन चार महीने विलम्ब से देती है। कोई बीमार है तो क्या डॉक्टर बिना फ़ीस लिए इलाज करेगा? कब तक दूकानदार उधारी के नाम पे मुफ्त किराना सामान खिलायेगा? BEO को नाजायज रूप से पैसे भरने के लिए वेतन तो चाहिए न, वर्ना वो हमारे उपलब्धियों को नहीं बल्कि हमारी कमियों को उजागर करके परेशान करते रहेगा।
नितीश जी, आप कहेंगे की ऐसे BEO की पहचान निगरानी को बताइये, पर भ्रष्टाचार तो हर विभाग को दीमक की तरह चाट रहा है। भवन निर्माण के नाम पर प्रधानाध्यापक और ठेकेदार लूट रहे हैं। MDM के नाम पर बच्चों को लूटा जा रहा है। पाठ टीका और समय सारणी के नाम पे शिक्षकों पे दवाब बनाया जा रहा है। ग्रामीण आये दिन हंगामा खड़ा करते रहते हैं क्योंकि उनके बच्चे को छात्र-वृति नहीं मिल पायी , कारण उसके बच्चे की False हाज़िरी नहीं बनायी गयी।
समिति सचिव और अध्यक्ष को तो हरेक कोष में अपना हिस्सा चाइये वरना शिक्षको को ही बलि का बकरा बनाया जाना है। स्कूल गेट पर ही शिक्षकों को रोक कर प्रताड़ित किया जाएगा।
पर फिक्र किसे है और होनी भी क्यों चाइये? आखिर शिक्षक तो कामचोर होता है, मुफ्त की पगार पाता है। है न !
आखिर बिना सम्मान शिक्षक कैसे पढाये?
आखिर बिना वेतन शिक्षक कैसे पढाये?
आखिर गैर शैक्षणिक कार्य करते हुए शिक्षक कैसे पढाये?
राजनीत की शिकार बन कर आखिर शिक्षक कैसे पढाये ?
अपने बच्चे को भूखा रख कर वो आखिर कैसे पढाये?
स-समय सम्मानजनक वेतन की चाहत रखना क्या गुनाह है?
अगर है गुनाह तो नितीश बाबू, हम ये गुनाह हर बार करेंगे।

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