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कंप्यूटर विहीन हैं राज्य के 5,391 में से 4,132 मिडिल और हाइस्कूल

पटना : स्कूलों में न तो कंप्यूटर हैं और न ही लैब. साथ ही कंप्यूटर की शिक्षा देने के लिए शिक्षक भी नहीं है. ऐसे में कैसे क्वालिटी एजुकेशन की बात करेंगे. स्कूल स्तर पर विद्यार्थियों को टेक्नोफ्रेंडली बनाने की शुरुअात 2010 से की गयी थी, लेकिन आज भी स्थिति जस-की-तस बनी हुई है.
स्कूल में लैब खोलने के लिए समय-समय पर पैसे भी दिये गये, लेकिन प्रदेश भर में आज भी 4,132 ऐसे स्कूल हैं, जहां पर न तो कंप्यूटर लैब है और न ही कंप्यूटर. 
स्कूलों में कंप्यूटर लगाने के लिए समय-समय पर शिक्षा विभाग ने कंपनियों से अनुबंध किया है. बिहार आधारभूत संरचना के तहत स्कूलों में कंप्यूटर लगाये गये थे. अभी तक आइसीएफएस, एडुकॉम, नीट आदि कंपनियों ने प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में कंप्यूटर लगाने शुरू किये. इन सारी कंपनियों के अनुबंध 2016 में खत्म हो गये हैं. इसके बाद कई जिलों में पीयरसन कंपनी को कंप्यूटर लगाने के लिए अनुबंध किया गया था. लेकिन, पियरसन कंपनी का भी अनुबंध अगस्त, 2017 में खत्म हो जायेगा. वहीं, कई ऐसे स्कूल  हैं, जहां पर कंप्यूटर तो है, लेकिन कंप्यूटर सीखाने के लिए शिक्षक नहीं है.  इससे कंप्यूटर होते हुए भी बंद पड़ा रहता है.
स्कूलों से चोरी हो जाता है कंप्यूटर : पटना स्थित शास्त्री नगर बालक उच्च विद्यालय में 10 कंप्यूटर 2010 की योजना के तहत लगाये गये थे. लेकिन, आज इस स्कूल में दो कंप्यूटर ही रह गये हैं. कंप्यूटर स्कूल से चोरी हो गयी. स्कूल के प्राचार्य ने शास्त्री नगर थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करवायी है. स्कूल कैंपस से कंप्यूटर चोरी होने की घटना कोई एक स्कूल का नहीं है.
400 शिक्षकों पर चल रही कंप्यूटर शिक्षा

शिक्षकों की बात करें, तो 2011 में नियोजित शिक्षकों के रूप में प्रदेश भर में 400 कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति की गयी. वर्तमान में उसी नियोजन प्रक्रिया के तहत 600 और कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है. ज्ञात हो कि प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षकों के लिए कोई पद नहीं है. राज्य सरकार एजेंसी के माध्यम से कंप्यूटर की शिक्षा दे रही है. वहीं, उच्च माध्यमिक स्कूलों में कंप्यूटर का पद तो है, लेकिन न तो कंप्यूटर है और न ही कंप्यूटर के शिक्षक.

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