बिहार
में 94,000 प्रारंभिक शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया पर संकट के बादल मंडरा
रहे हैं। प्राइमरी टीचर्स की बहाली प्रक्रिया पर पटना हाई कोर्ट ने बुधवार
को रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने विज्ञापन निकालने के बाद नियमों
में बदलाव को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। न्यायधीश ने कहा है कि
बहाली की प्रक्रिया बदलने का अधिकार किसी को नहीं है। मामले की अगली सुनवाई
चार सितंबर को होनी है।
जानकारी के मुताबिक, पटना हाई कोर्ट के जस्टिस न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने नीरज कुमार और अन्य द्वारा दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 15 जून, 2020 को आदेश पारित कर कहा है कि दिसंबर, 2019 में सीटीईटी पास उम्मीदवार इस परीक्षा में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या विज्ञापन निकालने के बाद नियमों में बदलाव हो सकता है।
ज्ञात हो कि बिहार में प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के काफी पद रिक्त हैं। इसे लेकर सरकार ने बड़े पैमाने पर बहाली निकाली है। बिहार सरकार ने पिछले साल 94,000 प्रारंभिक शिक्षकों की भर्ती के लिए नोटिफेशन जारी किया था। इन पदों के लिए एनआइओएस से डीएलएड कोर्स करनेवाले निजी स्कूलों के शिक्षकों ने भी आवेदन किया। राज्य सरकार ने एनसीटीई से पूछा कि ये आवेदक इस भर्ती के लिए योग्य हैं या नहीं। इसके जवाब में एनसीटीई ने कोर्स को अयोग्य करार दिया था।
इसके बाद निजी स्कूलों में पढ़ानेवाले शिक्षकों ने पटना हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी। कोर्ट ने एनसीटीई के पात्रता नियमों को गलत बताते हुए शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल होने के योग्य करार दिया था।
उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने राज्य के प्रारंभिक स्कूलों में करीब 94 हजार शिक्षक पदों पर नियुक्ति तीन माह के भीतर करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। विभाग ने 31 अगस्त को चयनित शिक्षकों को नियोजन पत्र देने की घोषणा की थी।
जानकारी के मुताबिक, पटना हाई कोर्ट के जस्टिस न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने नीरज कुमार और अन्य द्वारा दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 15 जून, 2020 को आदेश पारित कर कहा है कि दिसंबर, 2019 में सीटीईटी पास उम्मीदवार इस परीक्षा में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या विज्ञापन निकालने के बाद नियमों में बदलाव हो सकता है।
ज्ञात हो कि बिहार में प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के काफी पद रिक्त हैं। इसे लेकर सरकार ने बड़े पैमाने पर बहाली निकाली है। बिहार सरकार ने पिछले साल 94,000 प्रारंभिक शिक्षकों की भर्ती के लिए नोटिफेशन जारी किया था। इन पदों के लिए एनआइओएस से डीएलएड कोर्स करनेवाले निजी स्कूलों के शिक्षकों ने भी आवेदन किया। राज्य सरकार ने एनसीटीई से पूछा कि ये आवेदक इस भर्ती के लिए योग्य हैं या नहीं। इसके जवाब में एनसीटीई ने कोर्स को अयोग्य करार दिया था।
इसके बाद निजी स्कूलों में पढ़ानेवाले शिक्षकों ने पटना हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी। कोर्ट ने एनसीटीई के पात्रता नियमों को गलत बताते हुए शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल होने के योग्य करार दिया था।
उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने राज्य के प्रारंभिक स्कूलों में करीब 94 हजार शिक्षक पदों पर नियुक्ति तीन माह के भीतर करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। विभाग ने 31 अगस्त को चयनित शिक्षकों को नियोजन पत्र देने की घोषणा की थी।