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HOPE 2017 : गए साल की सीख से नए साल में सुधरेगी शिक्षा

पटना [सुनील राज]। साल 2016 में बहुत 'शिक्षा' मिली। सीख कह सकते हैं। बिहार बोर्ड के मेरिट घोटाले की सीख। सबसे बड़ी उम्मीद है 2017 से कि शिक्षा व्यवस्था सुधरेगी। सुधार के लिए जो ऑपरेशन शुरू हुए हैं, उनका रिजल्ट दिखेगा।
बिहार की स्कूली शिक्षा की व्यवस्था को बदलने के लिए 'क्रांतिकारी' कदम उठाए गए हैं।

प्राथमिक शिक्षा से शुरुआत

प्रदेश में प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय खोलने, एडमिशन में बढ़ोत्तरी करने, कक्षाओं की संख्या बढ़ाने, स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति को नियमित करने के साथ ही लड़के और लड़कियों के बीच शिक्षा के अंतर को कम करने के लिए उपाय किए गए हैं। काम निरंतर जारी है।

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रोजगार वाली शिक्षा का नया दौर

नए दौर में रोजगार दिलाने वाली शिक्षा के लिए बिहार में कई तरह के प्रयोग शुरू हुए हैं। प्रत्येक जिले में जीएनएम स्कूल, पैरा मेडिकल इंस्टीट्यट, पॉलीटेक्निक, महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थापना की जा रही है।

सरकार ने पांच अलग-अलग साल के अपने कार्यकाल को पांच अलग-अलग हिस्सों में बांट कर प्रत्येक साल के लिए कार्ययोजना बनाई और टारगेट तय किए हैं। नए विश्वविद्यालय बन रहे - पूर्णिया एवं पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय। पटना में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया गया है। नए साल में यह भी आकार लेने लगेगा। मुंगेर में भी विश्वविद्यालय की स्थापना की कवायद प्रारंभ हो गई है।

अब 'असंभव' नहीं रहेगी उच्च शिक्षा

इस साल पांच लाख से अधिक युवाओं को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ मिलेगा। स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत अक्टूबर 2016 में की गई। 2017 इसका गवाह बनेगा। 12वीं पास राज्य के युवा आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए चार लाख तक का ऋण बैंक से बगैर किसी गारंटी के प्राप्त कर सकेंगे। उच्च शिक्षा की राह कठिन नहीं होगी।

हक बराबर मिलेगा

वंचित समुदाय की लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा सहजता से मिल सके इसके लिए राज्य भर में 292 बालिका छात्रावास का निर्माण कराया जा रहा है। 2017 में ये तैयार हो जाएंगे। शैक्षणिक रूप से पिछड़े राज्य के 368 प्रखंडों में मॉडल स्कूल का निर्माण कराया जा रहा है। मार्च के बाद इस वर्ष वहां भी पढ़ाई शुरू होगी।

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