पटना. शिक्षकों के सेवाशर्त का मामला जल्द सुलझ जाएगा।
गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक
में पंचायती राज संस्थानों और नगर निकाय संस्थानों द्वारा नियुक्त
शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के सेवाशर्त सुधार के लिए गठित समिति में
संशोधन को मंजूरी दे दी गई। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले
राज्य के 3.57 लाख नियोजित शिक्षकों के लिए सेवाशर्त लागू कर दिया जाएगा।
नए बदलावों के बाद अब इस कमेटी में महाधिवक्ता द्वारा अपर महाधिवक्ता के
रूप में नामित अन्य पदाधिकारी को कमेटी में शामिल किया जा सकेगा।
पहले इस कमेटी में प्रधान अपर महाधिवक्ता को सदस्य के रूप में शामिल करने का प्रावधान था। लेकिन राज्य में प्रधान अपर महाधिवक्ता का पद लंबे समय से रिक्त है। इसी प्रकार कमेटी में विभागों के अपर मुख्य सचिव को भी शामिल किया जा सकेगा। कमेटी के संबंध में 11 अगस्त 2015 को जारी आदेश के अनुसार पुराने नियमों के हिसाब से कमेटी में वित्त, शिक्षा, सामान्य प्रशासन, नगर विकास विभाग व पंचायती राज विभाग के सचिव या प्रधान सचिव सदस्य हो सकते थे। इनमें से अनेक विभागों में विभागीय प्रमुख के रूप में अपर मुख्य सचिव कार्यरत हैं। नतीजा कमेटी की बैठक नहीं हो पा रही थी।
सेवा शर्त का ड्राफ्ट तैयार, मिल सकेंगी ये सुविधाएं ...
पीएचईडी में 641 स्थाई पदों पर बहाली होगी। स्थाई पदों के साथ-साथ तीन कॉन्ट्रैक्ट आधारित पदों के सृजन के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई। पीएचईडी के विस्तार और कामकाज को सुदृढ़ बनाने के लिए यह फैसला लिया गया है। कर्मियों के वेतन पर 39 करोड़ 84 लाख 98 हजार 953 रुपए सालाना खर्च होंगे। इसके अलावा विभाग में मुख्य अभियंता (नागरिक) के पद को अब मुख्य अभियंता (असैनिक) दक्षिणी बिहार पीएचईडी (मुख्यालय) कहा जाएगा।
आरटीपीएस एक्ट में संशोधन के लिए राज्यपाल ने अध्यादेश को मंजूरी दी
राज्य में राशन कार्ड के आवेदकों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। गुरुवार को कैबिनेट ने राशन कार्ड के मामले को लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के दायरे में डाल दिया। यानी, अब लोक सेवाओं के अधिकार कानून (आरटीपीएस) के तहत राशन कार्ड नहीं बनने या आवेदन खारिज किए जाने पर आवेदक इसके खिलाफ अपील कर सकेंगे। कैबिनेट के फैसले के बाद राज्यपाल फागू चौहान ने बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार (संशोधन) अध्यादेश 2020 को मंजूरी दे दी।
कैबिनेट के इस फैसले से राशन कार्ड के आवेदनों को जैसे-तैसे निपटाने या खारिज कर देने वाले अधिकारियों पर भी दबाव बढ़ेगा, क्योंकि उनको अपने इस फैसले की वजह अब आवेदक काे सामने बैठकर बताना पड़ेगा। आईपीआरडी सचिव अनुपम कुमार ने बताया कि मौजूदा प्रावधान के तहत अगर कोई मामला आरटीपीएस के दायरे में है तो उस पर लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के तहत विचार नहीं किया जाता था।
उन्हाेंने बताया कि नए प्रावधान से लोगों को राशन कार्ड बनवाने में आसानी होगी। आईपीआरडी सचिव ने बताया कि अब तक 23 लाख 28 हजार 552 नए राशन कार्ड बनाए गए हैं। इसमें से 6 लाख 22 हजार 852 राशन कार्ड वितरित किए जा चुके हैं।
अफसरों को आवेदन रद्द होने पर बताना ही होगा कारण
पहले इस कमेटी में प्रधान अपर महाधिवक्ता को सदस्य के रूप में शामिल करने का प्रावधान था। लेकिन राज्य में प्रधान अपर महाधिवक्ता का पद लंबे समय से रिक्त है। इसी प्रकार कमेटी में विभागों के अपर मुख्य सचिव को भी शामिल किया जा सकेगा। कमेटी के संबंध में 11 अगस्त 2015 को जारी आदेश के अनुसार पुराने नियमों के हिसाब से कमेटी में वित्त, शिक्षा, सामान्य प्रशासन, नगर विकास विभाग व पंचायती राज विभाग के सचिव या प्रधान सचिव सदस्य हो सकते थे। इनमें से अनेक विभागों में विभागीय प्रमुख के रूप में अपर मुख्य सचिव कार्यरत हैं। नतीजा कमेटी की बैठक नहीं हो पा रही थी।
सेवा शर्त का ड्राफ्ट तैयार, मिल सकेंगी ये सुविधाएं ...
