नालंदा। बिहार सरकार की दोहरी नीति व विभागीय पदाधिकारियों व कर्मचारियों
के मनमानी के खिलाफ परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया
है। शनिवार को जिले के तमाम शिक्षक एकत्रित होकर धरना के माध्यम से अपनी
शक्ति का एहसास कराया।
जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में धरना के दौरान शिक्षक संघ के अध्यक्ष रोशन कुमार ने कहा कि जब तक सरकार नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने की घोषणा नहीं कर देती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को अपनी जायज मांगों को लेकर एकजुट होना पड़ेगा, तभी मांगों पर विचार करने को सरकार तत्पर होगी। उन्होंने कहा कि यह धरना सांकेतिक है, जरूरत पड़ी तो शिक्षण चरणबद्ध आंदोलन भी करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी समान कार्य के लिए समान देने का आदेश दिया है। इसे कई राज्यों में लागू भी कर दिया गया है। लेकिन बिहार सरकार शिक्षक संघ के समझौता के बाद भी इसे लागू नहीं कर रही है। संघ के प्रदेश प्रतिनिधि मदन कुमार ने कहा कि जीविका दीदी रविवार छुट्टी के दिनों एवं शनिवार को 1.30 बजे के बाद विद्यालय का निरीक्षण करती है और उस प्रतिवेदन पर विभागीय पदाधिकारी स्पष्टीकरण निकालते हुए वेतन बंद करना अनुचित है। उन्होंने कहा कि जीविका दीदी के गलत परीक्षण प्रतिवेदन पर अनुचित कार्रवाई को वापस लिया जाए। संघ के सचिव मो. इरफान मल्लिक व सचिव धर्मेन्द्र कुमार ने कहा कि सरकार की दोषपूर्ण शिक्षा नीति के कारण आज स्कूली शिक्षा गुणवत्तापूर्ण नहीं है। नियोजित शिक्षकों को उपेक्षित कर बिहार का विकास करने की बात बेइमानी होगी। धरना को सुनैना कुमारी, मनोज कुमार, प्रवक्ता सुधीर कुमार पांडेय, प्रेम प्रकाश, कौशलेन्द्र कुमार ब्रहमचारी, सूर्यकांत ¨सह, विनोद तांती, पंकज कुमार सहित जिला व प्रखंड के सैकड़ों शिक्षक व शिक्षिकाएं मौजूद थे। धरना के उपरांत डीईओ को 16 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा गया।
जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में धरना के दौरान शिक्षक संघ के अध्यक्ष रोशन कुमार ने कहा कि जब तक सरकार नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने की घोषणा नहीं कर देती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को अपनी जायज मांगों को लेकर एकजुट होना पड़ेगा, तभी मांगों पर विचार करने को सरकार तत्पर होगी। उन्होंने कहा कि यह धरना सांकेतिक है, जरूरत पड़ी तो शिक्षण चरणबद्ध आंदोलन भी करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी समान कार्य के लिए समान देने का आदेश दिया है। इसे कई राज्यों में लागू भी कर दिया गया है। लेकिन बिहार सरकार शिक्षक संघ के समझौता के बाद भी इसे लागू नहीं कर रही है। संघ के प्रदेश प्रतिनिधि मदन कुमार ने कहा कि जीविका दीदी रविवार छुट्टी के दिनों एवं शनिवार को 1.30 बजे के बाद विद्यालय का निरीक्षण करती है और उस प्रतिवेदन पर विभागीय पदाधिकारी स्पष्टीकरण निकालते हुए वेतन बंद करना अनुचित है। उन्होंने कहा कि जीविका दीदी के गलत परीक्षण प्रतिवेदन पर अनुचित कार्रवाई को वापस लिया जाए। संघ के सचिव मो. इरफान मल्लिक व सचिव धर्मेन्द्र कुमार ने कहा कि सरकार की दोषपूर्ण शिक्षा नीति के कारण आज स्कूली शिक्षा गुणवत्तापूर्ण नहीं है। नियोजित शिक्षकों को उपेक्षित कर बिहार का विकास करने की बात बेइमानी होगी। धरना को सुनैना कुमारी, मनोज कुमार, प्रवक्ता सुधीर कुमार पांडेय, प्रेम प्रकाश, कौशलेन्द्र कुमार ब्रहमचारी, सूर्यकांत ¨सह, विनोद तांती, पंकज कुमार सहित जिला व प्रखंड के सैकड़ों शिक्षक व शिक्षिकाएं मौजूद थे। धरना के उपरांत डीईओ को 16 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा गया।