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अनौपचारिक अनुदेशकों का फूटा आक्रोश, किया धरना-प्रदर्शन

नालंदा। शिक्षा विभाग की मनमानी से आजिज हो अनौपचारिक अनुदेशकों का आक्रोश फूट पड़ा। शुक्रवार को सैकड़ों की संख्या में अनुदेशक सड़क पर उतर कर समाहरणालय के समक्ष प्रदर्शन किया और बाद में अस्पताल मोड़ पर धरना पर बैठ गए।
संघ के जिला सचिव अरुण कुमार सिन्हा व जिलाध्यक्ष अयोध्या प्रसाद ने धरना को संबोधित करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली ने व उच्च न्यायालय पटना के आदेश पर बिहार पटना के शिक्षा विभाग के आदेश पर जिला कमेटी द्वारा वैसे भूतपूर्व अनौपचारिक अनुदेशकों का समायोजन को सूचित करने को कहा गया। इस आदेश में यह भी कहा गया है कि जो अनौपचारिक अनुदेशक तीन वर्षों तक लगातार मानदेय प्राप्त करने चुके हैं उनके समायोजन के लिए आदेश निर्गत किया गया है। उक्त अनुदेशकों का मानदेय सरकार के यहां बकाया है। लेकिन जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बिना किसी सूचना व आदेश का अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों को 31 मार्च 2000 में बंद करा दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि विभाग के आदेश से यह स्पष्ट होता है कि लगातार तीन वर्षों तक अनुसेवकों ने काम किया है बावजूद उन्हें इससे वंचित रखा गया। जिलाध्यक्ष ने कहा कि यदि इसके पहले इन केन्द्रों को बंद करने का कोई आदेश शिक्षा विभाग के पास आया है तो वे हम अनुदेशकों को दिखाएं। हम सभी स्वेचछा से स्वीकार कर लेंगे। वक्ताओं ने कहा कि यदि 1248 अनौपचारिक अनुदेशकों के साथ इंसाफ नहीं किया जाएगा तो हम लोग आगे भी आंदोलन को तेज करेंगे। इस मौके पर सैकड़ों अनौपचारिक अनुदेशक उपस्थित थे। 

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