कटिहार। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने की
घोषणा के बीच जिले के सरकारी महाविद्यालयों का हाल बेहाल है। इन
महाविद्यालयों में शिक्षकों की घोर कमी है। महाविद्यालय में नामांकित छात्र
बिना पढ़े ही डिग्री हासिल कर रहे हैं।
जिले में मौजूद चारो सरकारी महाविद्यालय में शिक्षकों का घोर अभाव है। इसमें दर्शन साह महाविद्यालय, केबी झा महाविद्यालय, एमजेएम महिला महाविद्यालय और आरडीएस कॉलेज सालमारी सरकारी अंगीभूत कॉलेज शामिल है। कमोबेश सभी महाविद्यालय में शिक्षकों की कमी के कारण पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। जिले के दर्शन साह महाविद्यालय में स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई होती है, लेकिन कई विभाग में एक भी शिक्षक मौजूद नहीं हैं। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना संभव नहीं है।
नामांकन और परीक्षा तक सिमटा विभाग :
शिक्षकों की कमी के बाद भी विभिन्न संकायों में छात्रों का दाखिला लिया जाता है। साथ ही परीक्षा का संचालन भी होता है। विधिवत सत्र समाप्त होने के बाद डिग्री भी दी जाती है। ऐसे में बिना गुरुजी ज्ञान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं में शिक्षा की गुणवत्ता का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। यद्यपि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा महाविद्यालय में नामांकित छात्रों की 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य की गई है, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण वर्ग संचालन संभव नहीं है। ऐसे में उच्च शिक्षा की स्थिति पूरी तरह बदहाल है।
विषयवार शिक्षकों की स्थिति
विषय - डीएस कॉलेज - केबी झा कॉलेज
रसायन - 2 - 2
भौतिकी - 0 - 2
संस्कृत - 0 - 2
बांग्ला - 0 - 1
फारसी - 0 - 0
मैथिली - 1 - 3
वनस्पति - 1 - 1
जंतु विज्ञान - 1 - 2
गणित - 1 - 3
इतिहास - 0 - 2
समाज शास्त्र - 1 - 2
अर्थ शास्त्र - 2 - 2
राजनीति शास्त्र - 2 - 4
दर्शन शास्त्र - 2 - 2
अंग्रेजी - 6 - 3
वाणिज्य - 2 - 4
जिले में मौजूद चारो सरकारी महाविद्यालय में शिक्षकों का घोर अभाव है। इसमें दर्शन साह महाविद्यालय, केबी झा महाविद्यालय, एमजेएम महिला महाविद्यालय और आरडीएस कॉलेज सालमारी सरकारी अंगीभूत कॉलेज शामिल है। कमोबेश सभी महाविद्यालय में शिक्षकों की कमी के कारण पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। जिले के दर्शन साह महाविद्यालय में स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई होती है, लेकिन कई विभाग में एक भी शिक्षक मौजूद नहीं हैं। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना संभव नहीं है।
नामांकन और परीक्षा तक सिमटा विभाग :
शिक्षकों की कमी के बाद भी विभिन्न संकायों में छात्रों का दाखिला लिया जाता है। साथ ही परीक्षा का संचालन भी होता है। विधिवत सत्र समाप्त होने के बाद डिग्री भी दी जाती है। ऐसे में बिना गुरुजी ज्ञान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं में शिक्षा की गुणवत्ता का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। यद्यपि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा महाविद्यालय में नामांकित छात्रों की 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य की गई है, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण वर्ग संचालन संभव नहीं है। ऐसे में उच्च शिक्षा की स्थिति पूरी तरह बदहाल है।
विषयवार शिक्षकों की स्थिति
विषय - डीएस कॉलेज - केबी झा कॉलेज
रसायन - 2 - 2
भौतिकी - 0 - 2
संस्कृत - 0 - 2
बांग्ला - 0 - 1
फारसी - 0 - 0
मैथिली - 1 - 3
वनस्पति - 1 - 1
जंतु विज्ञान - 1 - 2
गणित - 1 - 3
इतिहास - 0 - 2
समाज शास्त्र - 1 - 2
अर्थ शास्त्र - 2 - 2
राजनीति शास्त्र - 2 - 4
दर्शन शास्त्र - 2 - 2
अंग्रेजी - 6 - 3
वाणिज्य - 2 - 4