- प्रारंभिक शिक्षकों का अपने जिले में तबादला हो सकेगा
- माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों का तबादला प्रमंडल स्तर पर हो सकेगा
- नियोजित शिक्षकों को प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति मिल सकेगी
- इन शिक्षकों को सेवाकाल में अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह एसीपी और प्रोन्नति का लाभ मिल सकेगा
- अवकाश की सुविधा बढ़ेगी। यह बाकी शिक्षकों की तरह हो सकेगा।
- कई तरह के वैसे भत्ते जो अभी अस्थायी शिक्षकों को मिल रहे हैं उनका भी लाभ मिल सकेगा।
पीएचईडी में 641 स्थाई पदों पर बहाली होगी। स्थाई पदों के साथ-साथ तीन कॉन्ट्रैक्ट आधारित पदों के सृजन के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई। पीएचईडी के विस्तार और कामकाज को सुदृढ़ बनाने के लिए यह फैसला लिया गया है। कर्मियों के वेतन पर 39 करोड़ 84 लाख 98 हजार 953 रुपए सालाना खर्च होंगे। इसके अलावा विभाग में मुख्य अभियंता (नागरिक) के पद को अब मुख्य अभियंता (असैनिक) दक्षिणी बिहार पीएचईडी (मुख्यालय) कहा जाएगा।
आरटीपीएस एक्ट में संशोधन के लिए राज्यपाल ने अध्यादेश को मंजूरी दी
राज्य में राशन कार्ड के आवेदकों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। गुरुवार को कैबिनेट ने राशन कार्ड के मामले को लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के दायरे में डाल दिया। यानी, अब लोक सेवाओं के अधिकार कानून (आरटीपीएस) के तहत राशन कार्ड नहीं बनने या आवेदन खारिज किए जाने पर आवेदक इसके खिलाफ अपील कर सकेंगे। कैबिनेट के फैसले के बाद राज्यपाल फागू चौहान ने बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार (संशोधन) अध्यादेश 2020 को मंजूरी दे दी।
कैबिनेट के इस फैसले से राशन कार्ड के आवेदनों को जैसे-तैसे निपटाने या खारिज कर देने वाले अधिकारियों पर भी दबाव बढ़ेगा, क्योंकि उनको अपने इस फैसले की वजह अब आवेदक काे सामने बैठकर बताना पड़ेगा। आईपीआरडी सचिव अनुपम कुमार ने बताया कि मौजूदा प्रावधान के तहत अगर कोई मामला आरटीपीएस के दायरे में है तो उस पर लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के तहत विचार नहीं किया जाता था।
उन्हाेंने बताया कि नए प्रावधान से लोगों को राशन कार्ड बनवाने में आसानी होगी। आईपीआरडी सचिव ने बताया कि अब तक 23 लाख 28 हजार 552 नए राशन कार्ड बनाए गए हैं। इसमें से 6 लाख 22 हजार 852 राशन कार्ड वितरित किए जा चुके हैं।
अफसरों को आवेदन रद्द होने पर बताना ही होगा कारण
- बिहार में लोक सेवाओं के अधिकार कानून के तहत राशन कार्ड 30 दिनों की बजाए 9 दिनों के भीतर बनाने की व्यवस्था की गई है।
- पहले आवेदन रिजेक्ट होने पर एसडीओ से ऊपर के अधिकारी के पास अपील की व्यवस्था नहीं थी।
- नई व्यवस्था में आवेदक लोक शिकायत निवारण अधिकारी के पास अपील कर सकेगा।
- लोक शिकायत निवारण अधिकारी आवेदक और उसके आवेदन को रद्द करने वाले अधिकारी को बुलाकर आमने सामने बैठाएंगे। वहां वह अधिकारी आवेदन रद्द करने की वजह साफ-साफ बताएंगे।