अररिया। लोग कहते हैं न कि चिराग तले अंधेरा..। यह कहावत शहर के उच्च
विद्यालय के लिए सटीक बैठती है। विडंबना देखिए कि जिला शिक्षा कार्यालय
उच्च विद्यालय परिसर में ही स्थित है।
परंतु विडंबना है कि सात साल से इस विद्यालय के एक कमरे में पचास से अधिक कंप्यूटर रखे रखे ही बेकार हो गए, सारे हाकिम देखते रहे, लेकिन बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा नहीं मिल पाई। साफ है कि विद्यालय व शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण विद्यालय के 1045 बच्चों का भविष्य अंधेरे में गुम होने की कगार पर चला गया है। सालों से बेकार पड़े कंप्यूटर जर्जर अवस्था में पड़ कर कचरे में तब्दील हो गए हैं।
बाला मुरुगन की पहल पर शुरू हुई थी कप्यूटर कक्षाएं
वर्ष 2008 में तत्कालीन एसडीओ बाला मुरूगन डी ने जिला कंप्यूटर सोसाईटी के माध्यम से पचास से अधिक कंप्यूटर उपलब्ध करवाए थे और छात्रों के लिए कंप्यूटर की क्लास शुरू कराई थी। कई महीनों तक तो बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा मिली। परंतु बदहाल व्यवस्था व वेतन के अभाव में कंप्यूटर शिक्षक ही काम छोड़कर चले गए। तब से कंप्यूटर क्लास बंद है।
वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानाध्यापक अब्दूल गफूर के समय में उस वक्त के डीएम एम.सरवणन ने फिर से कंप्यूटर क्लास शुरू करवाने की पहल की। लेकिन तबतक सारे कंप्यूटर दम तोड़ चुके थे। कंप्यूटर की मरम्मत व बकाया बिजली बिल आदि से करीब नौ लाख रूपयों का खर्चा आ रहा था। लेकिन विभाग के पास राशि नहीं थी और कंप्यूटर क्लास शुरू नहीं हो सका।
- 1045 बच्चे हैं विद्यालय में नामांकित
शहर की शान कहे जाने वाले उच्च विद्यालय में वर्तमान में नवीं कक्षा में 473, दसवीं में 469 व इंटर में 103 बच्चे नामांकित हैं। छात्र सौरव कुमार, अमीर, शोहेल आदि ने बताया कि यहां के बच्चों को कंप्यूटर के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है। कंप्यूटर की जानकारी के अभाव में एक आवेदन फर्म भरने के लिए भी साइबर कैफे में जाना पड़ता है।
- क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक
प्रधानाध्यापक मो. अतहर हुसैन ने बताया कि यहां कंप्यूटर क्लास नहीं चल रही है। कई साल से पचास कंप्यूटर खराब पड़े हैं। इस संबंध में विभाग को अवगत कराया जाएगा।
परंतु विडंबना है कि सात साल से इस विद्यालय के एक कमरे में पचास से अधिक कंप्यूटर रखे रखे ही बेकार हो गए, सारे हाकिम देखते रहे, लेकिन बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा नहीं मिल पाई। साफ है कि विद्यालय व शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण विद्यालय के 1045 बच्चों का भविष्य अंधेरे में गुम होने की कगार पर चला गया है। सालों से बेकार पड़े कंप्यूटर जर्जर अवस्था में पड़ कर कचरे में तब्दील हो गए हैं।
बाला मुरुगन की पहल पर शुरू हुई थी कप्यूटर कक्षाएं
वर्ष 2008 में तत्कालीन एसडीओ बाला मुरूगन डी ने जिला कंप्यूटर सोसाईटी के माध्यम से पचास से अधिक कंप्यूटर उपलब्ध करवाए थे और छात्रों के लिए कंप्यूटर की क्लास शुरू कराई थी। कई महीनों तक तो बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा मिली। परंतु बदहाल व्यवस्था व वेतन के अभाव में कंप्यूटर शिक्षक ही काम छोड़कर चले गए। तब से कंप्यूटर क्लास बंद है।
वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानाध्यापक अब्दूल गफूर के समय में उस वक्त के डीएम एम.सरवणन ने फिर से कंप्यूटर क्लास शुरू करवाने की पहल की। लेकिन तबतक सारे कंप्यूटर दम तोड़ चुके थे। कंप्यूटर की मरम्मत व बकाया बिजली बिल आदि से करीब नौ लाख रूपयों का खर्चा आ रहा था। लेकिन विभाग के पास राशि नहीं थी और कंप्यूटर क्लास शुरू नहीं हो सका।
- 1045 बच्चे हैं विद्यालय में नामांकित
शहर की शान कहे जाने वाले उच्च विद्यालय में वर्तमान में नवीं कक्षा में 473, दसवीं में 469 व इंटर में 103 बच्चे नामांकित हैं। छात्र सौरव कुमार, अमीर, शोहेल आदि ने बताया कि यहां के बच्चों को कंप्यूटर के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है। कंप्यूटर की जानकारी के अभाव में एक आवेदन फर्म भरने के लिए भी साइबर कैफे में जाना पड़ता है।
- क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक
प्रधानाध्यापक मो. अतहर हुसैन ने बताया कि यहां कंप्यूटर क्लास नहीं चल रही है। कई साल से पचास कंप्यूटर खराब पड़े हैं। इस संबंध में विभाग को अवगत कराया जाएगा।