बिहार के चार लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों की
सेवाशर्त जल्द लागू होगी। राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को राज्य के नियोजित
शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों की सेवाशर्त में सुधार के लिए 11 अगस्त
2015 को गठित कमेटी को पुनर्गठित करने पर अपनी मुहर लगा दी। कैबिनेट की
मंजूरी के बाद सेवाशर्त कमेटी के पुनर्गठन की उल्टी गिनती आरंभ हो गयी है।
उच्चस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कमेटी में मुख्य रूप से विभिन्न संबंधित विभागों के प्रधान सचिव और सचिवों के साथ ही अपर मुख्य सचिव के पद को भी शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही प्रधान अपर महाधिवक्ता की जगह अपर महाधिवक्ता को सदस्य के रूप में जोड़ा जाएगा।
गौरतलब हो कि राज्य सरकार द्वारा नियोजित प्रशिक्षित, अप्रशिक्षित प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों के वेतनमान निर्धारण एवं उनकी सेवाशर्त निर्धारण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गयी थी। इन शिक्षकों को वेतनमान तो सरकार ने दे दिया लेकिन मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली इस कमेटी की अनुशंसा पर सेवाशर्त के लिए अलग से एक कमेटी गठन का निर्णय लिया गया था।
सेवाशर्त के अंतर्गत नियोजित शिक्षकों की सेवा निरंतरता, ऐच्छिक स्थानांतरण, सेवाकालीन प्रशिक्षण, प्रोन्नति का अवसर, अनुशासनिक प्राधिकार एवं अन्य शर्तों के निर्धारण के लिए वित्त विभाग, शिक्षा विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, नगर विकास विभाग और पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिवों/सचिवों एवं प्रधान अपर महाधिवक्ता को इस कमेटी के सदस्य बनाए गये थे।
कमेटी बनी और इसे सहयोग करने के लिए शिक्षा विभाग की एक उप समिति भी गठित हुई। सेवाशर्त कमेटी की बैठक दर बैठक में सेवाशर्त का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया। लेकिन इसबीच पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने का फैसला दिया। इस फैसले से नियोजन नियमावली ही निरस्त हो गयी थी। सरकार इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट गयी और वहां से फैसला आने के बाद फिर नियोजन नियमावली प्रभावी है।
पीएचईडी में 644 पद सृजित
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) में मुख्य अभिटंता, कार्यपालक अभियंता समेत कई तरह के 644 पदों का सृजन किया गया है। कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी। अब विभाग इन पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगा। 644 में 641 स्थायी और तीन संविदा के पद हैं। इस पर सालाना 39.84 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
उच्चस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कमेटी में मुख्य रूप से विभिन्न संबंधित विभागों के प्रधान सचिव और सचिवों के साथ ही अपर मुख्य सचिव के पद को भी शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही प्रधान अपर महाधिवक्ता की जगह अपर महाधिवक्ता को सदस्य के रूप में जोड़ा जाएगा।
गौरतलब हो कि राज्य सरकार द्वारा नियोजित प्रशिक्षित, अप्रशिक्षित प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों के वेतनमान निर्धारण एवं उनकी सेवाशर्त निर्धारण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गयी थी। इन शिक्षकों को वेतनमान तो सरकार ने दे दिया लेकिन मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली इस कमेटी की अनुशंसा पर सेवाशर्त के लिए अलग से एक कमेटी गठन का निर्णय लिया गया था।
सेवाशर्त के अंतर्गत नियोजित शिक्षकों की सेवा निरंतरता, ऐच्छिक स्थानांतरण, सेवाकालीन प्रशिक्षण, प्रोन्नति का अवसर, अनुशासनिक प्राधिकार एवं अन्य शर्तों के निर्धारण के लिए वित्त विभाग, शिक्षा विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, नगर विकास विभाग और पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिवों/सचिवों एवं प्रधान अपर महाधिवक्ता को इस कमेटी के सदस्य बनाए गये थे।
कमेटी बनी और इसे सहयोग करने के लिए शिक्षा विभाग की एक उप समिति भी गठित हुई। सेवाशर्त कमेटी की बैठक दर बैठक में सेवाशर्त का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया। लेकिन इसबीच पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने का फैसला दिया। इस फैसले से नियोजन नियमावली ही निरस्त हो गयी थी। सरकार इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट गयी और वहां से फैसला आने के बाद फिर नियोजन नियमावली प्रभावी है।
पीएचईडी में 644 पद सृजित
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) में मुख्य अभिटंता, कार्यपालक अभियंता समेत कई तरह के 644 पदों का सृजन किया गया है। कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी। अब विभाग इन पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगा। 644 में 641 स्थायी और तीन संविदा के पद हैं। इस पर सालाना 39.84 करोड़ रुपए खर्च होंगे।